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Friday 1 November 2013

आय-व्यय चक्र

महालक्ष्मी वर्ष का आय-व्यय चक्र

धन धान्य और आर्थिक पक्ष से जुड़ा हुआ यह महालक्ष्मी वर्ष दीपावली यानि महालक्ष्मी पर्व की रात्रि 3 नवम्बर 2013 से आरंभ हो रहा है। वर्ष 2014 में गुरूवार 23 अक्टूबर को महालक्ष्मी पुनः अवतरित होंगी। इस पूरे साल में 12 राशियों का आय-व्यय चक्र नीचे दिया जा रहा है। ग्रहों का सभी राशियों पर आकाश चक्र से सीधा सम्बन्ध जुड़ा हुआ रहता है। कोई चाहे आजीविका के तौर पर नौकरी करे या कारोबार, व्यापार करे या एजेन्सी का कार्य, कृषि हो या शेयर बाजार का धन्धा, सर्राफा हो या ट्रांसपोर्ट का कारोबार, धनाढ्य से लेकर आम आदमी तक महालक्ष्मी की राशिगत स्थिति क्या रहेगी, इसका आकलन हम यहां दिये जा रहे महालक्ष्मी वर्ष 2013-14 के भविष्य फल में कर रहे हैं। सभी राशियों को अपने भाग्य और कर्म के अनुसार नतीजे और परिणाम मिलेंगे। कुछ ऐसे भी महानुभाव होंगे, जो रातों-रात अमीर हो जायेंगे। कुछ ऐसे भी संघर्षशील व्यक्ति होंगे, जिनको बड़े कष्ट के बाद लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यह सब प्रकृति और प्रारब्ध का ही लेखा-जोखा है। प्रयत्न और परिश्रम करने पर लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होती है। लेकिन लक्ष्मी के भी कई दूत और गण हैं। जिनकी पूजा करने से साधकों की मनोकामना पूर्ण होती है। फिलहाल इस महालक्ष्मी वर्ष का आय-व्यय चक्र नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है।



आय-व्यय चक्र 2013-14

राशि- मेष- वृष- मिथुन- कर्क- सिंह- कन्या- तुला- वृश्चिक- धनु- मकर- कुंभ- मीन

आय- 14 8 11 5 8 11 8 14 2 5 5 2

व्यय- 3 12 9 8 3 9 12 3 12 6 6 12



आय-व्यय देखने की विधि:- आप अपनी चन्द्र राशि के अनुसार उपरोक्त आय और व्यय की संख्या को जोड़ कर उसमें से 1 घटा दें। जो शेष बचे उसमें 7 का भाग दें। भाग देने के उपरान्त यदि 1 शेष बचे तो उस वर्ष धनलाभ अच्छा होता है। जमीन-जायदाद और नये काम करने से फायदा होता है। यदि 2 शेष बचे तो परिवार की धन वृद्धि होती है। सभी लोग काम पर लगे रहते हैं। यदि 3 शेष बचे तो रोग-बीमारी और झगड़े के कारण आमदनी में वृद्धि नहीं हो पाती है। अच्छी कमाई के बावजूद खर्च भी बढ़ जाते हैं। अगर 4 शेष बचे तो व्यापार या नौकरी में लाभ नहीं के बराबर होता है और खर्च बढ़-चढ़कर होते हैं। यदि 5 शेष बचे तो धन की तंगी के बावजूद मन मे संतोष रहता है और बीच-बीच में कभी-कभार अच्छा फायदा हो जाता है। यदि 6 शेष बचे तो दिनरात धन कमाने की चिन्ता लगी रहती है। आंशिक रूप से धन लाभ भी होता रहता है परन्तु खर्च भी बेहिसाब हो जाता है। यदि 7 या 0 शेष बचे तो अच्छे लाभ के बावजूद बचत कम होती है, निवेश-जायदाद या नये करोबार में धन लगाने से लाभ होता रहता है।



उदाहरण:- प्रवीण कुमार की कन्या राशि है। इस महालक्ष्मी वर्ष में उसकी आय और व्यय का आंकड़ा 11 और 9 है। इसका जोड़ हुआ 20। इसमें से 1 घटा दिया तो शेष बचे 19। इसमें 7 का भाग दिया तो शेष बचे 5। इस 5 का फल उपरोक्त के अनुसार इस प्रकार रहेगा - धन की तंगी के बावजूद मन मे संतोष रहता है और बीच-बीच में कभी-कभार अच्छा फायदा हो जाता है। इसी प्रकार अन्य राशियों का भी आय-व्यय का हिसाब ज्ञात करें।

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