पितृदोष के निवारण के उपाय-
पितरों को तृप्त करने के लिए आश्विन मास के कृष्णपक्ष मे जिस तिथि को पूर्वजों का निर्वाण हुआ हो उस तिथि को तिल,जौ,पुष्प,कुश,गंगाजल या शुद्ध जल तर्पण, पिंडदान और पूजन करना चाहिए। उसके बाद गरीब ब्राह्मण को भोजन,वस्त्र,फल एवं दान करना चाहिए। गाय, कौआ, चींटी, काक, वृक्ष को भी भोग लगाना चाहिए।
१. जिन लोगों को अपने पितरों की अंतिम तिथि ज्ञात ना हो वे लोग पितृमोक्ष अमावस्या को यह प्रक्रिया का सकते हैं।
२. जो लोग पीपल के वृक्ष को पूजते या जल देते हैं, या सोमवती अमावस्या को खीर अपने पितरों को अर्पित करते हैं, या हर अमावस्या को ब्राह्मण को वस्त्र,भोजन दान करते हैं, उन्हे पितृदोष के विपरीत प्रभाव से छुटकारा मिल जाता है।
३. हर अमावस्या को गाय के उपले (कंडे, गोबरी) की राख पर खीर रखकर दक्षिण दिशा की ओर मुखकर पितरों से अपनी गलती की क्षमा याचना करें
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४. अपने पिता एवं बड़े-बुज़ुर्गों का आदर करें, उनके आशीर्वाद से सूर्य की स्थिति मजबूत होती है
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५. सूर्योदय के समय सूर्य को देखकर गायत्री मंत्र का उच्चारण करें, इससे आपकी कुंडली मे सूर्य की स्थिति मजबूत होगी।
६. सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक्य भी धरण कर सकते हैं, बशर्ते किसी योग्य ज्योतिषी द्वारा पहले कुंडली जांच लें।
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