आप जिस नक्षत्र में पैदा हुये हैं उसी के अनुसार आप देवी की पूजा एवं अर्चना कर सकते हैं |
१) यदि आपका जन्म अश्विनी, माघ, व मूल नक्षत्र का है ( जिनका स्वामी केतु ग्रह है) तो आपको "शैलपुत्री" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा अपामार्ग की जड़ धारण करनी चाहिए |
२) भरनी,पूर्वाफाल्गुनी,पूर्वाषाढ़ ( नक्षत्र स्वामी शुक्र) वालो को "ब्रह्मचारिणी " देवी की पूजा करनी चाहिए तथा अगस्थ मूल धारण करनी चाहिए |
३) कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ (नक्षत्र स्वामी सूर्य) वालो को "सिद्दिधात्री" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा बिल्वमूल धारण करनी चाहिए |
4) रोहिणी, हस्त, श्रवण (नक्षत्र स्वामी चंद्र) वालो को "चंद्रघंटा" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा सफ़ेद चंदन मूल धारण करनी चाहिए |
5) मृगसिरा, चित्रा, धनिष्ठा ( नक्षत्र स्वामी मंगल) वालो को "कुष्मांडा" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा जयंती मूल धारण करनी चाहिए |
6) आद्रा, स्वाति, शतभिषा (नक्षत्र स्वामी राहू ) वालो को "कात्यायिनी" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा काले वस्त्र दान करने चाहिए |
7) पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद (नक्षत्र स्वामी गुरु) वालो "स्कंदमाता" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा केले के पेड़ की मूल धारण करनी चाहिए|
8) पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद (नक्षत्र स्वामी शनि) वालो को "कालरात्रि" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा विच्छोल मूल धारण करनी चाहिए |
9) रेवती, अश्लेशा, ज्येष्ठा (नक्षत्र स्वामी बुध) वालो को "महागौरी" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा कलोल मूल धारण करनी चाहिए |
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