हर रंग कुछ कहता है
पीला रंग: यह मूल रूप से गुरू से जुड़ा है। गुरू के रंग को केसरिया कहा गया है लेकिन जब पदार्थों में रंगों के मिश्रण की बात आती है तो पीले को ही गुरू के साथ जोड़कर देखा जाता है। पीली दाल, केसर, गेहूं, गुड़, हल्दी, सोना सहित बहुत से पदार्थों का पीलापन गुरू से संबंधित है। हालांकि सोने को सूर्य और केसर को मंगल से भी जोड़ा जाता है लेकिन इनमें गुरू की उपस्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता।
हरा रंग: यह बुध का रंग है। इसमें भेद नहीं होता। फिर भी हरे में पीला मिक्स यानि नींबू जैसा रंग हो तो समझिए कि बुध के साथ गुरू मिल चुका है। हरे रंग की दाल के अलावा घास, कपड़ा और टेलीकम्युनिकेशन भी बुध से जुड़े हैं। इस रंग को मानसिक शांति के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। क्योंकि यह रंग मानसिक हलचल को शांत करने में अहम भूमिका निभाता है इसीलिए अस्पतालों में हरे रंग के पर्दे लगाए जाते हैं।
काला रंग: काला रंग बहुत हद तक शनि से जुड़ा है। इस रंग को शनि से जोड़ने का तात्पर्य नेगेटिविटि से अधिक कनेक्ट होता है। वैसे लोहा, स्टील, कंस्ट्रक्शन, तिल, तेल, तेल की मिल या घाणी, आयन वकर्स्, सीमेंट सहित शनि से जुड़ी अधिकांश चीजों पर काले रंग का प्रभाव पड़ता है। बिजली के सामान की दुकान पर भी काले रंग का प्रभाव अधिक होता है। काले रंग में चांदी सी चमक मिला देने पर राहू का प्रभाव शामिल हो जाता है। यह थ्योरी थोड़ी काम्पलेक्स है।
नीला रंग और धूसर रंग: ये दोनों रंग मूल रूप से राहू के रंग हैं। इनसे देखी जाती है अनिश्चतता। वैसे वस्तुओं की बात की जाए तो ग्वार जैसी फसल राहू के अधिकार में आती है। एक ओर अपने रंग के कारण तो दूसरी ओर सटोरियों की प्रिय जिंस होने के कारण। इसके भावों की अनिश्चितता ने इसे राहू की फसल बना दिया है। जहां स्पार्किंग का काम हो वहां अगर धूसर रंग का वातावरण हो तो काम आसानी से और अच्छी तरह से होगा।
लाल रंग: यह मंगल का रंग है। लाल रंग की अधिकांश वस्तुओं पर मंगल का ही अधिकार होता है। फिर चाहे वह खून हो या सिंदूर या कुछ और। लाल रंग उत्साह, उमंग, यौवन और तेजी का पर्याय है। जब यह पैरों में होता है तो ऑथेरिटी का पर्याय बन जाता है। आपने देखा होगा कि आला दर्जे के प्रशासनिक अधिकारियों के कमरे में लाल कालीन अवश्य होता है।
इस तरह हर रंग पर किसी ने किसी ग्रह का अधिकार होता है। सूर्य का सुनहरा पीला है, चंद्रमा का सफेद, मंगल का लाल, गुरु का पीला, शनि का काला, बुध का हरा, शुक्र का गुलाबी, राहू का धूसर और केतू का चितकबरा यानि दो तरह के रंग आपस में पूरी तरह मिले हुए हों। जैसे काले और सफेद तिलों को आपस में मिला देने पर जो रंग मिलता हो वह केतू का रंग है। रंगों की व्याख्या अंतत: ग्रहों की व्याख्या तक पहुंचती है।
No comments:
Post a Comment