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Thursday 29 September 2011

कर्ज मुक्ति उपाय

 

कर्ज मुक्ति उपाय

ॠण मुक्ति प्रयोग - 1

कर्ज का भार व्यक्ति के जीवन में अभिशाप की तरह होता है । जो व्यक्ति की हराती हुई जिन्दगी में एक विष बुझे तीर की भाँति चुभ जाता है जो निकाले नहीं निकलता है और व्यक्ति को त्रस्त कर देता है । ॠण का ब्याज चुकाते चुकाते लंबी अवधि हो जाती है । पर मूल राशि वैसी की वैसी ही बनी रहती है । लक्ष्मी कल्पमय ॠण मोचन लक्ष्मी की साधना करने से व्यक्ति कितना भी अधिक ॠण भार से युक्त क्यूँ न हो उसकी ॠण मुक्त होने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है । धन त्रयोदशी के दिन रात्रि में स्नान आदि कर शुद्ध वस्त्र धारण करें हो सके तो पीताम्वर भी धारण करें । उत्तर की ओर मुख करके किसी भी आसन पर बैठ जाये। अपने सामने बाजौट पर पीला वस्त्र बिछायें और उस पर केसर व चन्दन से रंगे चावल की पाँच ढेरी बनाये । अब इस पर एक थाली रखे और उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाये। इस थाली में प्राण प्रतिष्ठित मुक्ति यन्त्र और लक्ष्मी फल स्थापित करें । यंत्र को तिलक करें और पंचामृत स्नान करायें । अब यंत्र पर कुंकुंम से अपना नाम अंकित करे और उस पर लक्ष्मी फल रख दें । पुष्प अर्पित करें । धूप दीप और अगरबत्ती करें । मावे का प्रसाद चढावें और निम्न मंत्र की दस माला मंत्र जप करें । जप कमल गट्टे की माला से करें ।
"॥ ॐ नमों ही श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं चिन्ता दूर करोति स्वाहा ॥"
जप समाप्ति पर प्रसाद बाँट दे और बाकि सामान ऐसे ही रहने दे । अगले दिन यंत्र को जल में विसर्जित कर दे और लक्ष्मी फल की प्रयोग कर्तो स्वयं अपने हाथों से किसी या भिखारी को अतिरिक्त दान दक्षिणा फल फूल आदि के साथ दे दें । कहा जाता है कि ऐसा करने से उस लक्ष्मी फल के साथ ही व्यक्ति ॠण बाधा तथा दरिद्रता भी दान में चली जाती है और उसके घर में भविष्य में अभाव का वास नहीं रहता । धीरे धीरे सारा कर्ज भी उतर जाता है । यदि भिखारी नहीं मिले तो प्रयोग कर्ता स्वयं किसी मन्दिर में जाकर दक्षिणा के साथ उस लक्ष्मी फल को भेंट चढा दे। इस प्रयोग को सम्पन्न करने के बाद तथा लक्ष्मी फल दान कर पुन: घर आने पर लक्ष्मी आरती अवश्य सम्पन्न करें । इस प्रकार प्रयोग पूर्ण हो जाता है ।

ॠण मुक्ति प्रयोग - 2

रोग निवारक, ॠण मोचन यंत्र - शास्त्रों में भी लिखा है कि पहला सुख निरोगी काया, दुजा सुख घर में हो माया । और ये हम सब जानते है कि सातों सुख विरले ही प्राप्त करते हैं । एक स्वाभिमानी व्यक्ति के लिये यह असहनीय होता है कि वह किसी का ॠणी है । कोई उससे पैसा माँगता है वह किसी का कर्जदार है व रोग ऐसा शत्रु है जिसे व्यक्ति को स्वयं झेलना होता है व बचाव भी खुदी को करना होता है । उसे ही स्वयं की मदद करनी होती है । अपने मनोबल, अपने आत्मबल को ही इतना तेज करने की आवश्यकता होती है कि उनसे भिड सकें और सामना कर सकें । इस हेतु धन्वंतरि के दिन यानि धन त्रयोदश के दूसरे दिन प्रात: शुद्ध होकर उत्तर दिशा की ओर मुह करके बैठे, लाल आसन प्रयोग करें सामने बाजोठ पर लाल वस्त्र बिछायें । अब मंगल यंत्र को स्थापित करें । लाल पुष्प चढायें, तिलक करें, तेल का दीपक करें, धूप करें, मंगल माला से निम्न मंत्र का जाप करें "॥ॐ क्रां क्रीं क्रौ स: भौमाय नम:"॥
कम से कम सात माला जाप करें । अब यंत्र व माला को वहीं रहने दे व दिपावली के दिन मात्र धूप दीप कर एक माला जाप करें । अब दिपावली के दुसरे दिन प्रात: समय में इस सामग्री को उसी वस्त्र में लपेटकर दक्षिण दिशा में गढ्ढा खोद्कर दबा दें व घर आकर हाथ मुँह धो लें । लाभांवित होंगे ।
सामग्री :- मंगल यंत्र व मूंगे की माला

ॠण मुक्ति प्रयोग - 3:

