Search This Blog

Tuesday 12 July 2011

पूजा और प्रार्थना के प्रभाव-

कहते हैं प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है, इससे व्यक्ति अपने उन कार्यों को भी सिद्ध कर लेता है, जो उनको असंभव दिखाई देते हैं। कुछ यही मानना है आज की युवतियों का। जो पढ़ाई-लिखाई में कई व्यस्तताओं के बावजूद भी रोज शाम को मंदिरों में दीयाबत्ती करने के लिए जाती हैं। कोई इसे हिंदू समाज की परंपरा बता रहा है तो कोई प्रतिकूल ग्रहों की शांति के लिए आवश्यक उपाय। मंदिरों में अक्सर सूर्यास्त के बाद गोरज मुहूर्त में पीपल के वृक्ष व भगवान की मूरत के आगे युवतियों को दीप जलाते देखा जा सकता है।

श्रद्धास्वरूप जलाती हैं दीपक 
ग्रहों की शांति के लिए केले व बरगद के वृक्ष तले दीप जलाने से जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है। अपने जीवन को शांत व सुखमय करने के लिए ईश्वर पर एक श्रद्धा होती है। यही श्रद्धास्वरूप दीपक हम प्रतिदिन शाम को मंदिर में लगाने जाते हैं। और परीक्षा के दिनों में एक हौंसला रहता है।

परमात्मा को पाने का माध्यम 
अपने जीवन में खुशहाली व ग्रहों की शांति के लिए लगातार प्रयास किए जाते हैं कि उनसे बचाव हो। इसके लिए हम कभी पीपल के पे़ड़ के नीचे दीपक जलाते हैं तो कभी साँझ होते ही मंदिर में दियाबत्ती करते हैं। क्योंकि जीवन में सफलता के लिए भगवान का साथ होना जरूरी है। उस परमात्मा का साथ पाने के लिए व उसे मनाने के लिए दीप जलाना एक माध्यम होता है, तभी तो हम दीप जलाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अर्जी लगाकर ईश्वर को प्रसन्न करते हैं।

शुभ होता है दीपक जलाना 
जब परीक्षा का समय आता है तो याद आता है भगवान, जिससे हम मन्नते माँगते हैं कि भगवान हमें परीक्षा में पास करा दो। पाँच सोमवार आपके दर पर दीपक जलाएँगे। कुछ इसी आस्था के साथ शुरू हो जाता है मंदिर में दीप जलाने का सिलसिला। जो धीरे-धीरे हमारी दैनिक दिनचर्या में शामिल हो जाता है। ग्रहों से होने वाले अनिष्ट के निवारण के लिए घी या तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

परंपरा का निर्वहन ----
दीपक जलाने की महत्वता बताते हुए प्रीति ने कहा कि ये परंपरा हिंदू समाज में वर्षों से चली आई है। हम तो बस इसका निर्वहन कर रहे हैं। चूंकि हमारे समाज में स्त्री द्वारा पीपल के पे़ड़ पर या भगवान के मंदिर में दीपक जलाना शुभ माना जाता है, इसलिए प़ढ़ाई-लिखाई में चाहे जितनी भी व्यस्तता क्यों न हो, हम मंदिर में दीपक जलाना नहीं भूलते। चूंकि यह तो हमारे परिवार द्वारा दिए गए संस्कार व हमारे भारतवर्ष की संस्कृति है।

ग्रहों की शांति के लिए जरूरी ----
राशियों पर ग्रहों का प्रभाव चलता ही रहता है, जिसमें शनि को अनिष्टकारी ग्रह माना गया है। इस ग्रह से प्रभावित राशि वाले लोगों का परेशानियों से चोली-दामन का साथ रहता है। अन्य ग्रह भी कभी-कभी अपना प्रभाव राशियों पर दिखाते हैं, लेकिन ग्रहों की शांति व उनमें अनुकूलता बनाए रखने के लिए प्रभावित लोगों को मंदिर या पीपल के वृक्ष के नीचे घी या तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए।

No comments:

Post a Comment