प्राचीन परंपराओं के अनुसार नवरात्रि में माता को प्रसन्न करने के लिए कौन-कौन से काम करना चाहिए...
- नवरात्रि के प्रथम दिन पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं।
- इस वेदी पर अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें।
- कलश पर भी सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी या पाषाण की मूर्ति या चित्र की प्रतिष्ठा करें। मूर्ति न हो तो कलश के पीछे स्वस्तिक और उसके दोनों ओर त्रिशूल बनाकर दुर्गाजी का चित्र, पुस्तक या शालग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें।
- स्वस्तिवाचन, शांतिपाठ करके संकल्प करें।
- सबसे पहले गणेशजी की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह एवं वरुण देव की विधिपूर्वक पूजा करें।
- मुख्य मूर्ति (ईष्टदेव- श्रीराम, श्रीकृष्ण, लक्ष्मी-नारायण या भगवती दुर्गादेवी की मूर्ति मुख्य मूर्ति) का षोडशोपचार पूजन करें।
इनका ध्यान रखें
- पूजन के समय विद्वान पुरोहित का सान्निध्य होना आवश्यक है।
- दुर्गा देवी की पूजा-आराधना में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन और मार्कंडेय पुराण के अनुसार श्री दुर्गासप्तशती का पाठ करें।
- नवरात्रि के प्रथम दिन पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं।
- इस वेदी पर अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें।
- कलश पर भी सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी या पाषाण की मूर्ति या चित्र की प्रतिष्ठा करें। मूर्ति न हो तो कलश के पीछे स्वस्तिक और उसके दोनों ओर त्रिशूल बनाकर दुर्गाजी का चित्र, पुस्तक या शालग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें।
- स्वस्तिवाचन, शांतिपाठ करके संकल्प करें।
- सबसे पहले गणेशजी की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह एवं वरुण देव की विधिपूर्वक पूजा करें।
- मुख्य मूर्ति (ईष्टदेव- श्रीराम, श्रीकृष्ण, लक्ष्मी-नारायण या भगवती दुर्गादेवी की मूर्ति मुख्य मूर्ति) का षोडशोपचार पूजन करें।
इनका ध्यान रखें
- पूजन के समय विद्वान पुरोहित का सान्निध्य होना आवश्यक है।
- दुर्गा देवी की पूजा-आराधना में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन और मार्कंडेय पुराण के अनुसार श्री दुर्गासप्तशती का पाठ करें।
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ReplyDeleteBlack magic specialist
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