प्राय: हम सब ना चाहते हुये भी ॠण के जाल में फँस ही जाते है और फिर इस दलदल में ऐसे फसंते है कि धँसते ही जाते हैं । जो एक बार ॠण के मकडजाल में फँस गया वह उसमें बार बार पहुँच जाता है । प्राय: व्यक्ति दिखावे में अपनी हैसियत को ऊँचा दिखाने में सामर्थ्य से अधिक खर्च करता है और यह शादी ब्याह के अवसर पर ज्यादातर होता है ।
"ॐ गं ॠणहर्तायै नम:"
धन त्रयोदशी की रात्रि को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र को धारण करें और उत्तर की और मुख करके बैठे । अपने सामने लक्ष्मी गणेश मूर्ति अथवा इनका चित्र स्थापित करें । अब ऐक हत्था जोडी ले और उसे नीले धागे से 110 बार लपेटें और मन ही मन ॠण मुक्ति की प्रार्थना करें फिर उपरोक्त मंत्र का 28 बार उच्चारण करें । अब इसे सामने बाजोट पर थाली में स्थापित कर दे। तत्पश्चात पीले रंगे चावल ले लें और थोडे चावल हत्था जोडी पर चढाते हुऐ उपरोक्त मंत्र को 35 बार जप करें अब 11 लक्ष्मी कारक कौडियाँ ले और उपरोक्त मंत्र की हरिद्रा माला से 11 माला जपें ।
प्रत्येक माला के पूर्ण होने पर एक लक्ष्मी कारक कौडी हत्था जोडी पर अर्पित करें । जप समाप्त होने पर समस्त पूजा सामग्री को कपडे में बांधे और वीराने में जाकर गढ्ढा खोदकर गाड दे और इस पर एक भारी पत्थर भी रख दें यदि ऐसा संभव ना हो तो एक सामग्री आप किसी गणेश अथवा लक्ष्मी मन्दिर में रख दे इससे ॠण उद्धार होने की प्रबल संभावना निर्मित होती है ।

ॠण मुक्ति प्रयोग 4:

यदि आप ॠण के बोझ से दबे जा रहे हैं, बहुत कुच करते हुए भी आप ॠण मुक्त नहीं हो पा रहे हैं । कुछ ना कुछ समस्या ऐसी आ जाती है कि कर्ज लेना ही पडता है और आप ॠण बंधन में बंध जाते हैं तो आप घर में दीपावली की रात दक्षिण दिशा में मुँह करके बैठे । सामने बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछा कर उस पर चावल की छोटी सी ढेरी करें । उस पर थाली रखकर उसमें केसर के घोल से श्री लिखे अब उस पर श्री यंत्र या महालक्ष्मी यंत्र या पारद लक्ष्मी जो भी लक्ष्मी स्वरूप यंत्र प्रतिमा हो उसे स्थापित करें । अब अपने पास दूध, दही, घी, शहद, शक्कर इत्यादि मिलाकर पंचामृत बना लें । उसे दक्षिणावर्ती शंख में भरकर उस यंत्र या प्रतिमा पर डालते जायें एवं निम्न मंत्र का निरंतर जाप करते रहें । अब केसर, इत्र निर्मित पानी से मूर्ति या यंत्र को नहलायें और चावल की ढेरी पर रख दें । पंचामृत घर के सभी सदस्य ले और बाकि गाय इत्यादि को पिलावे या किसी पेड में विसर्जित कर दें और शंख की पूजा स्थान में रख दे, पूजा के तीसरे दिन यंत्र मूर्ति को उस कपडे में लपेटकर किसी केले के पेड की ओट में दबा दें या दक्षिण दिशा में कहीं भी गाड दें । आप जरूर ॠण मुक्त हो जायेंगे ।
मंत्र :- "ऐं ही श्रीं क्लीं ॥"

ॠण मुक्ति प्रयोग 5:

इस साधना में साधक को अपने पूजा स्थान में लक्ष्मी यंत्र स्थापित करने के पश्चात बहुत सारा चंदन घिसकर एक थाली में लागा कर थाली में तीन मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त मोती शंख एक थाली में स्थापित करना चाहिये, इन मोती शंख पर श्रीं बीज मंत्र का जप करते हुये सिंदूर अर्पित करें , एक माला बीज मंत्र के पश्चात सुगंधित अगरबत्ती जलाएँ और ॠण मोचान लक्ष्मी मंत्र का जप कमलगट्टे की माला से संपन्न करें, इस साधना में दीपक तेल का होना चाहिये । प्रतिदिन एक माला का जप समपन्न करने से साधक के ॠण का नाश होता है तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है । सात दिन की साधना में सफ़लता पूर्ण रूप से प्राप्त न हो तो 44 दिन तक यंत्र जप करें, साधना की पूर्णता के पश्चात तीनों मोती शंख अपने स्थान में ही लाल वस्त्र में बाँधकर रख दें
मंत्र :-"ॐ ही क्रीं श्रीं श्रिये नम: लक्ष्मी मामृणोत्तीर्ण कुरु कुरु में वर्धव वर्धव नम: ॥"

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