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Thursday 29 September 2011

ॐ गं गणपतये नमः

ॐ गं गणपतये नमः 
 


इसलिए ये भी गणपतिजी से संतुष्ट होते हैं। गणेशजी की स्तुति, पूजा, जप, पाठ से ग्रहों की शांति स्वमेव हो जाती है। किसी भी ग्रह की पीडा में यदि कोई उपाय नहीं सूझे अथवा कोई भी उपाय बेअसर हो तो आप गणेशजी की शरण में जाकर समस्या का हल पा सकते हैं। विघ्न, आलस्य, रोग निवृत्ति एवं संतान, अर्थ, विद्या, बुद्धि, विवेक, यश, प्रसिद्धि, सिद्धि की उपलब्धि के लिए चाहे वह आपके भाग्य में ग्रहों की स्थिति से नहीं भी लिखी हो तो भी विनायकजी की अर्चना से सहज ही प्राप्त हो जाती है।
कर्मकाण्ड व गणपति
लम्बोदर के प्रमुख चतुर्वर्ण हैं। सर्वत्र पूज्य सिंदूर वर्ण के हैं। इनका स्वरूप व फल सभी प्रकार के शुभ व मंगल भक्तों को प्रदान करने वाला है। नीलवर्ण उच्छिष्ट गणपति का रूप तांत्रिक क्रिया से संबंधित है। शांति और पुष्टि के लिए श्वेत वर्ण गणपति की आराधना करना चाहिए। शत्रु के नाश व विघ्नों को रोकने के लिए हरिद्रागणपति की आराधना की जाती है।
गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है। इनसे युक्त मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' का जप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है।
ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌
किसी के द्वारा नेष्ट के लिए की गई क्रिया को नष्ट करने के लिए, विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए उच्छिष्ट गणपति की साधना करना चाहिए। इनका जप करते समय मुँह में गुड़, लौंग, इलायची, पताशा, ताम्बुल, सुपारी होना चाहिए। यह साधना अक्षय भंडार प्रदान करने वाली है। इसमें पवित्रता-अपवित्रता का विशेष बंधन नहीं है।
उच्छिष्ट गणपति का मंत्र
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपें -
गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
विघ्न को दूर करके धन व आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्ब गणपति का मंत्र जपें -

'
ॐ गूं नमः'
रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप करें-
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है-
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
इन मंत्रों के अतिरिक्त गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशन गणेश स्तोत्र, गणेशकवच, संतान गणपति स्तोत्र, ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र, मयूरेश स्तोत्र, गणेश चालीसा का पाठ करने से गणेशजी की कृपा प्राप्त होती है।

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