ऋण यानी कर्ज से सुख-सुविधाओं को बंटोरना आसान है, किंतु उस कर्ज को उतार न पाना जीवन के लिए उतनी ही मुश्किलें भी खड़ी कर सकता है। जिसके बोझ तले सबल इंसान भी दबकर टूट सकता है। खासतौर पर आज के तेज जीवन को गति देने में हर जरूरत, शौक व सुविधा के लिए कर्ज जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। लेकिन कईं अवसरों पर कर्ज उतारना भारी पड़ जाता है, जिससे उससे मिले सारे सुख बेमानी हो जाते हैं। व्यावहारिक जीवन से हटकर अगर धर्मशास्त्रों की बातों पर गौर करें तो मानव जीवन के लिए बताए मातृऋण, पितृऋण, गुरुऋण जैसे अन्य ऋण भी जीवन में अनेक कर्तव्यों को पूरा करने का ही संदेश देते हैं। जिनका पूरा न होना सुखी जीवन की कामना में बाधक होता है। अगर आप भी व्यावहारिक जीवन में लिये गए कर्ज या शास्त्रों में बताए सांसारिक जीवन के जरूरी ऋणों से मुक्ति की चाह रखते हैं तो शास्त्रों में बताया यह धार्मिक उपाय बहुत ही असरदार माना गया है। जानें यह उपाय - हिन्दू धर्म में मंगलवार का दिन नवग्रहों में एक मंगल उपासना को ऋण दोष मुक्ति के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। मंगल की उपासना में यहां बताया जा रहा मंगल स्त्रोत कुण्डली के ऋणदोष सहित कर्ज से छुटकारे में भी अचूक माना गया है - - मंगलवार के दिन नवग्रह मंदिर में मंगल प्रतिमा या लिंग रूप की पूजा में विशेष तौर पर लाल सामग्रियां अर्पित कर इस मंगल स्त्रोत का पाठ करें। यथासंभव नित्य पाठ ऋण बाधा दूर करने में बहुत ही शुभ माना गया है - ---- ऊँ क्रां क्रीं क्रों स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरासनो महाकाय: सर्वकर्म विरोधक:।। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकर:। धरात्मज: कुजौ भौमो भूतिदो भूमिनन्दन:।। अंङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:। वृष्टे: कर्तापहर्ता च सर्वकामफलप्रद:।। एतानि कुजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्। ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्रुयात्।। धरणीगर्भसम्भूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम्। कुमारं शक्तिहस्तं च मंगल प्रणमाम्यहम्।। स्त्रोत्रमंङ्गारकस्यैतत्पठनीय सदा नृभि:। न तेषा भौमजा पीड़ा स्वल्पापि भवति व्कचित्।। अङ्गारको महाभाग भगवन्भक्तवत्सल। त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।। भयक्लेश मनस्तापा नश्यतन्तु मम सर्वदा। अतिवक्र!दुराराध्य! भोगमुक्तोजितात्मन:। तुष्टो ददासि साम्राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्। विरञ्चि शक विष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा। तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:।। पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:। ऋणदारिद्रय दु:खेन शत्रूणा च भयात्तत:।। एभिद्र्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तौति च धरासुतम। महतीं श्रियामाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा:।। ऊँ स्व: भुव: भू: ऊँ स: क्रों क्रीं क्रां ऊँ |
We cannot change the circumstances in which our soul chose to be born, but we can definitely change the circumstances in which we grow.ASTROLOGY, VASTU SASTRA, AURA, AROMA. SHIVYOG,ARTOF LIVING, ISHAYOG,OSHO AND NEWAGE MEDITATION अध्यात्म, ज्योतिष, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, वेद, पुराण, इतिहास, गुढ़-रहस्य समस्त समस्या का निराकरण सम्भव नहीं है, मात्र कुछेक समस्या का ही समाधान सम्भव है। Accurate Horoscope Analysis and Remedies for All Problems
Search This Blog
Saturday 30 July 2011
कर्ज उपाय से दूर करें हर चिंता---
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment