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Saturday 6 August 2011

शनि देव

Special  Tips ..........
 
           शनि  देव  की  कराल  से  कराल  स्थिति  , साढ़ेसाती  , उपद्रव , रोग - दोष , मानसिक  तनाव  , पति-पत्नी वैमनस्यता  , विद्या प्राप्ति  तथा  शनि-देव के   पीड़ा - निवारण  का  कभी  न  असफल  होने  वाला  सरल  एवं  अनोखा  उपाय -----
     निचे   दिए  जा  रहे  प्रयोग  किसी  भी  अवस्था  में  असफल  नहीं  है . इस  प्रयोग  को करते  ही  मानव  को  उसी   दिन  उसी  समय  से   20%  लाभ  तुरत  ही   प्राप्त  होता  है .  इसका प्रत्यक्ष   प्रमाण  यह  है  की  प्रयोग  करने  वाले  जातक  को  मानसिक  शांति  ,  ताजगीपन  और   नवचेतना   जागृत   हो  जाती  है  तथा  कार्यक्षमता   बढ़  जाती  है .
      यह  प्रयोग  अपने  नजदीक  के    किसी  भी   नदी  में  जिसमें  मच्छियाँ   हों , कर  सकते  हैं 
सामान्य  प्रयोग  
१  )  गाय  का  पूजन करें   फिर  दो  रोटी  लेकर , एक  तेल  से  चुपड़ें  और  दूसरी  को   घी  से   चुपड़ें  .
२  ) काले   या  सफ़ेद   रंग  के  कुत्तों   को   कुछ  मीठा  खिलाकर  पहले  तेल  से  चुपड़ी  रोटी  खिलाएं  फिर  दूसरी  घी  की  खिलाएं  .
३  )  बंदरों  को  भुने  चने  ,  मीठी  खील  , केले  और  गुड   हर  शनिवार   को  खिलाएं  .
विशिष्ट  प्रयोग
  १ )   ११  नारियल   जटा  सहित  कच्चे  पानी  वाले  लें 
  २ )  सवा  किलो  जौ  काले  कपडे  में  बांधकर  पोटली  बनायें 
  ३ )  सवा  किलो  कच्चा  कोयला  काले  कपडे  में  बांधकर  पोटली  बनाएं.
  ४ ) सवा  किलो  चना , दो  कोयला  एवं  दो  किल  काले  कपडे  में  बांधकर  पोटली  बनाएं . ५ ) सवा  किलो  रांगा /  लैड / सिक्का  की  एक  अलग  से  और  पोटली  बना लें .
  प्रयोग  विधि :  श्रद्धापूर्वक  गंगा  - स्नान  करें .  तदोपरांत  उपरोक्त   क्रमशः   पहले  एक - एक  नारियल  दायें  हाथ  से  पकडे  और  दाए   कान  की  तरफ  से  बायीं   ओर  घुमाकर  दोनों हाथ  लगाकर   जल  में   प्रवाहित  करें  और  इस  तरह   पहले  ग्यारह  नारियल  प्रवाहित  करें . इसके  पश्चात  क्रम  में  से  ही  एक -एक   पोटली  को  नारियल  की  तरह  ही  घुमाकर  पानी  में  प्रवाहित   करें .
     घुमाते  समय  राहू   एवं  शनि  देव  का  नाम  लेकर   कहें  -  "  हे  शनि  देव   और  राहू  देव  ,  मेरी  ग्रह -पीड़ा  निवृत  हो  जाए  ,  मुझे  सुख - शांती  एवं  धन - धान्य   की  प्राप्ति  हो .  ये  कार्य  मैं   आपकी  प्रसन्नता  के   लिए  कर  रहा  हूँ "  -  ऐसा   आप  हर  वास्तु  को  सर  से  घुमाते  हुए  प्रवाहित  करने   के  उपरान्त   प्रार्थना -  स्वरुप   कहें . 
      इसके  बाद  पुनः  स्नान  करें  और  ह्रदय  से  अपने  कल्याण   के  लिए   प्रार्थना  करें  तथा  पहने  हुए  कपडे , जूते  /चप्पल   सब  को  घाट  पर  छोड़  दें   और  नए  / धुले  वस्त्र  पहनकर  घाट  से  बाहर  आ  जाएँ .

नोट :  वस्त्र / कपडे , जूता /चप्पल   केवल  एक  बार   ही  गंगा  पर  छोड़ना  है .  इसके   पीछे  रहस्य  यह  है  की पहने  हुए  कपडे  छोड़ने  से  दरिद्रता  दूर  हो  जाती  है  
  बाहर  आकर  एक  पेरा   गाय  को  एवं   ब्राह्मण  को  भोजन  करा  दें .  साथ  ही  संभव  हो  तो  गंगा  के  किनारे   जौ  को  बोयें , इससे  भयंकर   पातक  भी  नष्ट  हो  जाते  हैं .
  चेतावनी :  इस  प्रयोग  को  करने  वाले  व्यक्ति  भूल  कर  भी  मछली  आदि  न  खाएं !  
    यह सिद्ध प्रयोग है . जातक चाहे किसी धर्म / जाती /सम्प्रदाय का हो , चाहे आस्तिक / नास्तिक हो उपरोक्त प्रयोग हर शनिवार को कम से कम ग्यारह बार अवश्य प्रयोग करें . इस प्रयोग के बाद उसे मानसिक शांति तथा धनाभाव नहीं व्यापेगा .

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