- बुद्धि की वृद्धि के लिए निम्न मंत्र का जाप 1 लाख की संख्या में करना होगा।
मंत्र : सच्चिदा एकी ब्रह्म ह्रीं सच्चिदा क्रीं ब्रह्म।
लधु मंत्र : ॐ क्रीं क्रीं क्रीं।
इस प्रयोग से बुद्धि तीव्र होती है और विद्या की प्राप्ति होती हैं।
- किसी कष्ट से छुटकारा पाने हेतु इस मंत्र के मानसिक जाप द्वारा 108 बार पाठ मात्र से विपदा दूर चली जाती हैं।
मंत्र : रां रां रां रां रां रां रां रां कष्टं स्वाहा।
- किसी भी क्षेत्र में उन्नति पाने के लिए इस मंत्र को 108 बार नित्य जप करें।
मंत्र : ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी मम् गृहे धन पूरे। चिंता दूरे-दूरे स्वाहा।
- इस मंत्र को 1000 बार जाप कर के सिद्ध करें। फिर नित्य 21 बार मंत्र का उच्चारण कर के मुख का मार्जन करें, तो परिवार के सभी सदस्यों के लिए हर प्रकार के विघ्न दूर हो जाएंगे। सायं काल पीपल की जड़ में शर्बत छोड़ें और श्रद्धापूर्वक धूप-दीप जलाएं।
मंत्र : नमः शांते प्रशांते ॐ ह्रीं ह्रौं सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा।
- इस मंत्र को 1000 बार जप करना चाहिए। इसके बाद जिसे भूत लगा हो, उसे 7 बार, मंत्र पड़ते हुए झाड़े, तो लाभ होगा।
मंत्र : नमो मसाणं बरसिने प्रेतानां कुरू कुरू स्वाहा।
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स्वास्थ्य : |
- सदा स्वस्थ बने रहने के लिए रात्रि को पानी किसी लोटे-गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिए रख दें। उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृत संबंधी परेशानियां नहीं होतीं तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है।
- किसी भी रविवार/ मंगलवार के दिन फिटकरी का टुकड़ा बच्चे के सिरहाने रख दें। बच्चा बुरे स्वप्न के प्रभाव से दूर रह कर आराम से सो सकेगा।
- हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी, या सोलहमुखी रुद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी, अथवा पांचमुखी रुद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रुद्राक्ष को ले कर श्रावण माह में, किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगा जल से स्नान करा कर, शिव जी पर चढ़ाएं। फिर संभव हो तो रुद्राभिषेक करें, या शिव जी पर, ú नमः शिवाय बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रुद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें।
- सूर्य भगवान का प्रतिदिन ध्यान करना, सूर्य पर जल चढ़ाना, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना भी हृदय रोग में लाभ देते हैं।
- कैंसर की स्थिति में मंगलवार के दिन एक लाल रंग का धागा हाथ मे, या कमर में बांधें। जो धागा न बांधना चाहें, वे तांबे का कड़ा, या छल्ला पहन सकते हैं। बुधवार को थोड़े चावल दान करें तथा शनिवार को 3 ( रत्ती, या अधिक वजन का नीलम, सूर्यास्त के बाद, सोने में पहनें। अपने इष्ट प्रभु का ध्यान करें।
- बच्चों को नज़र शीघ्र लगती है। नज़र लगने की दशा में बच्चा लगातार रोता रहता है। आंखों एवं होठों का सूज जाना, चेहरा लाल हो जाना एवं अन्य बीमारी भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में राई की धुनी बच्चे को देनी चाहिए। 7 साबुत लाल मिर्च बच्चे पर से उबार कर जला दें। 9 नींबुओं पर तेल लगाएं। फिर उनपर सिंदूर लगावें। अब उन्हंे बच्चे पर से 7 बार उबार कर, किसी चौराहे पर ले जा कर, 4 भाग कर के, चारों दिशाओं में फेंक आएं।
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नौकरी-व्यापार : |
