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Monday 1 August 2011

चंदन

चंदन के ज्योतिषीय महत्त्व


•    शनिग्रह से पीड़ित व्यक्ति को चंदन की जड़ को कुछ समय तक अपने स्नान के जल में रखकर फिर उस जल से नित्य स्नान करना चाहिए।
•    केतु ग्रह से पीड़ित व्यक्तियों को चंदन वृक्ष की जड़ में जल में थोड़े से काले तिल मिलाकर चढ़ाना चाहिए।
•    मधा नक्षत्र में जन्में व्यक्ति को चन्दन के पौधे का रोपण एवं पालन शुभ होता है।

चंदन के तांत्रिक प्रयोग


•    चंदन के वृक्ष की जड़ में गुरुपुष्य नक्षत्र जिस दिन पड़े उसके एक दिन पूर्व अर्थात् बुधवार की शाम को थोड़े से पीले चावल चढ़ा दें, जल चढ़ावें तथा वहाँ दो अगरबत्ती जलाकर हाथ जोड़कर उसे निमंत्रित करें। दूसरे दिन सुबह-सवेरे बिना किसी धातु के औजार की सहायता से (नोकदार लकड़ी का प्रयोग कर सकते हैं) उसकी थोड़ी सी जड़ ले आवें । इस जड़ को घर के मुख्य द्वार पर अथवा बैठक में लटकाने से घर में बेवजह की समस्याएँ खड़ी नहीं होती हैं।
•    चंदन का तिलक नित्य लगाने से आकर्षण होता है।
•    जो व्यक्ति शुभ मुहूर्त में निकाली गई चंदन की जड़ के एक टुकड़े को एवं साथ में एक छोटे से फिटकरी के टुकड़े को अपनी कमर में बाँधकर संभोगरत होता है उसका स्खलन काल बढ़ जाता है।
•    चंदन की छाल का धुँआ देने से नजर-दोष जाता रहता है।
•    चंदन का तिलक नित्य लगाने से मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
•    घर में चंदन चूरा, अश्वगंधा, गोखरूचूर्ण और कपूर को शुद्ध घी में मिलाकर जलते हुए कण्डे पर हवन करने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।

चंदन के वास्तु-महत्त्व


चंदन का वृक्ष घर की सीमा में शुभ होता है। मुख्यत: इसे घर की सीमा में पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में लगाना श्रेयस्कर है। जिस घर में चंदन का वृक्ष होता है वहाँ शान्ति एवं अमन रहता है। रहवासियों में प्रेम बना रहता है। वहाँ की वंशवृद्धि नहीं रुकती।

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