भाव संख्या | कारक | सम्बंध |
---|---|---|
१ | सूर्य | शरीर, शरीर का वर्ण-आकृति लक्षण, यश, गुण, स्थान, सुख, तेज, बल, आयु! शारीरीक अंग-मस्तिष्क, ललाट, सिर, रोग- सिर दर्द, मानसिक रोग एवं दुर्बलता |
२ | गुरु | संचित धन, वाणी, सत्य-असत्य वादिता, कुटुम्ब सुख, भोजन, ईश्वर भक्ति एवं विश्वास, विनयशीलता, प्रसन्नता, बिना किसी औपचारिक शिक्षा के आस–पास के वातावरण-परिवार से प्राप्त शिक्षा,ज्ञान एवं संस्कार का दर्शन द्वितीय भाव ही कराता है! शारीरीक अंग-दायाँ नेत्र, मुख, नाल, जीभ, दाँत |
३ | मंगल | भ्राता, नौकर, सहनशीलता एवं धैर्य, दीर्घकाल तक बैठकर अध्ययन कर सकने की क्षमता, पराक्रम, साहस, भूख, कंठ स्वर, गायन, श्रवण शक्ति, वस्त्र, धैर्य, वीरता, बल, भोजन! शारीरीक अंग-वक्षस्थल, कोहिनी, भुजा, कान, रोग-श्वास रोग, दमा, खाँसी, क्षय रोग, हस्त रोग एवं विकलाँगता |
४ | चन्द्रमा | विद्या, माता, सुख, जामित्र सुख, सुगन्ध, गाय, वाहन, मन, भूमि, घर, राज्य-राजनीति, अक्षरज्ञान से लेकर स्कूल स्तर तक की शिक्षा! शारीरीक अंग-फेफड़े, श्वासनली, हृदय, रोग- हृदय रोग, वक्ष रोग, मानसिक विकार |
५ | गुरु | विधा में बाधाएँ, गर्भ की स्थिति, पुत्र, बुद्धि(शीघ्र समझने की क्षमता), जामित्र, देवताओं में विश्वास, पुण्य, मन की स्थिरता, प्रबंधन क्षमता, बुद्धि, ज्ञान, अतिन्द्रियता, स्मृति एवं पूर्वजन्म के संचित कर्म, नौकरी या व्यवसाय को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्राप्ति हेतु उचित विषयों के चयन में पंचम भाव सहायक होता है! शारीरीक अंग- पेट, तौंद, आँते, गुर्दा, जिगर, रोग-मंदाग्नि, जिगर रोग, उदर, गुर्दे की तिल्ली |
६ | मंगल | रोग, शत्रु, चोट या घाव, चिन्ता, व्यथा, पशु , मामा, चोरी, प्रतिस्पर्धा, प्रतियोगिता! शारीरीक अंग- कमर, कूल्हा, नितम्ब, रोग-कमर, एपेन्डिक्स, पथरी, हर्निया, आँते रोग, आँखो की बीमारी |
७ | शुक्र | यात्रा, स्त्री सुख, वस्ति, व्यवसाय पार्टनरशिप में, वाद विवाद! शारीरीक अंग-काम शक्ति, मुत्राश्य गर्भाश्य का ऊपरी भाग, रोग-प्रमेह, मधुमेह, पथरी, गर्भाश्य एवं वस्ति में होने वाले रोग |
८ | शनि | मृत्यु, मृत्यु कारण, मोक्ष, मृत्यु के बाद गति, मानसिक पीड़ा, मुसीबते! शारीरीक अंग-गर्भाश्य, जननेन्द्रिय, अण्डकोश, गुदा, रोग- गुप्तरोग, काम दुर्बलता, योनि रोग |
९ | गुरु, सूर्य | भाग्य, तीर्थ, धर्म, पिता, पुण्य, स्नातकोतर एवं उच्च प्रोफेशनल शिक्षा! शारीरीक अंग-ऊरु, रोग- मासिक धर्म, यकृत, कूल्हे, रक्तविकार, मज्जा रोग, वायुविकार |
१० | सूर्य, बुध | पिता, उच्च शिक्षा, नौकरी, कर्म, राज्य, शास्त्र ज्ञान! शारीरीक अंग-जानु, घुटने, रोग- कम्पन, गठिया, जोड़ो में दर्द, चर्म रोग, वायु जनित रोग |
११ | गुरु | लाभ, आय, सजने संवरने का शौंक, वाहन, रत्न, सन्तानहीनता, माता का अनिष्ट! शारीरीक अंग-पैर, जंघा, पिण्डली, रोग- पैरो के रोग, शीतविकार, रक्त विकार |
१२ | शनि | व्य्य, सम्पत्ति नाश, दान, व्यसन, दुर्गति, कर्ज, कारागार! शारीरीक अंग-टखना, पैर, तलवा, रोग- पोलियो, रोग प्रतिरोधक क्षमता, एलर्जी, नेत्र विकार |
We cannot change the circumstances in which our soul chose to be born, but we can definitely change the circumstances in which we grow.ASTROLOGY, VASTU SASTRA, AURA, AROMA. SHIVYOG,ARTOF LIVING, ISHAYOG,OSHO AND NEWAGE MEDITATION अध्यात्म, ज्योतिष, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, वेद, पुराण, इतिहास, गुढ़-रहस्य समस्त समस्या का निराकरण सम्भव नहीं है, मात्र कुछेक समस्या का ही समाधान सम्भव है। Accurate Horoscope Analysis and Remedies for All Problems
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Saturday 9 July 2011
भावोँ के गुणधर्म
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