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Monday 27 June 2011

हल्दी की सरल पूजा से बने धनवान

भारतीय सनातन परंपराओं में ईश्वर की निकटता और जीवन में पुरुषार्थ सिद्धी के लिए तीन मार्ग अपनाए जाते हैं- मंत्र, तंत्र और यंत्र। इनमें तंत्र के अधिष्ठाता देव भगवान शंकर को माना जाता है। धर्मग्रंथों में जीवन के चार पुरुषार्थ बताए गए हैं। इनमें से अर्थ यानि धन की आवश्यकता को जीवन में नकारा नहीं जा सकता। धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति धन पाने के लिए मेहनत, परिश्रम के साथ-साथ ईश्वर कृपा को भी महत्वपूर्ण मानता है। तंत्र विज्ञान में मानव जीवन की इसी जरुरत को महत्व दिया गया है और धन पाने के अनेक आसान उपाय और प्रयोग बताए गए हैं।






हिन्दू धर्म में धन और ऐश्वर्य की देवी विष्णुपत्नी महालक्ष्मी है। जानते हैं लक्ष्मी की प्रसन्नता से धनवान होने के लिए तंत्र विज्ञान में बताया गया सरल प्रयोग। यह प्रयोग है रसोई में प्राय: मसालों के रुप में उपयोग आने वाली हल्दी से धन प्राप्ति का। हर व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में हल्दी का उपयोग किसी न किसी रुप में करता है। भोजन, चोट लगने, मांगलिक कार्य, पूजा-अर्चना में हल्दी का उपयोग किया जाता है। अक्सर हम हल्दी की पीली और नारंगी रंग गांठ देखते हैं। किंतु इन्हीं हल्दी की गांठों में संयोग से कभी-कभी काले रंग की गांठ भी पैदा हो जाती है। लेकिन जानकारी के अभाव में हम उसे खराब मानकर अलग कर देते हैं। जबकि तंत्र विज्ञान के अनुसार यह काली गांठ ही धन का खजाना माना जाता है। जिसकी विधिवत साधना से अपार धन-संपदा पाई जा सकती है।





हल्दी को संस्कृत में हरिद्रा भी कहा जाता है। तंत्र विद्या में लक्ष्मी प्राप्ति के इस प्रयोग को साधना कहा जाता है। तंत्र विज्ञान में काली हल्दी बहुत अनमोल, अद्भुत और देवीय गुणों वाली मानी जाती है। हालांकि इसका रंग-रुप भद्दा और अनाकर्षक होता है, किंतु धन प्राप्ति की दृष्टि से बहुत प्रभावकारी मानी गई है।





अगर संयोग से आपको काली हल्दी मिल जाए तो आप स्वयं को सौभाग्यशाली मानें। उसे अपने देवालय में विष्णु-लक्ष्मी प्रतिमा के समीप रखें और विधिवत पूजा करें। माना जाता है कि इसके रखने मात्र से ही घर में सुख-शांति आने लगती है। काली हल्दी की गांठ को चांदी के साथ या किसी भी सिक्के के साथ एक स्वच्छ और नए वस्त्र में बांधकर अन्य देव प्रतिमाओं के साथ पूजा करें। इस पोटली को गृहस्थ अपने घर की तिजोरी और व्यापारी अपने गल्ले में रख दें। ऐसा करने पर धनोपार्जन में आने वाली बाधा दूर होती है और अद्भूत धनलाभ होता है। तंत्र विज्ञान में काली हल्दी की गांठ या हरिद्रा तंत्र की सिद्धी के लिए पूजा विधान, नियम बताए गए हैं। यह पूजा कैसे और किस देवता की करें। यह जानने के लिए नीचे क्लिक करें -


धन प्राप्ति के लिए हल्दी की काली गांठ यानि हरिद्रा तंत्र की साधना शुक्ल या कृष्ण पक्ष की किसी भी अष्टमी से शुरु की जा सकती है। इसके लिए पूजा सूर्योदय के समय ही की जाती है।




- सुबह सूर्यादय से पहले उठकर स्नान कर पवित्र हो जाएं।



- स्वच्छ वस्त्र पहनकर सूर्योदय होते ही आसन पर बैठें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। ऐसा स्थान चुनें, जहां से सूर्यदर्शन में बाधा न आती हो।



- इसके बाद काली हल्दी की गाँठ की पूजन सामग्री, धूप-दीप से पूजा करें। उदय काल के समय सूर्यदेव को प्रणाम करें। आपके समक्ष रखी काली हरिद्रा या हल्दी की गाँठ) को नमन कर भगवान सूर्यदेव के मंत्र 'ओम ह्रीं सूर्याय नम:' का 108 बार माला से जप करें।



- यह प्रयोग नियमित करें ।



- पूजा के साथ-साथ अष्टमी तिथि को यथासंभव उपवास रखें। संभव न हो तो व्रत रखें। व्रत-उपवास में खान-पान का नियम-संयम रखें और दान-पुण्य और ब्राह्मण भोजन कराने पर यह प्रयोग बहुत प्रभावकारी सिद्ध होता है।





- हरिद्रा सिद्धी में कुछ बातें विशेष ध्यान रखने योग्य है। व्रत-उपवास में मूली, गाजर और जमीकन्द यानि सूरन न खाएं। इनका सेवन निषेध बताया गया है।



हरिद्रा तंत्र की नियम-संयम से साधना व्रती को मनोवांछित और अनपेक्षित धनलाभ होता है। रुका धन प्राप्त हो जाता है। परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस तरह एक हरिद्रा यानि हल्दी घर की दरिद्रता को दूर कर देती है।

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