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Wednesday 10 August 2011

नक्षत्र वृक्ष


 मानवीय जीवन में नक्षत्र का काफी महत्वपूर्ण स्थान है।ऐसी मान्यताएं है कि जिस व्यक्ति का जन्म जिस व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में होता है, उस क्षेत्र के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक स्थिति सुढ  बनी रहती है, यही कारण है कि सदियों पहले जिस नई सभ्यता ने जिस पौराणिक मान्यताओं को त्याग दिया था, आधुनिक पीढ ी का विश्र्वास फिर से पुरानी मान्यताओं पर बढ ा है।
 नक्षत्र को न सिर्फ भारतीय संस्कृति में काफी अहम स्थान दिया गया है, बल्कि कई विदेशी संस्कृतियों में भी नक्षत्र की महत्ता को स्वीकार किया गया है। जबकि इसे वैज्ञानिक ष्टिकोण से भी नक्षत्र की ग्रह-दशा निर्धारित करने के लिए मानचित्र बनाया गया है और किन नक्षत्रों की क्या स्थिति है,इसकी भी स्पष्ट  व्याखया की गई है।
 भारतीय हिन्दू संस्कृति में नक्षत्रों की गणना आदिकाल से ही की जाती रही। शब्दकोष के अनुसार- ‘नक्षत्र’ आकाश में तारा-समूह को कहते हैं। साधारणतः यह चंद्रमा के पथ से जुड े हैं, परंतु वास्तव में किसी भी तारा समूह को नक्षत्र कहना उचित है। ऋग्वेद में एक स्थान में सूर्य को भी नक्षत्र कहा गया है, अन्य नक्षत्रों में सप्तर्षि और अगस्त्य है, नक्षत्र सूची की विस्तृत जानकारी अर्थवेद, तैत्तिरीय, संहिता, शतपथ, ब्राह्मण और लगध के वेदाड्‌.ग ज्योतिष में मिलती है। इसके अनुसार २७नक्षत्रों अश्र्िवनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाख, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ ा, उत्तराषाढ ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवति और अभिजित का जिक्र विभिन्न वेद, पुराण व उपनिषद में मिलते है।
१.अश्र्िवनीः-
 अश्र्िवनी नक्षत्र के देवता केतु को माना जाता है, जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से आंवला के पेड़ को अश्र्िवनी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और अश्र्िवनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग आंवला के पेड  की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में आंवला के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में अश्र्िवनी नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखा गया है।


२.भरणीः-
 भरणी नक्षत्र के देवता शुक्र को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से युग्म वृक्ष के पेड  को भरणी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग युग्म वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में युग्म वृक्ष के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में भरणी नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


३. कृत्तिकाः-
 कृत्तिका नक्षत्र के देवता रवि को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से गुलर के पेड  को कृत्तिका नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग गुलर के पेड  पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में गुलर के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में कृत्तिका नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।

४. रोहिणीः-
 रोहिणी नक्षत्र के देवता चंद्र को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से जामुन के पेड  को रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग जामुन के पेड  की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में जामुन के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में रोहिणी नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


५.मृगशिराः-
 मृगशिरा नक्षत्र के देवता मंगल को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से खैर के पेड़ को मृगशिरा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग खैर वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में खैर के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में मृगशिरा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।



६.आद्राः-
 आद्रा नक्षत्र के देवता राहु को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से पाकड  के पेड  को आद्रा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और आद्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग पाकड  वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में पाकड  के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में पाकड  नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।



७.पुनर्वसुः-
 पुनर्वसु नक्षत्र के देवता वृहस्पति को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से बांस के पेड  को पुनर्वसु नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बांस के वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में बांस के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में पुनर्वसु नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।



८.पूष्यः-
 पुष्य नक्षत्र के देवता शनि को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से पीपल के पेड  को पूष्य नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग पीपल वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में पीपल वृक्ष के पेड  को भी लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में पूष्य  नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।



९.अश्लेशाः-
 अश्लेशा नक्षत्र के देवता बुध को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से नागकेशर के पेड़ को अश्लेशा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और अश्लेशा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग नागकेशर की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में नागकेशर के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में अश्लेशा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


