ग्रहों की शुभता और अशुभता जन्म कुंडली में भावगत स्थित ग्रहों के अनुसार होती है। जन्म कुंडली में भावगत ग्रह शुभ स्थिति में है, तो व्यक्ति को परिणाम भी अच्छे मिलते हैं। यदि अशुभ स्थिति में है, तो बनते हुए काम भी बिगड़ जाएंगे। प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ग्रह संबंधी मंत्र का जप या व्रत करें अथवा ग्रह संबंधी वस्तुओं का दान करें। यह उपाय इतने सरल और सुगम हैं, जिन्हें कोई भी साधारण व्यक्ति बडी आसानी से कर सकता है।
सूर्य के लिए- सूर्य की प्रतिकूलता दूर करने के लिए रविवार का व्रत रखें। भोजन नमक रहित करें। सूर्य संबंधी वस्तुओं- गुड़, गेहूं या तांबे का दान किसी औसत उम्र वाले व्यक्ति को दें। दान रविवार को सायंकाल करें। यदि चाहें तो गाय या बछड़े को गुड़-गेहूं अथवा वानरों को गुड-चना खिलाएं। अपने पिताजी की सेवा करें,उनके चरण स्पर्श करें। यह नहीं कर सकें तो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करके श्री आदित्य ह्वदयस्त्रोत का पाठ करें।
चंद्रमा के लिए- यदि कुंडली में चंद्रमा प्रतिकूल चल रहा हो तो सोमवार का उपवास शुरू कर दें। अपनी मां की सेवा करें। सोमवार की शाम किसी युवती को शंख, सफेद वस्त्र, दूध, चावल व चांदी का निरंतर दान करते रहें। गाय को सोमवार को सना हुआ आटा खिलाएं या पके हुए चावल में खांड मिलाकर कौओं को खिलाएं। चंद्रमा यदि दोषप्रद हो तो व्यक्ति रात्रि समय दूध एवं चावल का प्रयोग कदापि न करे।
मंगल के लिए- मंगल की प्रतिकूलता से बचाव के लिए मंगलवार का व्रत रखें। अपने छोटे भाई-बहिन का विशेष ख्याल रखें। मंगल की वस्तुओं- लाल कपड़ा, गुड़, मसूर की दाल, स्वर्ण, तांबा, तंदूर पर बनी मीठी रोटी का यथा-शक्ति दान करते रहें। आवेश पर हमेशा नियंत्रण रखने का प्रयास करें। हिंसात्मक कार्यो से दूर रहें।
बुध के लिए- बुध दोष निवाराणार्थ बुधवार का उपवास करें। इस दिन उबले हुए मंूग गरीब व्यक्ति को खिलाएं। गणेशजी की अभ्यर्थना दूर्वा से करें। हरे वस्त्र, मूंग की दाल का दान बुधवार मध्याह्न करें। बुध के दोष दूर करने के लिए अपने वजन के बराबर हरी घास गायों को खिलाएं। बहिन व बेटियों का हमेशा सम्मान करें।
गुरू के लिए- देवगुरू बृहस्पति यदि दशावश या गोचरवश प्रतिकूल परिणाम दे रहे हों तो गुरूवार का उपवास करें। इसके अलावा केले की पूजा, पीपल में नित्य जल चढ़ाना, गुरूजनों व विद्वान व्यक्तियों का सम्मान करने से भी गुरू की प्रतिकूलता दूर होती है।
शुक्र के लिए- शुक्र की प्रतिकूलता दूर करने के लिए शुक्रवार का व्रत किसी शुक्लपक्ष से प्रारंभ करें। फैशन संबंधी वस्तुओं इत्र, फुलेल, डियोडरेंट इत्यादि का प्रयोग ना करें। रेशमी वस्त्र, इत्र, चीनी, कर्पूर, चंदन, सुगंधित तेल इत्यादि का दान किसी ब्राह्मण युवती को दें।
शनि/राहु-केतु के लिए- शनि राहु-केतु मुख्यतया जप-तप की बजाए दान-दक्षिणा से ज्यादा प्रसन्न होते हैं। इनके द्वारा प्रदत्त दोष निवारणार्थ शनिवार का व्रत रखें। सुबह पीपल को जल से सींचे व सायंकाल घृत का दीपक जलाएं। काले वस्त्र व काली उड़द, लौह, तिल, सरसों का तेल, गाय आदि का दान करें।
No comments:
Post a Comment