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Thursday 9 February 2012

होलिका दहन

होलिका दहन  






होली का त्यौहार  हमारी पौराणिक कथाओं में श्रद्धा विश्वास और भक्ति का त्यौहार माना गया है तथा साथ ही होली के दिन किये जाने वाले अद्‌भूत प्रयोगों से मानव अपने जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति भी पा सकता है। होली हर वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को मनायी जाती है तथा भद्रारहित समय में होली का दहन किया जाता हैं।

होली की रात होलिका दहन मे से जलती हुई लकडी घर पर लाकर नवग्रहों की लकडियों एवं गाय के गोबर से बने उपलों की होली प्रज्जवलित करनी चाहिए। उसमें घर के प्रत्येक सदस्य को देसी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता चढाना चाहिए तथा सभी को उस होलिका की ग्यारह परिक्रमा करते हुए सूखे नारियल की होली में आहुति देनी चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार आध्यात्मिक महत्व को देखते हुये होली की पूजा तथा दहन के पश्चात बची हुई राख के द्वारा विभिन्न प्रयोग लाभदायक हो सकते हैं।


१. होली की पूजा मुखयतः भगवान विष्णु (नरसिंह अवतार) को ध्यान में रखकर की जाती है।
२. होली दहन के समय  ७ गोमती चक्र  लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र दहन में डाल दें।
३. होली दहन के दूसरे दिन होली की राख को घर लाकर उसमें थोडी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
४. होली के दिन से शुरु होकर बजरंग बाण का ४० दिन तक नियमित पाठ करनें से हर मनोकामना पूर्ण होगी।
५. यदि उधार दिया हुआ पैसा वापस नहीं आ रहा हैं तो होली दहन के दूसरे दिन बचे हुये कोयले से वहीं धरती पर उस व्यक्ति का नाम लिखे तथा उस नाम के उपर हरा रंग इस तरह डाल दें कि पूरा नाम लुप्त हो जाये। इस प्रयोग से वह व्यक्ति शीघ्र धन वापस कर देगा।
६. यदि व्यापार या नौकरी में उन्नति न हो रही हो, तो २१ गोमती चक्र लेकर होली दहन के दिन रात्रि में शिवलिंग पर चढा दें।
७. नवग्रह बाधा के दोष को दूर करने के लिए होली की राख से शिवलिंग की पूजा करें तथा राख मिश्रित जल से स्नान करें।

८. होली वाले दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य करायें।
९. होली की रात्रि को सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाकर पूजा करें व भगवान से सुख - समृद्धि की प्रार्थना करें। इस प्रयोग से बाधा निवारण होता है।
१०. यदि बुरा समय चल रहा हो, तो होली के दिन पेंडुलम वाली नई घडी पूर्वी या उत्तरी दीवार पर लगाए। परिणाम स्वयं देखे।

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