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Saturday, 11 June 2011

ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने में दान-धर्म

ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने में दान-धर्म

ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए दान-धर्म की भूमिका अहम् होती है। जब गंभीरतापूर्वक इसपर अध्ययन किया गया, तो निम्न बातें दृिष्टगोचर हुई———–

1. चंद्रमा कमजोर हो, तो जातक अनाथाश्रम को दान देकर तथा अनाथो को हर प्रकार का सुख पहुंचाकर चंद्रमा के बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं। 12 वषZ से कम उम्र की कन्याओं की पूजा करने के पीछे भी यही कारण हो सकता है। सफेद या संतरेे के रंग की वस्तु का भूलकर भी दान न करें।
2. बुध ग्रह कमजोर हो, तो जातक विद्यार्थियों को अनुदान या िशक्षण-संस्थाओं को दान देकर तथा उन्हें हर संभव सहायता कर बुध के बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं। हरे रंग की वस्तु का भूलकर भी दान न करें।
3. मंगल कमजोर हो, तो उन्हें रोजगार के लिए संघषZ कर रहे युवक-युवति को मदद करना चाहिए। इससे मंगल का बुरा प्रभाव काफी हद तक दूर होगा। लाल रंग की वस्तु का भूलकर भी दान न करें।
4. शुक्र कमजोर हो, तो उन्हें विवाह-योग्य वर और कन्याओं के विवाह में सहायता करनी चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि उस विवाह से दोनो ही पक्षों को फायदा हो रहा हो। इससे शुक्र को बुरा प्रभाव काफी कम होगा। हल्के नीले रंग की वस्तु का भूलकर भी दान न करें।
5. सूर्य कमजोर हो, तो उन्हें अपनी गृहस्थी को खींच पाने में कमजोर पड़ रहे लोगों की मदद करनी चाहिए। इस उम्र में हर व्यक्ति की जवाबदेही बढ़ जाती है और बहुतों के लिए यह समय भारी हो जाता है। वैसे लोगों की मदद कर आप अपने सूर्य के बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं। ईंट के रंग की वस्तु का भूलकर भी दान न करें।
6. बृहस्पति कमजोर हो, तो आपकोें अपने माता-पिता की विशेष सेवा करनी चाहिए। अपने सभी गुरुओं, जिससे छोटा या बड़ाकिसी भी तरह का ज्ञान आपने प्राप्त किया है, उसके लिए उनका शक्रगुजार होना चाहिए । साथ ही यदि वे आपको कोई आज्ञा दें, तो उनका पालन करना चाहिए। इससे आपके उपर पड़नेवाला बृहस्पति का बुरा प्रभाव कम होगा। पीले रंग की वस्तु का भूलकर भी दान न करें।
7. शनि कमजोर हो, तो आपको अतिवृद्धों के प्रति अधिक जवाबदेह होना होगा। वृद्धाश्रमों को अनुदान देकर, उनकी देखभाल में योगदान कर तथा उनकी समस्याओं को समझकर आप खुद पर पड़नेवाले शनि के बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं। काले रंग की वस्तु का भूलकर भी दान न करेंA

ग्रहों के प्रभाव को दूर करने में रंगों की भूमिका

संपूर्ण संसार रंगमय है। रंगों में अद्भुत प्रभाव होता है।

चंद्रमा से दूधिया सफेद , बुध से हरा ,मंगल से लाल , शुक्र से चमकीला सफेद , बृहस्पति से पीला , शनि से काला रंग तथा सूर्य से तप्त लाल रंग की किरणे निकलकर पृथ्वी के जड़-चेतन पर अपना प्रभाव डालती है। सर्वविदित तथ्य यह है कि विभिन्न पदार्थों में रंगों की विभिन्नता का कारण किरणों को अवशोषित और उत्सर्जित करने की शक्ति है। जिन रंगों को वे अवशोषित करती हैं , वे हमें दिखाई नहीं देती , परंतु जिन रंगों को वे परावर्तित करती हैं , वे हमें दिखाई देती हैं। इसी कारण चंद्रमा के बुरे प्रभाव से बचने के लिए मोती , बुध के लिए पन्ना , मंगल के लिए मूंगा , शुक्र के लिए हीरा , सूर्य के लिए माणिक , बृहस्पति के लिए पुखराज और शनि के लिए नीलम पहनने की परंपरा समाज में बनायी गयी है। ये रत्न संबंधित ग्रहों की किरणों को उत्सर्जित कर देते हैं , जिसके कारण ये किरणें इन रत्नों के लिए तो प्रभावहीन होती ही हैं , साथ ही साथ इसको धारण करनेवालों के लिए भी प्रभावहीन बन जाती हैं। शायद यही कारण है कि हमारे समाज की नवविवाहित स्त्रियों को मंगल ग्रह के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए लाल रंग को परावर्तित करने के लिए प्राय: लाल वस्त्र से सुशोभित करने तथा मांग में लाल सिंदूर लगाने की प्रथा है। इसलिए रत्नों का प्रयोग सिर्फ बुरे ग्रहों के लिए ही किया जाना चाहिए , अच्छे ग्रहों के लिए नहीं। कभी-कभी पंडितों की समुचित जानकारी के अभाव के कारण ये रत्न जातक को अच्छे फल से भी वंचित कर देती है।   
             गत्यात्मक ज्योतिष भी कमजोर ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए उससे संबंधित रंगों का अधिकाधिक प्रयोग करने की सलाह देता है। रत्न धारण के साथ साथ आप उसी रंग की प्रधानता के वस्त्र धारण कर सकते हैं । मकान के बाहरी दीवारों की पुताई करवा सकते हैं । यदि व्यक्ति का जन्मकालीनचंद्र कमजोर हो, तो उन्हेंसफेद ,बुध कमजोर हो , तो उन्हें  हरे , मंगल कमजोर हो , तो उन्हें लाल , शुक्र कमजोर हो , तो उन्हें हल्के नीले  , सूर्य कमजोर हो , तो उसे ईंट के रंग , बृहस्पति कमजोर हो , तो उसे पीले , तथा शनि कमजोर हो , तो काले रंग का अधिक प्रयोग कर उन ग्रहों के प्रभाव को परावर्तित कर देना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे , मजबूत ग्रहों की किरणों का अधिकाधिक प्रभाव आपपर पड़े , इसके लिए उससे संबंधित रंगों का कम से कम प्रयोग होना चाहिए। उन रंगों की वस्तुओं का प्रयोग न कर आप उनका दान करें , तो काफी फायदा हो सकता है।


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