सर्वग्रह पीड़ानाशक विधान
मंत्र : ॐ नमो भास्कराय अस्माकं सर्व-ग्रहणं। पीड़ा - नाशनं कुरु कुरु स्वाहा ॥
अब आपको निचे अनुसार उपयोग में लाना हे
(१) अर्क का मूल ( आकड़ा जो फुल की माला हनुमानजी को चड्ती हे (२) धन्तुरा का मूल
(३) आपामार्ग ( जन्जेठा ) का मूल (४) दूर्वा ( ग्रास हे जो हम गणेशजी को चडाते हे )
(५) वड का मूल ( बनयन ट्री ) (६) पीपल का पंचांग (७) मुंग ( साबुत हरे ) (८) गेहू (विट )
(९) तिल (१०) मधु ( शहद ) (११) दही (१२) एक यह सामग्री भर ने के लिए हांड़ी या मटकी
प्रत्येक वस्तु हाथ में ले कर ऊपर दिया गया मंत्र १०८ बार बोल कर हांड़ी में डाले - क्रम अनुसार सभी वस्तु डाल ने से पहले कृपया मंत्र १०८ बार बोलना जरुरी हे पश्यात आप यह हांड़ी को अब शनिवार के दिन शाम को पीपल के पेड़ के निचे जमीन में गाढ़ दे ...
( यह संपूर्ण प्रयोग शनिवार शाम को ही करे - इससे सर्वप्रकार की ग्रह पीड़ा उपद्रव और दारिद्र्य का नाश होता हे - हो शके तो यह प्रयोग आप किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करे - क्यों की गुरु की कृपा के बगर को भी सफलता प्राप्त नहीं होती )
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