हमारे मान्य पशु पक्षी और अस्त्र शस्त्र
सांप भी हमारे यहां पवित्र माना जाता है। नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा होती है। बाल्यावस्था के कुछ संस्कारों में , विशेषकर कपूरों के यहां नाग को दूध पिलाए जाने की प्रथा है। हिंदु कितने अहिंसक थे, यह इस बात का प्रमाण है। सांप जैसे विषैले जीव के प्रति भी दया और प्रेम का भाव रखते थे। चरित्र की उच्चता का यह प्रदर्शन स्तुत्य है।
हिंदुओं की दृष्टि में तोता भी एक पवित्र पक्षी है , इसलिए इसे भी काफी घरों में पाला जाता है।
मोर सरस्वती का वाहन है , कुछ घरों में मोर भी पाला जाता है , घर में मोर होने से सांप का भय नहीं होता है।
नीलकंठ भी एक पवित्र पक्षी है , दशहरे के दिन नीलकंठ का देखना शुभ माना जाता है।
खत्री एक शूर जाति है। अत: प्राचीन अस्त्र शस्त्र जैसे धनुष, बाण , भाला , कटार, तलवार आदि क्षत्रियों के हथियार थे। अब ये अस्त्र शस्त्र खत्रियों के यहां नहीं मिलेंगे। पर जिस तरह सिखों के यहां कटार रखने का नियम है , वैसे ही तलवार खत्रियों के हर घर में मिल जाएगा। यह खत्रियों का पवित्र हथियार है। दशहरे के दिन अस्त्र शस्त्र , विशेषकर तलवार की पूजा हर खत्री करता है। तलवार न होने पर कटार या चाकू से भी काम चलाया जा सकता है। विवाह के अवसर पर वर तलवार लिए घोडे पर सवार होकर ब्याह करने जाता है और अपनी तलवार से नारियल पर वार करता है।
( खत्री हितैषी के स्वर्ण जयंती विशेषांक से साभार )
No comments:
Post a Comment