भवन बनाते समय चुनें सही लकड़ी | |||||||||||||
कन्हैयालाल मंगलानी | |||||||||||||
भारत के लोगों की नक्षत्र और ग्रहों के प्रति गहरी आस्था है। ग्रहों की अनुकूलता एवं प्रतिकूलता का प्रभाव अवश्य पड़ता है। यज्ञ, जाप, धार्मिक अनुष्ठान करते-कराते हैं और इन सबसे प्राय अभीष्ठ की कामना निहित होती है। पेड़-पौधों का भी काल पा में सूर्य-चंद्र आदि नवग्रहों व ज्योति से अत्यंत निकट का और घनिष्ठ संबंध बताया जाता है। हवन यानी यज्ञ में लगने वाली सामग्री (समिधा) विभिन्न पेड़-पौधों एवं वनस्पतियों से निर्मित होती है। पेड़-पौधों पर लगभग समस्त प्राणी निर्भर हैं। जो लोग कीमती रत्न खरीदने में असमर्थ हों, वे पेड़-पौधों के पत्ते या जड़ की सहायता ले सकते हैं। ाtर्य ग्रह- यदि आपकी पुंडली में सूर्य कमजोर, नीच या अशुभ प्रभाव दे रहा है तो बेल-पत्र लाल या गुलाबी धागे में रविवार को धारण करें। अशुभ प्रभाव में कमी आएगी। चंद्र ग्रह- यदि चंद्र दूषित है या अशुभ है तो सोमवार को सुबह खिरनी की जड़ सफेद धागे में धारण करें। मंगल ग्रह- यदि आप मांगलिक हैं, मंगल अष्टम या बारहवें भाव में है तो मंगलवार को दोपहर के समय अनंत मूल की जड़ लाल धागे में धारण करें। बुध ग्रह- बुध नकारात्मक प्रभाव दे रहा हो तो बुधवार की सुबह विधारा की जड़ को हरे धागे में पहनें। गुरु ग्रह- गुरु केन्द्राधिपति दोष से पीड़ित हो, अशुभ प्रभाव दे रहा हो या प्रभावहीन हो, ऐसे में भारंगी या केले की जड़ गुरुवार को दोपहर के समय पीले धागे में धारण करें। पा ग्रह- केन्द्राधिपति दोष से ग्रस्त हो तो पावार की सुबह सरपोरवा की जड़ सफेद धागे में पहनें। शनि ग्रह- शनि की साढ़ेसाती या अढैया की स्थिति में शनिवार की सुबह नीले धागे में बिच्छू की जड़ धारण करें। राहु ग्रह- राहु ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए सफेद चंदन का टुकड़ा नीले धागे में बुधवार को पहनें, लाभ होगा। केतु ग्रह- केतु ग्रह की शुभता प्राप्त करने हेतु अश्वगंध की जड़ को नीले धागे में गुरुवार को धारण करें। अशुभ प्रभाव समाप्त हो सकता है। घर में अलग-अलग किस्म की लकड़ी कई बाधाओं को जन्म देती है। इस दृष्टि से प्राय शीशम, साल, पनस, सुपारी और नाग आदि के वृक्षों की लकड़ी ज्यादा उपयोगी होती है। कुछ वास्तु ग्रंथों में बबूल की लकड़ी को अच्छा नहीं माना जाता, किंतु मजबूती के कारण इसे ग्राह्य मान लिया गया है। काँटे तथा दूधवाले पेड़ों की लकड़ी का उपयोग वर्जित माना है। |
We cannot change the circumstances in which our soul chose to be born, but we can definitely change the circumstances in which we grow.ASTROLOGY, VASTU SASTRA, AURA, AROMA. SHIVYOG,ARTOF LIVING, ISHAYOG,OSHO AND NEWAGE MEDITATION अध्यात्म, ज्योतिष, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, वेद, पुराण, इतिहास, गुढ़-रहस्य समस्त समस्या का निराकरण सम्भव नहीं है, मात्र कुछेक समस्या का ही समाधान सम्भव है। Accurate Horoscope Analysis and Remedies for All Problems
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Friday 8 July 2011
भवन बनाते समय चुनें सही लकड़ी
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