- व्यापार में यदि निरंतर घाटा हो रहा हो, तो बुधवार के दिन यह प्रयोग करें। इस दिन एक पीली बड़ी कौड़ी बाजार से खरीद कर लाएं। 2 लौंग, 2 छोटी इलायची तथा 1 चुटकी दुकान, कारखाना आदि की मिट्टी के साथ उस कौड़ी को जला कर उसकी राख बना लें। यह राख बुधवार को ही एक पान के पत्ते पर रख कर उसमें एक छेद वाला तांबे का पैसा डाल दें और इस पान के पत्ते को सारी सामग्री सहित कहीं बहते पानी में छोड़ दें। जिस बुधवार को यह प्रयोग करें, उस दिन प्रयोग समाप्त होने तक निराहार रहें। किसी भूखे को भोजन तथा दक्षिणा देने के बाद ही भोजन करें। इसको नियमित रूप से 5 बुधवार तक करें। अंतिम, अर्थात पांचवे बुधवार को अपने इष्ट देवता को जल, पुष्प, मिठाई आदि से प्रसन्न करें। उनका प्रसाद पहले स्वयं लें, फिर बाहर के अन्य लोगों को स्वयं बांटे।
- मंगलवार के दिन 7 साबुत सीधी डंठल वाली हरी मिर्च और एक नींबू लाएं। इसके पश्चात् उन्हें काले डोरे में पिरो लें। इनको कार्यालय स्थल के बाहर टांग दें। ऐसा हर मंगलवार को करें। ऐसा करने से व्यापार बढ़ता है और नजर, या टोक भी नहीं लगती। यह प्रयोग शनिवार के दिन भी किया जा सकता है।
- किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहरी के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी लाल धुधंची को रख कर, अपना कार्य बोलते हुए, उसपर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो आवश्य ही कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
- जिन व्यापारियों को लगातार हानि हो रही हो, वे गायत्री मंत्र के द्वारा हवन करवाएं। व्यापार स्थल के हवन की विभूति को, किसी सफेद रंग के कपड़े में डाल कर, घर में तथा व्यापार स्थल पर रखें। हानि होनी बंद हो जाएगी। व्यापार अच्छा चल जाएगा। परेषानी होने पर, सेहत खराब होने पर इस हवन की कुछ विभूती का तिलक करें तथा जीभ से भी चाटें, तो शारीरिक कष्ट दूर होगा तथा बीमारी हर हालत में ठीक हो जाएगी।
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वास्तु : |
- वास्तु दोष दूर करने के लिए किसी शुभ गृह प्रवेश के मुहूर्त में 5 रत्न, या चांदी के छोटे-छोटे 5 टुकड़े ले कर, उन्हें गो दूध, फिर गंगा जल से स्नान करा कर, षोडषोपचार विधि से श्री उमा-महेश्वर का पूजन कर के, ‘शिव तांडव स्तोत्र का एक पाठ करें। फिर इनको घर की चारों दिशाओं में 1-1 फुट नीचे गाड़ दें। 5वां रत्न, या चांदी का टुकड़ा मुख्य द्वार में कहीं गड्ढा कर गाड़ दें। धीरे-धीरे, वास्तु दोष से मुक्ति प्राप्त हो कर, सुख-शांति प्राप्त होगी।
- मुख्य द्वार पर आगे-पीछे गणेश जी की प्रतिमा, या चित्र लगाएं।
- द्वार पर मंगल कलश, मछली का चित्र, स्वस्त्तिक चिह्न, शुभ-लाभ, जो भी लगा सकते हों, लगाएं।
- शनि जन्मकुंडली के चौथे घर में स्थित हो, तो जातक को पैतृक भूमि पर मकान नहीं बनाना चाहिए। यदि जातक ऐसा करता है, तो परिवार के सदस्यों को जिंदगी भर कष्ट उठाने पड़ते हैं। पुत्र रोगी रहता है। तंदुरुस्त होने की हालत में उसे, किसी झूठे मुकदमे मे फंस कर, कारावास की सजा भुगतनी पड़ती है।
- शनि जन्मकुंडली के छठें घर में हो, तो भवन निर्माण के पूर्व उस भूमि पर हवनादि करें और जमीन को शुद्ध कर लें, जिससे केतु का प्रभाव मंद पड़ जाता है।
- जन्मकुंडली के ग्यारहवें घर में शनि हो, तो मुख्य द्वार की चौखट बनाने से पूर्व उसके नीचे चंदन दबा दें।
- एक बार भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जाए, तो बीच में उसे रोकें नहीं, अन्यथा पूरे मकान में राहु का वास हो जाता है।
- भवन निर्माण शुरू कराने से पूर्व भवन निर्माण करने वालों (कारीगरों) को मिष्ठान्न खिलाएं।
- भवन निर्माण से पूर्व मकान की जमीन पर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
- भवन निर्माण करते समय जमीन में से, या जमीन पर चीटियां निकले, तो उन चीटियों को शक्कर एवं आटा मिला कर खिलाएं।
- भवन के मालिक की जन्मकुंडली में पांचवें घर में केतु हो, तो भवन निर्माण के पहले केतु का दान अवश्य करें।
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