विशेष : कोई भी आराधना सच्चे मन से करें तो सफलता अवश्य मिलेगी।
क्योंकि कालसर्प, पितृदोष के कारण राहु-केतु को पाप-पुण्य संचित करने तथा शनिदेव द्वारा दंड दिलाने की व्यवस्था भगवान शिव के आदेश पर ही होती है। इससे सीधा अर्थ निकलता है कि इन ग्रहों के कष्टों से पीड़ित व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करे तो महादेवजी उस जातक (मनुष्य) की पीड़ा दूर कर सुख पहुँचाते हैं। भगवान शिव की शास्त्रों में कई प्रकार की आराधना वर्णित है परंतु शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है। कालसर्प दोष दूर करने के कुछ छोटे उपाय
2. यदि रोजगार में तकलीफ आ रही है अथवा रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा है तो पलाश के फूल गोमूत्र में डूबाकर उसको बारीक करें। फिर छाँव में रखकर सुखाएँ। उसका चूर्ण बनाकर चंदन के पावडर में मिलाकर शिवलिंग पर त्रिपुण्ड बनाएँ। 21 दिन या 25 दिन में नौकरी अवश्य मिलेगी।
3. यदि कुंडली में कालसर्प दोष है तो नित्य प्रति भगवान शिव के परिवार का पूजन करें। आपके हर काम होते चले जाएँगे।
4. यदि शत्रु से भय है तो चाँदी के अथवा ताँबे के सर्प बनाकर उनकी आँखों में सुरमा लगा दें, फिर किसी भी शिवलिंग पर चढ़ा दें, भय दूर होगा व शत्रु का नाश होगा।
5. शिवलिंग पर प्रतिदिन मीठा दूध (मिश्री मिली हो तो बहुत अच्छा) उसी में भाँग डाल दें, फिर चढ़ाएँ इससे गुस्सा शांत होता है, साथ ही सफलता तेजी से मिलने लगती है।
6. नारियल के गोले में सप्त धान्य(सात प्रकार का अनाज), गुड़, उड़द की दाल एवं सरसों भर लें व बहते पानी में बहा दें अथवा गंदे पानी में (नाले में) बहा दें। आपका चिड़चिड़ापन दूर होगा। यह प्रयोग राहूकाल में करें।
7. सबसे सरल उपाय- कालसर्प योग वाला युवा श्रावण मास में प्रतिदिन रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज करें। जीवन में सुख शांति अवश्य आएगी और रूके काम होने लगेंगे।
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