अतुलित बलधामं हेम शैलाभदेहं,
दनुज-वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकल गुणानिधानं वानराणामधीशं,
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
इसके पश्चात पुष्प अर्पित कर दें।
इसके बाद हनुमानजी का ध्यान करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें। अंत में लाल चंदन की माला से ‘हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्’ मंत्र का 108 बार नित्य जाप करें।
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