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Wednesday, 24 September 2014

घट स्थापना की विधि 2-014

घट स्थापना की विधि
पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर अपनी शक्ति के अनुसार बनवाए गए सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश को विधिपूर्वक स्थापित करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति की प्रतिष्ठा करें।
मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें। मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें। पूजन सात्विक हो, राजस या तामसिक नहीं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वास्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।
घट स्थापना के शुभ मुहूर्त
सुबह 06:19 से 07:47 तक- शुभ
दोपहर 12:11 से 01:28 तक- लाभ
दोपहर 01:28 से 3:17 तक- अमृत
शाम 04:45 से 06:13 तक- शुभ

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