वास्तुदोष - निवारण के उपाय
१. घर में वास्तु दोष होने पर उचित यही हे , कि उसे यथासम्भव वास्तुशास्त्र के अनुसार ठीक कर ले अथवा उसे बेचकर दुसरा मकान अथवा जमीन खरीदे ले।
जहाँ तक हो सके, निर्मित मकान में तोड़ -फोड़ नहीं करना चाहिए। तोड़फोड़ करने से वस्तुभंग दोष लगता है। इसलिए वास्तुशास्त्र में आया है --
' घर के पुराना होने पर , दिवार के गिर जाने पर , अथवा छिन्न - भिन्न होने पर उसे सोने से बने हुए नागदंत ( हाथी दांत ) अथवा गोउश्रिङ्ग ( गाय के सिंग ) से वास्तुपुजन्पुर्वक गिरवाने से वस्तुभंग का दोष नहीं लगता। ( वस्तुराज ० ५।३८ )
२. घर में अखंड रूप से श्रीरामचरितमानस के नॉ पाठ करने से वास्तु जनित दोष दूर हो जाते हे।
३. घर में नॉ दिनों तक अखंड भगवन्नाम कीर्तन करने से वास्तु जनित दोष का निवारण हो जाता हे।
४. मुख्य द्वार के ऊपर सिन्दूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनायें। यह चिन्ह ९ अंगुल लम्बा और ९ अंगुल चौड़ा होना चाहिए। घर में जहाँ - जहाँ वास्तुदोष हो, वहां -वहां यह चिन्ह बनाया जा सकता हे।
५. प्रत्येक त्रिमास ( ३ महीनो में एक बार ) घर में एक हवन अवश्य करायें।
६. वर्ष में एक बार वास्तुदेव के साथ ब्रम्हदेव का हवन करवाएं।
१. घर में वास्तु दोष होने पर उचित यही हे , कि उसे यथासम्भव वास्तुशास्त्र के अनुसार ठीक कर ले अथवा उसे बेचकर दुसरा मकान अथवा जमीन खरीदे ले।
जहाँ तक हो सके, निर्मित मकान में तोड़ -फोड़ नहीं करना चाहिए। तोड़फोड़ करने से वस्तुभंग दोष लगता है। इसलिए वास्तुशास्त्र में आया है --
' घर के पुराना होने पर , दिवार के गिर जाने पर , अथवा छिन्न - भिन्न होने पर उसे सोने से बने हुए नागदंत ( हाथी दांत ) अथवा गोउश्रिङ्ग ( गाय के सिंग ) से वास्तुपुजन्पुर्वक गिरवाने से वस्तुभंग का दोष नहीं लगता। ( वस्तुराज ० ५।३८ )
२. घर में अखंड रूप से श्रीरामचरितमानस के नॉ पाठ करने से वास्तु जनित दोष दूर हो जाते हे।
३. घर में नॉ दिनों तक अखंड भगवन्नाम कीर्तन करने से वास्तु जनित दोष का निवारण हो जाता हे।
४. मुख्य द्वार के ऊपर सिन्दूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनायें। यह चिन्ह ९ अंगुल लम्बा और ९ अंगुल चौड़ा होना चाहिए। घर में जहाँ - जहाँ वास्तुदोष हो, वहां -वहां यह चिन्ह बनाया जा सकता हे।
५. प्रत्येक त्रिमास ( ३ महीनो में एक बार ) घर में एक हवन अवश्य करायें।
६. वर्ष में एक बार वास्तुदेव के साथ ब्रम्हदेव का हवन करवाएं।
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