जन्म कुंडली अनुसार उपास्य देव
जन्म कुंडली मानव के सुख-दुख के निर्धारण के अलावा उसकी रूचि का भी दिग्दर्शन कराती है। इष्ट देव का निर्धारण भी जन्म कुंडली द्वारा संभव है, परन्तु इसमें देश-काल-धर्म -कुलादि का विचार भी आवश्यक है। जन्म कुंडली द्वारा इष्ट देव निर्धारण आदि में निम्न बातें महžवपूर्ण हैं।
पुरूष ग्रह- सू.मं.गु. पुरूष देवता- विष्णु, शिव, हनुमान आदि में भक्ति प्रदर्शित करते हैं।
स्त्री ग्रह- चं. शु. स्त्री देवता- सरस्वती, दुर्गा आदि में भक्ति प्रदर्शित करते हैं।
मिश्र ग्रह स्थिति होने पर मिश्र या युगल देवता में यथा गौरीशंकर, सीताराम आदि की भक्ति होती है।
1, 5, 9 भावों पर जैसे ग्रहों का प्रभाव होगा, वैसा ही जातक का उपास्य- देव होगा।
उपास्य देव के लिए लग्न सर्वाधिक महžवपूर्ण है।
क्रूर ग्रह- मं-श होने पर दुर्गा, काली, हनुमानजी आदि की भक्ति करें।
सौम्य ग्रह- गु-शु-चं-बु सौम्य देवता- राम, सरस्वती, शिव आदि की भक्ति देते हैं।
पुरूष ग्रहों+स्त्री ग्रह या सौम्य ग्रहों+क्रूर ग्रहों के संयुक्त स्वभाव से कई देवताओं की भक्ति होती है। बली ग्रह के अनुसार इष्ट देव का निर्धारण होता है। दी गई सारणी के द्वारा अपने इष्ट देव के बारे में जानें-
ऊपर बताई गई सभी स्थितियां व्यवहारानुसार लिखी हैं। क्योंकि मंगल के देवता हनुमानजी भी हैं और कार्तिकेय भी, किन्तु कार्तिकेयजी की पूजा प्रचलन में अधिक नहीं होने से हनुमानजी ही मंगल के प्रभाव से अधिकतम उपास्य देव होंगे। इसलिए इष्ट-देव निर्णय में सारणी से अधिक कुलोचित परंपरा व ग्रहों के स्वरू प का निर्णय महžवपूर्ण है।
लग्न/राशि ग्रह देवता
1,5,8 मं हनुमान, मं+गु- राम,
मं-गु-शु- कृष्ण-दुर्गा आदि
10,11,2,7 शु देवी, शु+श- काली, शु+श+बु=दुर्गा
शु+गु+चं.= सरस्वती आदि।
4 चं सरस्वती, चं+मं- हनुमानजी
चं+मं+गु- हनुमानजी व सीता रामजी
3, 6 बु दुर्गा/विष्णु, बु+गु- विष्णु,
बु+शु+चं+श- देवी आदि।
9 गु कुलानुसार विशेषकर पुरूष देवता।
गु+सू- सूर्य देव या श्रीराम आदि
12 गु राम, गु+मं=राम, हनुमान
गु+शु+चं-देवी, गु+चं=शिव-पार्वती
आदि उपास्य देव समझें।
- आचार्य अजय शर्मा
जन्म कुंडली मानव के सुख-दुख के निर्धारण के अलावा उसकी रूचि का भी दिग्दर्शन कराती है। इष्ट देव का निर्धारण भी जन्म कुंडली द्वारा संभव है, परन्तु इसमें देश-काल-धर्म -कुलादि का विचार भी आवश्यक है। जन्म कुंडली द्वारा इष्ट देव निर्धारण आदि में निम्न बातें महžवपूर्ण हैं।
पुरूष ग्रह- सू.मं.गु. पुरूष देवता- विष्णु, शिव, हनुमान आदि में भक्ति प्रदर्शित करते हैं।
स्त्री ग्रह- चं. शु. स्त्री देवता- सरस्वती, दुर्गा आदि में भक्ति प्रदर्शित करते हैं।
मिश्र ग्रह स्थिति होने पर मिश्र या युगल देवता में यथा गौरीशंकर, सीताराम आदि की भक्ति होती है।
1, 5, 9 भावों पर जैसे ग्रहों का प्रभाव होगा, वैसा ही जातक का उपास्य- देव होगा।
उपास्य देव के लिए लग्न सर्वाधिक महžवपूर्ण है।
क्रूर ग्रह- मं-श होने पर दुर्गा, काली, हनुमानजी आदि की भक्ति करें।
सौम्य ग्रह- गु-शु-चं-बु सौम्य देवता- राम, सरस्वती, शिव आदि की भक्ति देते हैं।
पुरूष ग्रहों+स्त्री ग्रह या सौम्य ग्रहों+क्रूर ग्रहों के संयुक्त स्वभाव से कई देवताओं की भक्ति होती है। बली ग्रह के अनुसार इष्ट देव का निर्धारण होता है। दी गई सारणी के द्वारा अपने इष्ट देव के बारे में जानें-
ऊपर बताई गई सभी स्थितियां व्यवहारानुसार लिखी हैं। क्योंकि मंगल के देवता हनुमानजी भी हैं और कार्तिकेय भी, किन्तु कार्तिकेयजी की पूजा प्रचलन में अधिक नहीं होने से हनुमानजी ही मंगल के प्रभाव से अधिकतम उपास्य देव होंगे। इसलिए इष्ट-देव निर्णय में सारणी से अधिक कुलोचित परंपरा व ग्रहों के स्वरू प का निर्णय महžवपूर्ण है।
लग्न/राशि ग्रह देवता
1,5,8 मं हनुमान, मं+गु- राम,
मं-गु-शु- कृष्ण-दुर्गा आदि
10,11,2,7 शु देवी, शु+श- काली, शु+श+बु=दुर्गा
शु+गु+चं.= सरस्वती आदि।
4 चं सरस्वती, चं+मं- हनुमानजी
चं+मं+गु- हनुमानजी व सीता रामजी
3, 6 बु दुर्गा/विष्णु, बु+गु- विष्णु,
बु+शु+चं+श- देवी आदि।
9 गु कुलानुसार विशेषकर पुरूष देवता।
गु+सू- सूर्य देव या श्रीराम आदि
12 गु राम, गु+मं=राम, हनुमान
गु+शु+चं-देवी, गु+चं=शिव-पार्वती
आदि उपास्य देव समझें।
- आचार्य अजय शर्मा
reference
http://www.patrika.com/article.aspx?id=7674
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