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Saturday 9 July 2011

सावन और चन्द्रमा.


धर्मग्रंथों में भगवान शंकर को तंत्र का अधिपति देवता भी माना गया है। सावन महीना शिव की साधना का काल है। शंकर सिर पर चंद्र धारण करते हैं। इसलिए वह चन्द्रशेखर कहलाते हैं। तंत्र विज्ञान में भी चंद्रमा की पूजा से नैवेद्य यंत्र की सिद्धि का सरल प्रयोग बताया गया है। जिससे व्यापार और नौकरी में अपार धन और तरक्की मिलती है। बेरोजगारों को भी आजीविका की संभावना प्रबल होती है। खासतौर पर सावन माह में यह प्रयोग विशेष फलदायी होती है।
सावन माह के शुक्ल पक्ष में हर रोज शाम को छत या ऐसे खुले स्थान पर जाएं, जहां चंद्रमा की अच्छी रोशनी आती हो।
वहां चंद्रमा के दर्शन होने पर अगरबत्ती-दीपक लगाकर पूजा करें और सफेद सामग्री या दूध से बने व्यंजन या मिठाई जैसे खीर, रबड़ी आदि का भोग लगाएं। दीपक को भोग के पास ही रख दें। यह साधना नैवेद्य यंत्र सिद्धि कहलाती है। इस प्रयोग को नियमित रुप से करें।
इस प्रयोग में विशेष रुप से यह बात ध्यान रखे कि अंधकार या ऐसे स्थान पर प्रयोग न करें जहां चांदनी न दिखाई दे। ऐसा होने पर इस प्रयोग में सफलता नहीं मिलती।
सावन माह में शिव के साथ चंद्रमा की ऐसी साधना व्यापारी वर्ग, नौकरीपेशा और बेरोजगार लोगों को शीघ्र धन लाभ और पदोन्नति पाने के लिए बहुत असरदार मानी गई है।

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