तंत्र-मंत्र में उपयोगी कृष्णा हरिद्रा
- पं. अशोक पंवार 'मयंक'
जड़ी-बूटी अनेकानेक रोगों में कारगर साबित होती हैं। कुछ जड़ी ऐसी भी होती हैं जो विधि-विधानपूर्वक लाई जाए तो आश्चर्यजनक परिणाम देती हैं। यहाँ पर श्रीकृष्णा हरिद्राक्ष का सफल तांत्रिक-मांत्रिक प्रयोग दिया जा रहा है। सामान्य रूप सें हल्दी का रंग पीला होता है। इसकी एक जाति काले (श्याम वर्ण) रंग की होती है। उसे ही कृष्णा हरिद्रा या काली हल्दी के नाम से पहचाना जाता है।
जिस प्रकार पूजा-पाठ-उबटन, शादी-ब्याह एवं अनेक मांगलिक कार्यों में हल्दी का प्रयोग होता है, वहीं काली हल्दी का प्रयोग भी तांत्रिक-मांत्रिक कार्यों में किया जाता है। काली हल्दी की गाँठ में एक विशेष सुगंध पाई जाती है। इसे नर कपूर के नाम से भी जाना जाता है। इसे किसी शुभ-मुहूर्त में विधि-विधान से पूजन कर अभिमंत्रित कर लाएँ। यह धन-सौभाग्य की वृद्धि करने वाली होती है। इसमें दुष्प्रभावों को शमन करने की शक्ति होती है। यहाँ पर इसके कुछ प्रयोग दिए जा रहे हैं जिनसे पाठक लाभ उठा सकते हैं।
उन्माद नाशक तंत्र - किसी शुभ दिन गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र हो, राहुकाल न हो, शुभ घड़ी में इस हल्दी को लाएँ। इसे शुद्ध जल से भीगे कपड़े से पोंछकर लोबान की धूप की धुनी में शुद्ध कर लें व कपड़े में लपेटकर रख दें। आवश्यकता होने पर इसका एक माशा चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन कराएँ व एक छोटा टुकड़ा काटकर धागे में पिरोकर रोगी के गले या भुजा में बाँध दें। इस प्रकार उन्माद, मिर्गी, भ्रांति और अनिन्द्रा जैसे मानसिक रोगों मे बहुत लाभ होता है।
बाजार-टोटका आदि में- काली हल्दी के 7 या 9 या 11 दाने बनाएँ। उन्हें धागे में पिरोकर धूप आदि देकर जिस व्यक्ति के गले में यह माला पहनाई जाए उसे गृहपीड़ा, बाहरी हवा, टोना-टोटका, नजर आदि से बचाया जा सकता है।
धनवृद्धि हेतु : गुरु पुष्य नक्षत्र में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर लाल वस्त्र में लपेटकर धूप आदि देकर कुछ सिक्कों के साथ बाँधकर बक्से या तिजोरी में रख दें तो धनवृद्धि होने लगती है।
वशीकरण हेतु : चंदन की भाँति काली हल्दी का टीका लगाएँ। यदि अपनी कनिष्ठा उँगली का रक्त भी मिला दिया जाए तो प्रभाव में वृद्धि होगी। यह तिलक लगाने वाला सबका प्यारा होता है। सामने वाले को आकर्षित करता है।
सौन्दर्यवर्द्धक प्रयोग : काली हल्दी का चूर्ण दूध में भिगोकर चेहरे और शरीर पर लेप करने से सौन्दर्य की वृद्धि होती है।
इस प्रकार काली हल्दी से लाभ पाया जा सकता है। लेकिन, इसे विशेष मुहूर्त व विशेष नक्षत्रों में ही लाकर प्रयोग किया जाता है। बगैर मुहूर्त व किसी भी नक्षत्र में लाई जाने पर इसके शुभ परिणाम नहीं मिलते।
जड़ी-बूटी अनेकानेक रोगों में कारगर साबित होती हैं। कुछ जड़ी ऐसी भी होती हैं जो विधि-विधानपूर्वक लाई जाए तो आश्चर्यजनक परिणाम देती हैं। यहाँ पर श्रीकृष्णा हरिद्राक्ष का सफल तांत्रिक-मांत्रिक प्रयोग दिया जा रहा है। सामान्य रूप सें हल्दी का रंग पीला होता है। इसकी एक जाति काले (श्याम वर्ण) रंग की होती है। उसे ही कृष्णा हरिद्रा या काली हल्दी के नाम से पहचाना जाता है।
जिस प्रकार पूजा-पाठ-उबटन, शादी-ब्याह एवं अनेक मांगलिक कार्यों में हल्दी का प्रयोग होता है, वहीं काली हल्दी का प्रयोग भी तांत्रिक-मांत्रिक कार्यों में किया जाता है। काली हल्दी की गाँठ में एक विशेष सुगंध पाई जाती है। इसे नर कपूर के नाम से भी जाना जाता है। इसे किसी शुभ-मुहूर्त में विधि-विधान से पूजन कर अभिमंत्रित कर लाएँ। यह धन-सौभाग्य की वृद्धि करने वाली होती है। इसमें दुष्प्रभावों को शमन करने की शक्ति होती है। यहाँ पर इसके कुछ प्रयोग दिए जा रहे हैं जिनसे पाठक लाभ उठा सकते हैं।
उन्माद नाशक तंत्र - किसी शुभ दिन गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र हो, राहुकाल न हो, शुभ घड़ी में इस हल्दी को लाएँ। इसे शुद्ध जल से भीगे कपड़े से पोंछकर लोबान की धूप की धुनी में शुद्ध कर लें व कपड़े में लपेटकर रख दें। आवश्यकता होने पर इसका एक माशा चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन कराएँ व एक छोटा टुकड़ा काटकर धागे में पिरोकर रोगी के गले या भुजा में बाँध दें। इस प्रकार उन्माद, मिर्गी, भ्रांति और अनिन्द्रा जैसे मानसिक रोगों मे बहुत लाभ होता है।
बाजार-टोटका आदि में- काली हल्दी के 7 या 9 या 11 दाने बनाएँ। उन्हें धागे में पिरोकर धूप आदि देकर जिस व्यक्ति के गले में यह माला पहनाई जाए उसे गृहपीड़ा, बाहरी हवा, टोना-टोटका, नजर आदि से बचाया जा सकता है।
धनवृद्धि हेतु : गुरु पुष्य नक्षत्र में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर लाल वस्त्र में लपेटकर धूप आदि देकर कुछ सिक्कों के साथ बाँधकर बक्से या तिजोरी में रख दें तो धनवृद्धि होने लगती है।
वशीकरण हेतु : चंदन की भाँति काली हल्दी का टीका लगाएँ। यदि अपनी कनिष्ठा उँगली का रक्त भी मिला दिया जाए तो प्रभाव में वृद्धि होगी। यह तिलक लगाने वाला सबका प्यारा होता है। सामने वाले को आकर्षित करता है।
सौन्दर्यवर्द्धक प्रयोग : काली हल्दी का चूर्ण दूध में भिगोकर चेहरे और शरीर पर लेप करने से सौन्दर्य की वृद्धि होती है।
इस प्रकार काली हल्दी से लाभ पाया जा सकता है। लेकिन, इसे विशेष मुहूर्त व विशेष नक्षत्रों में ही लाकर प्रयोग किया जाता है। बगैर मुहूर्त व किसी भी नक्षत्र में लाई जाने पर इसके शुभ परिणाम नहीं मिलते।
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