धर्मग्रंथो के अनुसार हमारे मान्य वृक्ष
पौधों में सबसे पवित्र तुलसी या वृंदा का पौधा है। रामा और श्यामा दोनों प्रकार की तुलसी के पौधें हिंदू घरों में पूज्य हैं। वृंदा के पौधों की अधिकता के कारण ही कृष्ण की लीलाभूमि वृंदावन कहलायी। तुलसी के असंख्य लाभों को गिनाने की आवश्यकता ही नहीं, क्यूंकि उसका ज्ञान प्रत्येक भारतीय को है। धतूरे का फल , फूल और बीज भी पवित्र समझे जाते हैं। धतुरा महादेवजी का प्रिय भोज्य है। शिवलिंग पर धतूरा तथा बेलपत्र चढाया जाता है। बेल की पत्तियां भी अत्यंत पवित्र समझी जाती हैं।
यूं तो भगवान की पूजा में सभी फूल चढाए जाते हैं, पर सबसे अधिक महत्व कमल का माना जाता है। कमल का फूल अत्यंत पवित्र होता है , उसके बिना तो कवियों का काम ही नहीं चलता।
अशोक वृक्ष का महत्व भी हिंदुओं में इसलिए है, क्यूंकि अशोक वाटिका में रावण के यहां इसी वृक्ष के नीचे सीताजी रही थी। कहते हैं , जब कोई संभवा नवयौवना के चरण अशोक वृक्ष में लग जाते हैं , तभी वो पुष्पित होता है।
कुंद का पुष्प भी पवित्र माना जाता है। श्वेत कुंद के फूल से ही शिवजी के शरीर की उपमा दी जाती है, जैसे नीलकमल से विष्णु , राम और कृष्ण के शरीर की। पलाश के फूलों के रंग से होली खेली जाती है। अत: टेसु , कुंद , कमल और धतूरे के फूल भी पवित्र माने जाते हैं।
(खत्री हितैषी के स्वर्ण जयंती विशेषांक से साभार)
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