मनोकामनापूरकसुंदरकांड
रामचरितमानस का पांचवा अध्याय सुंदरकांड है। इसमें हनुमानजी की लीलाओं का वर्णन है। किसी भी तरह की मनोकामना जैसे-धन संकट, जीवन साथी की समस्या,विघA नाश, आजीविका प्राप्ति आदि सभी मनोकामनाओं की पूर्ति विशिष्ट संपुट लगाकर पाठ करने से कार्य अवश्य पूर्ण होते हैं। संबंघित संपुट का पूर्व में एक माला द्वारा हवन कर लेना चाहिए। किसी अमावस्या की रात्रि, मंगलवार अथवा शनिवार पारायण प्रारंभ किया जा सकता है।
पाठ विघि : 41 दिन की इस साधना में लाल आसन, लाल वस्त्र पहन कर ईशान की ओर मुख करके बैठें। श्रद्धानुसार धूप,दीप, सिंदूर, इत्र, लाल पुष्प-चंदन आदि से पूजन करें। यह साधना मंदिर में की जा सकती है। हनुमानजी की पूजा से पूर्व सीतारामजी का पूजन और जप करें। नवग्रह आवाहन और पूजन करें। रामरक्षा स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इसके बाद प्रत्येक दोहे के पहले और बाद में मनोवांछित कामना पूर्ति के लिए निर्घारित संपुट लगाकर सुदंरकांड का पाठ करें। अंत में उत्तरकांड की संक्षि# संपूर्ण रामायण की चौपाइयों से -रां रामाय नम: का संपुट लगाकर हवन करें। कार्य अवश्य पूर्ण होगा। हवन के बाद कपूर या दीपक से आरती करें। मंत्र पुष्पांजलि पढ़कर पुष्प चढ़ाएं। गुड़ का बना प्रसाद फल का भोग लगाएं। अंत में श्रीराम स्तुति कर पाठ का विसर्जन करें। हनुमानजी को विदाई दें।
उपासना के नियम
साधना काल में सात्विक आहार लें।
जमीन पर सोएं।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
अपवित्रता की स्थिति में स्त्री किसी अन्य से पाठ करवाए।
अंतिम दिन हनुमान मंदिर में 41 घी के दीपक जलाएं।
गुड़ का प्रसाद, चने, फल, लंगोट मंदिर में चढ़ाएं।
घर पर आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें।
घी का दीपक, गुगल धूप और लाल पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ रहता है।
कम बोलें। प्रयोग की बात किसी से नहीं कहें।
हनुमानजी से प्रयोग के बाद क्षमा याचना जरूर करें।
बंदर को फल मिठाई खिलाएं।
उपवास रखें। लाल वस्त्र धारण करें।
मूंगे की माला या लाल चंदन की माला का उपयोग करें।
आचार्य सत्येंद्र महाराज
रामचरितमानस का पांचवा अध्याय सुंदरकांड है। इसमें हनुमानजी की लीलाओं का वर्णन है। किसी भी तरह की मनोकामना जैसे-धन संकट, जीवन साथी की समस्या,विघA नाश, आजीविका प्राप्ति आदि सभी मनोकामनाओं की पूर्ति विशिष्ट संपुट लगाकर पाठ करने से कार्य अवश्य पूर्ण होते हैं। संबंघित संपुट का पूर्व में एक माला द्वारा हवन कर लेना चाहिए। किसी अमावस्या की रात्रि, मंगलवार अथवा शनिवार पारायण प्रारंभ किया जा सकता है।
पाठ विघि : 41 दिन की इस साधना में लाल आसन, लाल वस्त्र पहन कर ईशान की ओर मुख करके बैठें। श्रद्धानुसार धूप,दीप, सिंदूर, इत्र, लाल पुष्प-चंदन आदि से पूजन करें। यह साधना मंदिर में की जा सकती है। हनुमानजी की पूजा से पूर्व सीतारामजी का पूजन और जप करें। नवग्रह आवाहन और पूजन करें। रामरक्षा स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इसके बाद प्रत्येक दोहे के पहले और बाद में मनोवांछित कामना पूर्ति के लिए निर्घारित संपुट लगाकर सुदंरकांड का पाठ करें। अंत में उत्तरकांड की संक्षि# संपूर्ण रामायण की चौपाइयों से -रां रामाय नम: का संपुट लगाकर हवन करें। कार्य अवश्य पूर्ण होगा। हवन के बाद कपूर या दीपक से आरती करें। मंत्र पुष्पांजलि पढ़कर पुष्प चढ़ाएं। गुड़ का बना प्रसाद फल का भोग लगाएं। अंत में श्रीराम स्तुति कर पाठ का विसर्जन करें। हनुमानजी को विदाई दें।
उपासना के नियम
साधना काल में सात्विक आहार लें।
जमीन पर सोएं।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
अपवित्रता की स्थिति में स्त्री किसी अन्य से पाठ करवाए।
अंतिम दिन हनुमान मंदिर में 41 घी के दीपक जलाएं।
गुड़ का प्रसाद, चने, फल, लंगोट मंदिर में चढ़ाएं।
घर पर आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें।
घी का दीपक, गुगल धूप और लाल पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ रहता है।
कम बोलें। प्रयोग की बात किसी से नहीं कहें।
हनुमानजी से प्रयोग के बाद क्षमा याचना जरूर करें।
बंदर को फल मिठाई खिलाएं।
उपवास रखें। लाल वस्त्र धारण करें।
मूंगे की माला या लाल चंदन की माला का उपयोग करें।
आचार्य सत्येंद्र महाराज
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