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Wednesday 26 February 2014

शिवरात्रि

शिवरात्रि पर

मेष- इस राशि के लोग शिवलिंग पर कच्चा दूध एवं दही अर्पित करें। इसके साथ ही भोलेनाथ को धतुरा अर्पित करें। कर्पूर जलाकर भगवान की आरती करें।

वृषभ- वृष राशि के लोग किसी भी शिव मंदिर जाएं और भगवान शिव को गन्ने के रस से स्नान करवाएं। इसके बाद मोगरे का ईत्र शिवलिंग पर अर्पित करें। अंत में भगवान को मिठाई का भोग लगाएं एवं आरती करें।

मिथुन- आप स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करेंगे तो सर्वश्रेष्ठ रहेगा। यदि स्फटिक का शिवलिंग उपलब्ध न हो तो किसी अन्य शिवलिंग का पूजन किया जा सकता है। इस दिन मिथुन राशि के लोग लाल गुलाल, कुमकुम, चंदन, ईत्र आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। आक के फूल अर्पित करें। मीठा भोग लगाकर आरती करें।

कर्क- इस राशि के लोग अष्टगंध एवं चंदन से शिवजी का अभिषेक करें। आटे से बनी रोटी का भोग लगाकर शिवलिंग का पूजन करें। बैर अर्पित करें।

सिंह- इस राशि के लोगों को फलों के रस के साथ, पानी में चीनी घोलकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही शिवजी को आक के पुष्प अर्पित कर मीठा भोग लगाएं।

कन्या- आप महादेव को बैर, धतुरा, भांग और आक के फूल अर्पित करें। इसके साथ ही बिल्व पत्र पर नैवेद्य रखकर अर्पित करें। कर्पूर मिश्रित जल से अभिषेक कराएं।

तुला- तुला राशि के लोग जल में अलग-अलग फूल डालकर, उस जल से शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद बिल्व पत्र, मोगरा, गुलाब, चावल, चंदन आदि भोलेनाथ को अर्पित करें। अंत में आरती करें।

वृश्चिक- इन लोगों को शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। शहद, घी से स्नान कराने पश्चात पुन: जल से स्नान कराएं एवं पूजन कर आरती करें।

धनु- धनु राशि के लोग शिवजी को सूखे मेवे का भोग लगाएं। बिल्व पत्र, गुलाब आदि अर्पित करके आरती करें।

मकर- आप गेहूं लेकर किसी शिव मंदिर जाएं। वहां गेंहू से शिवलिंग को ढंककर, विधिवत पूजन करें। पूजन-आरती पूर्ण होने के बाद गेंहू का दान कर दें। इस उपाय से आपकी सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।

कुंभ- ये लोग सफेद और काले तिल एक साथ किसी ऐसे शिवलिंग पर चढाएं, जो एकांत में हो। शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से पहले जल अर्पित करें। इसके बाद काले-सफेद तिल अर्पित करें, पूजन के आद आरती करें।

मीन- इस राशि के लोगों को किसी ऐसे शिवलिंग का पूजन करना चाहिए जो पीपल के नीचे स्थित हो। यदि आपके घर के आसपास ऐसा शिवलिंग न हो तो किसी पीपल के नीचे स्वयं छोटा सा शिवलिंग स्थापित कर पूजन करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए बिल्व पत्र चढ़ाएं तथा आरती करें।

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