विधि- इस यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र पर लिखकर एक महीने तक षोड्शोपचार से पूजन करें। एक अन्य भोजपत्र पर प्रतिदिन यह यंत्र एक सौ आठ बार लिखें। इसके बाद पूर्णाहुति करके ब्राह्मण भोजन, हवनादि करके मुख्य यंत्र (जिसकी एक माह तक पूजा की है) को लाल रंग के कपड़े में बांध कर स्त्री की कमर में कमर में इस प्रकार बांधें कि वह गर्भाशय से स्पर्श होता रहे। प्रतिदिन लिखे जाने वाले यंत्र को पानी में या पीपल के वृक्ष पर विसर्जित कर दें।
We cannot change the circumstances in which our soul chose to be born, but we can definitely change the circumstances in which we grow.ASTROLOGY, VASTU SASTRA, AURA, AROMA. SHIVYOG,ARTOF LIVING, ISHAYOG,OSHO AND NEWAGE MEDITATION अध्यात्म, ज्योतिष, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, वेद, पुराण, इतिहास, गुढ़-रहस्य समस्त समस्या का निराकरण सम्भव नहीं है, मात्र कुछेक समस्या का ही समाधान सम्भव है। Accurate Horoscope Analysis and Remedies for All Problems
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Thursday, 7 July 2011
संतान प्राप्ति के लिए करें इस यंत्र की साधना
संतान प्राप्ति के लिए करें इस यंत्र की साधना
विवाह के बाद पति-पत्नी की प्रथम अभिलाषा रहती है कि उनका घर नन्हें-मुन्ने की किलकारियों से गूंजे। लेकिन कई कारणों के चलते यह संभव नहीं हो पाता। इसका एक कारण पत्नी में होने वाली कमी भी होती है। यदि पुत्रोत्पत्तिकर यंत्र की साधना विधि-विधान से की जाए तो संतान होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। काकवंध्या स्त्री के लिए यह यंत्र काफी लाभदायक है।
विधि- इस यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र पर लिखकर एक महीने तक षोड्शोपचार से पूजन करें। एक अन्य भोजपत्र पर प्रतिदिन यह यंत्र एक सौ आठ बार लिखें। इसके बाद पूर्णाहुति करके ब्राह्मण भोजन, हवनादि करके मुख्य यंत्र (जिसकी एक माह तक पूजा की है) को लाल रंग के कपड़े में बांध कर स्त्री की कमर में कमर में इस प्रकार बांधें कि वह गर्भाशय से स्पर्श होता रहे। प्रतिदिन लिखे जाने वाले यंत्र को पानी में या पीपल के वृक्ष पर विसर्जित कर दें।
विधि- इस यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र पर लिखकर एक महीने तक षोड्शोपचार से पूजन करें। एक अन्य भोजपत्र पर प्रतिदिन यह यंत्र एक सौ आठ बार लिखें। इसके बाद पूर्णाहुति करके ब्राह्मण भोजन, हवनादि करके मुख्य यंत्र (जिसकी एक माह तक पूजा की है) को लाल रंग के कपड़े में बांध कर स्त्री की कमर में कमर में इस प्रकार बांधें कि वह गर्भाशय से स्पर्श होता रहे। प्रतिदिन लिखे जाने वाले यंत्र को पानी में या पीपल के वृक्ष पर विसर्जित कर दें।
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