Search This Blog

Saturday, 12 November 2011

शनि का साढेसाती तथा ढैय्या का फल

शनि का साढेसाती तथा ढैय्या का फल


15 नवम्बर 2011 तक शनि कन्या राशि में रहेंगे, कन्या राशि के शनि का साढेसाती तथा ढैय्या का फल -
सिंह राशि पर साढेसाती समाप्ति की ओर है अर्थात उतरती है । यह समय व्यापार धनधान्य मान सम्मान सुखसम्पदा के लिये लाभदायी रहेगा।

कन्या   राशि पर साढेसाती भोग की है। शारीरिक कष्ट रक्त पित्त विकार स्त्री व सन्तान को कष्ट व्यापार में हानि राजभय तथा नाना प्रकार के कष्ट।

तुला राशि पर साढेसाती चढती हुई है। सुखसम्पति मिलेगी स्त्री सुख प्राप्त होगा कार्य तथा व्यवसाय में प्रगति होगी घर में मंगल कार्य होंगे।

कुम्भ राशि पर ढैय्या का प्रभाव रहेगा यह इस राशि के लिये लाभकारी रहेगी सुखसम्पति मिलेगी स्त्री सुख प्राप्त होगा कार्य तथा व्यवसाय में प्रगति होगी घर में मंगल कार्य होंगे।

मिथुन राशि के लिये ढैय्या हानिकारक शारीरिक कष्ट रक्त पित्त विकार स्त्री व सन्तान को कष्ट व्यापार में हानि राजभय तथा नाना प्रकार के कष्ट।

15 नवम्बर 2011 को शनि तुला में 10 बजकर 12 मिनट पर प्रवेश  करेंगे।

तुला राशि गत शनि का फल इस प्रकार रहेगा -
कन्या राशि पर साढेसाती अपने अन्तिम चरण में होगी। सुखसम्पति मिलेगी स्त्री सुख प्राप्त होगा कार्य तथा व्यवसाय में प्रगति होगी घर में मंगल कार्य होंगे। स्वास्थ ठीक रहेगा।

तुला राशि पर साढेसाती हृदय में होगी। सुखसम्पति मिलेगी स्त्री सुख प्राप्त होगा कार्य तथा व्यवसाय में प्रगति होगी। राजपक्ष से लाभ होगा,  घरेलू झंझट कर सकती है परेशान |

वृश्चिक राशि पर साढेसाती चढती हुई है। शारीरिक कष्ट रक्त पित्त विकार स्त्री व सन्तान को कष्ट व्यापार में हानि राजभय तथा नाना प्रकार के कष्ट।

कर्क राशि पर ढैय्या का प्रभाव रहेगा। शारीरिक कष्ट रक्त पित्त विकार स्त्री व सन्तान को कष्ट व्यापार में हानि राजभय तथा नाना प्रकार के कष्ट।  घर मे कलह।

मीन राशि पर भी ढैय्या का प्रभाव रहेगा। जीवन रहेगा संघर्षमय,  शारीरिक कष्ट रक्त पित्त विकार स्त्री व सन्तान को कष्ट व्यापार में हानि राजभय तथा नाना प्रकार के कष्ट।

शनि का प्रभाव कम करने के उपाय -

शनि की साढेसाती तथा ढैय्या के प्रभाव को कम करने के हमारे ग्रन्थो में अनेक उपचार बतलाये गये हैं। जिनके प्रयोग से इसके कुप्रभाव से वचा जा सकता है। ये उपचार इस प्रकार हैं -
  1. शनि के वैदिक या बीज मंत्र का 23000 की संख्या में जाप करें।
  2. शनिवार के दिन हनुमान जी की आराधना, चालीसा का पाठ, सुन्दर काण्ड का पाठ करें।
  3. शनिवार के दिन तैलदान, शनि स्तोत्र का पाठ करें।
  4. नीलम रत्न धारण करना भी लाभकारी होता है परन्तु पहले किसी ज्योतिषी का परामर्श अवश्य ले लें।
  5. शनि का बीज मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं पौं स: शनये नम:।
  6. शनि का वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नौ देवीरभिष्टयऽआपोभवन्तु पीतये। शंय्योरभिस्रवन्तु न:।
  7. शनि का तांत्रिक मंत्र - ऊँ शं शनैश्चराय नम:।
  8. शनि शान्ति के लिये दान-वस्तु - लोहा, तिल, तैल, कृष्णवस्त्र, उडद, नीलम, कुथली,।

REFERENCE            http://www.nakshatralok.com/shani.php





















No comments:

Post a Comment