ग्रहों व राशियों का संबंध
ग्रहों व राशियों का संबंध
मूल ग्रह सात एवं राशियां बारह हैं | इनको आपस में गुणा करने पर 84 संख्या आती है | इसका मतलब यह हुआ कि चौरासी लाख योनिओं का चक्कर इस अंक से घूमता है | हर सात या आठ वर्षों के बाद ग्रहों का जो प्रभाव पहले मिल चुका होता है, उस की पुनरावृति होती है |
> जन्मकुंडली के दूसरे घर में कोई भी ग्रह नीच नहीं होता |
> जन्मकुंडली के आठवें घर में कोई भी ग्रह उच्च या नीच नहीं होता |
> जन्मकुंडली के पांचवें व ग्यारवें घर में भी कोई ग्रह उच्च या नीच नहीं होता |
> दैवी शक्ति से युक्त चन्द्र मृत्यु को भी शिकस्त दे सकता है |
मूल ग्रह सात एवं राशियां बारह हैं | इनको आपस में गुणा करने पर 84 संख्या आती है | इसका मतलब यह हुआ कि चौरासी लाख योनिओं का चक्कर इस अंक से घूमता है | हर सात या आठ वर्षों के बाद ग्रहों का जो प्रभाव पहले मिल चुका होता है, उस की पुनरावृति होती है |
> जन्मकुंडली के दूसरे घर में कोई भी ग्रह नीच नहीं होता |
> जन्मकुंडली के आठवें घर में कोई भी ग्रह उच्च या नीच नहीं होता |
> जन्मकुंडली के पांचवें व ग्यारवें घर में भी कोई ग्रह उच्च या नीच नहीं होता |
> दैवी शक्ति से युक्त चन्द्र मृत्यु को भी शिकस्त दे सकता है |
राशी | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
राशी नाम | मेष | वृषभ | मिथुन | कर्क | सिंह | कन्या | तुला | वृश्चिक | धनु | मकर | कुंभ | मीन |
स्वामी | मंगल | शुक्र | बुध | चंद्र | सूर्य | बुध | शुक्र | मंगल | गुरु | शनि | शनि | गुरु |
उच्च ग्रह | सूर्य | चंद्र | राहु | गुरु | - | बुध राहु | शनि | - | केतु | मंगल | - | शुक्र केतु |
नीच ग्रह | शनि | - | केतु | मंगल | - | शुक्र केतु | सूर्य | चंद्र | राहु | गुरु | - | बुध राहु |
कारक ग्रह | सूर्य | गुरु | मंगल | चन्द्र | गुरु | केतु | बुध शुक्र | मंगल शनि | गुरु | शनि | गुरु | राहु |
भाग्य- दायक ग्रह | मंगल | चंद्र | बुध | चंद्र | सूर्य | राहु | शुक्र | चंद्र | गुरु | शनि | गुरु | राहु |
ग्रहफल ग्रह | मंगल | राहु केतु | शनि | चंद्र | गुरु सूर्य | बुध केतु | शुक्र | मंगल | गुरु | शनि | गुरु शनि | राहु |
राशिफल ग्रह | राहु | - | शनि | मंगल शुक्र केतु | - | शनि | सूर्य राहु गुरु | - | शनि | बुध केतु | - | बुध |
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