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Saturday 10 September 2011

ब्रम्ह्चारिणी नवरात्र

ब्रम्ह्चारिणी


नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रम्ह्चारिणी रूप की पूजा होती है l इस रूप में देवी को समस्त विद्याओं का ज्ञाता माना गया है l देवी ब्रम्ह्चारिणी भवानी माँ जगदम्बा का दूसरा स्वरुप है l ब्रम्ह्चारिणी ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली l ब्रह्माण्ड को जन्म देने के कारण ही देवी के दूसरे स्वरुप का नाम ब्रम्ह्चारिणी पड़ा |

देवी के ब्रम्ह्चारिणी रूप में ब्रम्हा जी की शक्ति समाई हुई है | माना जाता है कि सृष्टी कि उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी ने मनुष्यों को जन्म दिया l समय बीतता रहा , लेकिन सृष्टी का विस्तार नहीं हो सका l ब्रम्हा जी भी अचम्भे में पड़ गए l देवताओं के सभी प्रयास व्यर्थ होने लगे l सारे देवता निराश हो उठें तब ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है l भोले शंकर बोले कि बिना देवी शक्ति के सृष्टी का विस्तार संभव नहीं है l सृष्टी का विस्तार हो सके इसके लिए माँ जगदम्बा का आशीर्वाद लेना होगा ,उन्हें प्रसन्न करना होगा l देवता माँ भवानी के शरण में गए l तब देवी ने सृष्टी का विस्तार किया l उसके बाद से ही नारी शक्ति को माँ का स्थान मिला और गर्भ धारण करके शिशु जन्म कि नीव पड़ी | हर बच्चे में १६ गुण होते हैं और माता पिता के ४२ गुण होते हैं l जिसमें से ३६ गुण माता के माने जातें हैं |

एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दुसरे हाथ में कमंडल धारण करने वाली देवी का यह ब्रह्मचारिणी स्वरुप कल्याण और मोक्ष प्रदान करने वाला है l देवी के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना का विशेष महत्व है |माँ के इस रूप की उपासना से घर में सुख सम्पति और समृद्धि का आगमन होता है l




उपाय



उपाय:- (1) चमेली हरश्रृंगार या किसी भी सफ़ेद फूल को ६ लौंग और एक टुकड़े कपूर के साथ रुपदेवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्तिथा नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम: पढ़ते हुए ५४ आहुतियाँ नित्य माँ दुर्गा के सामने देने से उत्तम विद्या प्राप्त होती है.



उपाय:-(२) बच्चे के सिर से पैर तक एक धागा नाप कर तोड़ लें उसमे, या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्तिथा नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमो नम: पढ़ते हुए ५४ गांठे लगाइए, इसे माता को समर्पित कर के नवरात्र भर इस धागे का जप करे. नवमी के दिन धागा जल में प्रवाहित कर दे.



उपाय (३):- ब्राह्मी बूटी पर या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्तिथा नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:१०८ बार पढ़ें और ब्राह्मी बच्चो को खिला दें ७ दिन लगातार ऐसा करने से बालक मेधावी हो जाता है



उपाय (४):- सात दालों का चूरा बनाकर उनपर ' या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्तिथा नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ११०० बार पढ़ें बच्चे का हाँथ लगाकर किसी पेड़ की जड़ में रखे या चिड़ियों को खिलाएं .

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