१०.मघाः-
 मघा नक्षत्र के देवता केतु को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से बरगद के पेड  को मघा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बरगद की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में बरगद के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में मघा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।



११.पूर्वाफल्गुनीः-
 पूर्वाफल्गुनी नक्षत्र के देवता शुक्र को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से पलास के पेड  को पूर्वा फल्गुनी  नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और पूर्वा फल्गुनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग पलास वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में पलास के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में पूर्वा फल्गुनी नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


१२.उत्तराफाल्गुनीः-
 उत्तराफल्गुनी नक्षत्र के देवता रवि को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से रुद्राक्ष के पेड  को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग रुद्राक्ष वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में रुद्राक्ष के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


१३.हस्तः-
 हस्त नक्षत्र के देवता चंद्र को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से रीठा के पेड  को हस्त नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और हस्त नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग रीठा के वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में रीठा के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में हस्त नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


१४.चित्राः-
 चित्रा नक्षत्र के देवता चित्रगुप्त को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से बेल के पेड़ को चित्रा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बेल वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में बेल के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में चित्रा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


१५.स्वातीः
 स्वाती नक्षत्र के देवता राहु को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से अर्जुन के पेड  को स्वाती नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और स्वाती नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अर्जुन वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में अर्जुन के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में स्वाती नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।



१६.विशाखाः-
 विशाखा नक्षत्र के देवता वृहस्पति को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से विकंकत के पेड  को विशाखा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और विशाखा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग विकंकत वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में विकंकत के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में विकंकत नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


१७.अनुराधाः-
 अनुराधा नक्षत्र के देवता शनि को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से मौल श्री के पेड  को अनुराधा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और अनुराधा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग मौल श्री की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में मौल श्री के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में मौल श्री नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


१८.ज्येष्ठाः-
 ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता बुध को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से चीड  के पेड  को ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग चीड  की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में चीड  के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में ज्येष्ठा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।



१९.मूलः-
 मूल नक्षत्र के देवता केतु  को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से साल के पेड़ को मूल नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग साल वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में साल के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में मूल नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२०.पूर्वाषाढ ाः-
 पूर्वाषाढ ा नक्षत्र के देवता शुक्र को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से सीता अशोक के पेड  को पूर्वाषाढ ा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और पूर्वाषाढ ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग सीता अशोक के पेड  की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में सीता अशोक के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में पूर्वाषाढ ा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२१.उत्तराषाढ ाः-
 उत्तराषाढ ा नक्षत्र के देवता रवि को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से कटहल के पेड  को उत्तराषाढ ा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और उत्तराषाढ ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग कटहल वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में कटहल के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में उत्तराषाढ ा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२२.श्रवणः-
 श्रवण नक्षत्र के देवता चंद्र को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से अकवन के पेड  को श्रवण नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अकवन वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में अकवन के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में अकवन नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२३.श्रविष्ठा या घनिष्ठा :-
 श्रविष्ठा नक्षत्र के देवता मंगल को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से शम्मी के पेड  को श्रविष्ठा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और श्रविष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग शम्मी के पेड  की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में शम्मी के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में श्रविष्ठा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२४.शतभिषाः-
 शतभिषा नक्षत्र के देवता राहु को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से कदम्ब के पेड़ को शतभिषा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग कदम्ब वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में कदम्ब के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में शतभिषा नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२५.पूर्व भाद्रपदः-
 पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के देवता वृहस्पति को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से आम के पेड  को पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग आम के पेड  की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में आम के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में पूर्व भाद्रपद नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२६.उत्तर भाद्रपदाः-
 उत्तर भाद्रपदा नक्षत्र के देवता शनि को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से नीम के पेड  को उत्तर भाद्रपदा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और उत्तर भाद्रपदा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग नीम के पेड  की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में नीम के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।


२७.रेवतीः
 रेवती नक्षत्र के देवता बुध को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से महुआ के पेड  को रेवती नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और रेवती  नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग महुआ की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में महुआ के पेड  को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में रेवती नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।

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