अनिष्ट ग्रहों से बचाव के उपाय
ज्योतिष वेदों के नेत्र से परिभाषित है। मानव जीवन हर पल ग्रहों से ही संचालित होता है। प्रत्येक ग्रह कि अपनी रश्मियां और आभा मंडल होता है। ग्रहों की रश्मियों का अभाव ही दुर्योग का कारण होते हैं। ग्रहों का अनुपात उचित हो तो जीवन श्रेष्ठ होता है। नव ग्रह में अगर एक ग्रह भी निर्बल या शत्रु क्षेत्री हो तो जीवन का संतुलन बिगड़ सकता है। ऐसे में उतार और चढ़ाव को संतुलित करने के लिए सामान्य उपाय ग्रहोंके कमजोर होने पर निम्न लक्षण व उपाय।
सूर्य : सूर्य अनिष्ट हो तो हृदय रोग उदर संबंधी नेत्र संबंधी ऋण मानहानी अपयश होता है। ऐसे में जातक सूर्य उपासना, रविवार का व्रत, हरिवंश पुराण का पाठ करें।
चंद्र : चंद्र अगर कमजोर हो तो शारीरिक आर्थिक मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। मिर्गी माता को कष्ट होता है। ऐसे में कुलदेवी की उपासना चावल पानी का दान करें।
मंगल : भाई का विरोध, अचल सम्पत्ति, पुलिस कार्रवाई अदालती अड़चने हिंसा, चोरी आदि मंगल के कमजोर होने पर होते हैं। ऐसे में सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, हनुमान जी की आराधना फलदायक होती है।
बुध : पथरी, बवासीर, ज्वर, गुर्दा, स्नायुरोग, दंत, विकार बुध की दुर्बलता से होता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें व पंता रत्न धारण करें।
गुरू : विवाह में बाधा, अपनों से वियोग घर में तनाव, घर से विरक्ती होती है। ऐसे में श्रीमद भागवत का पाठ, हरी पूजन व गुरुवार का व्रत करें।
शुक्र : वायु प्रकोप, संतान उत्पन्न करने में अक्षमता, दुर्बल शरीर, अतिसार, अजीर्ण आदि शुक्र के कारण होता है। ऐसे में मां लक्ष्मी की उपासना, खीर का दान करें।
शनि : दाम्पत्य जीवन का कलह पूर्ण होना गुप्त रोग, दुर्घटना, अयोग्य संतान आदि शनि के कारण होता है। भैरव जी की आराधना शनि उपासना, मांस मदिरा से परहेज करें।
राहु : आकस्मिक घटना भूत–प्रेत बाधा ज्वर विदेश यात्रा टीबी, बवासीर आदि रोग होते हैं। राहु का प्रभाव राजनीति क्षेत्र में माना जाता है। ऐसे में कन्या दान, भैरव आराधना करें।
केतु : घुटने में दर्द मधुमेह ऐश्वर्य नाश ऋण का बढ़ना पुत्रों पर संकट आदि होता है। कुत्ते को रोटी, कम्बल का दान आदि किया जाता है।
ज्योतिष वेदों के नेत्र से परिभाषित है। मानव जीवन हर पल ग्रहों से ही संचालित होता है। प्रत्येक ग्रह कि अपनी रश्मियां और आभा मंडल होता है। ग्रहों की रश्मियों का अभाव ही दुर्योग का कारण होते हैं। ग्रहों का अनुपात उचित हो तो जीवन श्रेष्ठ होता है। नव ग्रह में अगर एक ग्रह भी निर्बल या शत्रु क्षेत्री हो तो जीवन का संतुलन बिगड़ सकता है। ऐसे में उतार और चढ़ाव को संतुलित करने के लिए सामान्य उपाय ग्रहोंके कमजोर होने पर निम्न लक्षण व उपाय।
सूर्य : सूर्य अनिष्ट हो तो हृदय रोग उदर संबंधी नेत्र संबंधी ऋण मानहानी अपयश होता है। ऐसे में जातक सूर्य उपासना, रविवार का व्रत, हरिवंश पुराण का पाठ करें।
चंद्र : चंद्र अगर कमजोर हो तो शारीरिक आर्थिक मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। मिर्गी माता को कष्ट होता है। ऐसे में कुलदेवी की उपासना चावल पानी का दान करें।
मंगल : भाई का विरोध, अचल सम्पत्ति, पुलिस कार्रवाई अदालती अड़चने हिंसा, चोरी आदि मंगल के कमजोर होने पर होते हैं। ऐसे में सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, हनुमान जी की आराधना फलदायक होती है।
बुध : पथरी, बवासीर, ज्वर, गुर्दा, स्नायुरोग, दंत, विकार बुध की दुर्बलता से होता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें व पंता रत्न धारण करें।
गुरू : विवाह में बाधा, अपनों से वियोग घर में तनाव, घर से विरक्ती होती है। ऐसे में श्रीमद भागवत का पाठ, हरी पूजन व गुरुवार का व्रत करें।
शुक्र : वायु प्रकोप, संतान उत्पन्न करने में अक्षमता, दुर्बल शरीर, अतिसार, अजीर्ण आदि शुक्र के कारण होता है। ऐसे में मां लक्ष्मी की उपासना, खीर का दान करें।
शनि : दाम्पत्य जीवन का कलह पूर्ण होना गुप्त रोग, दुर्घटना, अयोग्य संतान आदि शनि के कारण होता है। भैरव जी की आराधना शनि उपासना, मांस मदिरा से परहेज करें।
राहु : आकस्मिक घटना भूत–प्रेत बाधा ज्वर विदेश यात्रा टीबी, बवासीर आदि रोग होते हैं। राहु का प्रभाव राजनीति क्षेत्र में माना जाता है। ऐसे में कन्या दान, भैरव आराधना करें।
केतु : घुटने में दर्द मधुमेह ऐश्वर्य नाश ऋण का बढ़ना पुत्रों पर संकट आदि होता है। कुत्ते को रोटी, कम्बल का दान आदि किया जाता है।
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