पक्ष और ग्रहण के सम्बन्ध में जानकारी
एक महीने में दो पक्ष होते है -----पहला पक्ष कृष्ण पक्ष और दूसरा पक्ष शुक्ल पक्ष |
कृष्ण पक्ष में अमावस्या होती है और शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा होती है | जब भी ग्रहण होते है तो अमावस्या को सूर्य ग्रहण होता है | पूर्णिमा को चन्द्र ग्रहण होता है |
कृष्ण पक्ष में अमावस्या होती है और शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा होती है | जब भी ग्रहण होते है तो अमावस्या को सूर्य ग्रहण होता है | पूर्णिमा को चन्द्र ग्रहण होता है |
पूर्णिमा के बाद का पहला दिन [ प्रतिपदा ] कृष्ण पक्ष का होता है, जबकि अमावस्या के बाद का पहला दिन [ प्रतिपदा ] शुक्ल पक्ष का होता है |
तिथियों की पूर्ण जानकारी
तिथियाँ १५ होती है और पक्ष में भी १५ होती है |
तिथियों की पूर्ण जानकारी
तिथियाँ १५ होती है और पक्ष में भी १५ होती है |
तिथियों के स्वामी ---- प्रतिपत का स्वामी = अग्नि , द्वितीय का = ब्राह्ग , तृतीया का स्वामी = पार्वती शिव , चतुर्थ का स्वामी = गणेशजी , पंचमी का स्वामी =सर्पदेव ( नाग ) , षष्ठी का स्वामी = कार्तिकेय , सप्तमी का स्वामी = सूर्यदेव , अष्टमी का स्वामी = शिव , नवमी का स्वामी = दुर्गाजी , दशमी का स्वामी = यमराज , एकादशी का स्वामी = विश्वदेव , द्वादशी का स्वामी = विष्णु भगवान , त्रयोदशी का स्वामी = कामदेव , चतुर्दशी का स्वामी = शिव , पूर्णिमा का स्वामी = चन्द्रमा , अमावस्या का स्वामी = पित्रदेव |
नोट -- जिस देवता की जो विधि कही गई है उस तिथि में उस देवता की पूजा , प्रतिष्ठा , शांति विशेष हितकर होती है |
नोट -- जिस देवता की जो विधि कही गई है उस तिथि में उस देवता की पूजा , प्रतिष्ठा , शांति विशेष हितकर होती है |
तिथियों के अनुसार शुभ जानकारी --
प्रथम खंड | द्वितीय खंड | तृतीय खंड | नाम |
प्रतिपत | षष्ठी | एकादशी | नंदा |
द्वितीया | सप्तमी | द्वादशी | भद्रा |
तृतीया | अष्टमी | त्रयोदशी | जया |
चतुर्थी | नवमी | चतुर्दशी | रिक्ता |
पंचमी | दशमी | पूर्णिमा | पूर्ण |
नोट -- शुक्ल पक्ष में नंदा , भद्रा , जया , रिक्त , और पूर्ण क्रम से अशुभ , मध्य और शुभ होती है |
अर्थात शुक्ल पक्ष में ऊपर लिखी हुई
प्रथम खंड की पांच तिथियाँ अशुभ होती है |
द्वितीया खंड की पाँच तिथियाँ मध्यम
और तृतीया के पाँच तिथियाँ उत्तम होती है |
इसी तरह कृष्ण पक्ष में--
प्रथम खंड की पाँच तिथियाँ शुभ होती है |
द्वितीया की पाँच तिथियाँ मध्य होती है |
तृतीया से पाँच तिथियाँ अशुभ होती है |
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