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Saturday 16 July 2011

शनिवार के साथ सावन शुरू..इस अचूक मंत्र से पाएं शिव-शनि कृपा

हिन्दू माह सावन शिव भक्ति के लिए जाना जाता है। इसे सावन महोत्सव भी पुकारा जाता है। सावन की शुरुआत इस वर्ष शनिवार के साथ हुई है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में शनिवार शनि की उपासना का भी शुभ दिन है। शनि भी शिव भक्त बताए गए हैं। शिव भक्ति ने ही शनि को सबल व पूजनीय बना दिया। यही कारण है कि शिव-शनि भक्ति दोनों ही जीवन के लिये सुखदायी मानी गई है। इसलिए शनिवार के साथ सावन के शुभारंभ की घड़ी में शिव-शनि उपासना से आप सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के साथ संकट व पीड़ाओं से छुटकारा भी पा सकते हैं। किसी भी रूप में शिव भक्ति शनि दोष या कोप का शमन करने वाली मानी गई है। इसलिए पीड़ादायक शनि दशा, साढ़े साती या शनि दोष शांति के लिए यहां बताया जा रहा शिव उपासना का मंत्र बहुत ही असरदार माना गया है। शिव का यह मंत्र काल, रोग, दु:ख के नाश के लिए अचूक उपाय है। यह मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र। इस मंत्र को रुद्राक्ष की माला और कुश के आसन पर बैठ शिव व शनि की नीचे बताई शास्त्रोक्त पूजा सामग्रियों को चढ़ाने के बाद करें -
- सूर्यादय के पूर्व जागकर स्नान करें। घर या देवालय में शिव पर पवित्र जल में काले तिल डालकर अर्पित करें। चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बिल्वपत्र चढाएं।
- इसी तरह शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अर्पित कर गंध, फूल, काले तिल, काला वस्त्र चढ़ाकर पूजा करें।
- शिव को सफेद रंग के पकवान तो शनि को तेल के पकवान का भोग लगाएं।
- शिव-शनि की पूजा के बाद नीचे लिखे महामृत्यञ्जय मंत्र का जप कम से कम 108 बार जरूर करें -
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

- मंत्र जप पूजा के बाद शिव व शनि की आरती करें। शिव की आरती में गाय का घी व कर्पूर व शनि आरती तेल के दीप से करें तो शुभ फलदायी होती है।
- पूजा-आरती के बाद शिव व शनि से निरोगी, निर्भय व सुखी जीवन की कामना के साथ सावन माह का मंगल आरंभ करें।

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