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Wednesday 24 September 2014

नवरात्रि में राशि अनुसार विशेष उपाय

ज्योतिष के अनुसार यदि नवरात्रि में राशि अनुसार विशेष उपाय किए जाएं व गरबा करते समय कपड़े व डांडिए भी राशि अनुसार हो तो माता की कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। आज हम आपको न सिर्फ राशि अनुसार उपाय बल्कि गरबा खेलते समय आप राशि अनुसार किस रंग के कपड़े पहने व किस लकड़ी के डांडिए का उपयोग करें, ये भी बता रहे हैं-
मेष
- इस राशि के लोगों को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। स्कंदमाता करुणामयी हैं, जो वात्सल्यता का भाव रखती हैं।
- इस नवरात्रि पर्व पर शक्ति आराधना के लिए आप अपनी राशि और ग्रह के अनुसार लाल और पीले रंग के कपड़े पहनें, जिससे आपको राशि के ग्रह और शक्ति की कृपा का पूरा लाभ मिलेगा।
- राशि स्वामी मंगल के अनुसार आप लाल चंदन या खेर की लकड़ी के डांडिया उपयोग करें। यह आपके लिए शुभ रहेगा।
वृषभ राशि
- वृषभ राशि के लोगों को महागौरी स्वरूप की उपासना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। ललिता सहस्र नाम का पाठ करें। जनकल्याणकारी है। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
- इस राशि वाले इन नौ दिनों में धन संपत्ति और हर तरह का सुख प्राप्त करने के लिए अपनी राशि के देवता शुक्र और महागौरी मां को प्रसन्न करें। इसके लिए सफेद और पिंक कलर के कपड़े पहनें, जिससे आपके सोचे हुए काम पूरे होंगे।
- राशि स्वामी के अनुसार आप गुलर के पेड़ की लकड़ी से बने डांडियों का उपयोग करें और राशि अनुसार उस पर सफेद कपड़ा बांध लें।
मिथुन राशि
- इस राशि के लोगों को देवी यंत्र स्थापित कर ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करें। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान प्रदाता व विद्या के अवरोध दूर करती हैं।
- इस राशि के लोग राशि स्वामी बुध को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में हरे रंग के कपड़े पहनें। इससे आपके कार्यों में रुकावटें नहीं आएंगी।
- इस राशि वाले डांडियों के लिए अपामार्ग (आंधीझाड़ा) की लकड़ी इस्तेमाल करें या किसी भी लकड़ी के डांडियों पर हरा कपड़ा बांध लें।
कर्क राशि
- कर्क राशि के लोगों को शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए। लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें। भगवती की वरद मुद्रा अभय दान प्रदान करती हैं।
- इस राशि वाले लोग नवरात्रि पर्व पर सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें, जिससे राशि स्वामी चंद्रमा की कृपा होगी।
- डांडियों के लिए पलाश या सफेद चंदन की लकड़ी का उपयोग करें या किसी भी लकड़ी के डांडियों पर सफेद कपड़ा बांध लें।
सिंह राशि
- सिंह राशि वालों के लिए मां कूष्मांडा की साधना विशेष फल देने वाली है। दुर्गा मंत्रों का जाप करें। ऐसा माना जाता है कि देवी मां के हास्य मात्र से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। देवी बलि प्रिया हैं, अत: साधक नवरात्रि की चतुर्थी को आसुरी प्रवृत्तियों यानी बुराइयों का बलिदान देवी के चरणों में निवेदित करते हैं।
- सिंह राशि वाले सूर्य से संबंधित दोष दूर करने के लिए देवी कूष्मांडा को खुश करें। इसके लिए इस राशि के लोग पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- राशि अनुसार आंकड़े के पेड़ की लकड़ी से बना डांडिया आपके लिए श्रेष्ठ रहेगा।
कन्या राशि
- इस राशि के लोगों को मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करना चाहिए। लक्ष्मी मंत्रों का सविधि जाप करें। ज्ञान प्रदान करती हुई विद्या मार्ग के अवरोधों को दूर करती हैं। विद्यार्थियों हेतु देवी की साधना फलदाई है।
- आप राशि स्वामी बुध के अनुसार हरे, सफेद या हल्के हरे रंग के वस्त्र पहनें जिससे आपकी राशि की देवी भुवनेश्वरी देवी भी खुश होंगी।
- इस राशि वालों को अपामार्ग (आंधीझाड़ा) की लकड़ी से बने डांडियों का उपयोग करना चाहिए।
तुला राशि
- तुला राशि के लोगों को मां महागौरी की पूजा से विशेष फल प्राप्त होते हैं। काली चालीसा या सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। इनकी पूजा से अविवाहित कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
- इस राशि वाले लोग अपने राशि स्वामी शुक्र के अनुसार सफेद और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- सफेद पलाश या सफेद चंदन की लकड़ी से बने डांडिया इस नवरात्रि में आपकी किस्मत चमका सकते हैं।
वृश्चिक राशि
- वृश्चिक राशि के लोगों को स्कंदमाता की उपासना श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- वृश्चिक राशि वालों को इस नवरात्रि में लाल और केसरिया वस्त्र पहनना चाहिए, जिससे इस राशि के अधिपति देवता मंगल देव प्रसन्न होंगे।
- इस राशि के लोग मंगल देव के अनुसार खैर की लकड़ी से बने डांडियों का उपयोग करें, इससे इनकी ग्रह दशा सुधर सकती है।
धनु राशि
- इस राशि वाले मां चंद्रघंटा की उपासना करें। संबंधित मंत्रों का यथाविधि अनुष्ठान करें। घंटा प्रतीक है उस ब्रह्मनाद का, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है।
- इस राशि के लोगों को राशि स्वामी गुरु के अनुसार गरबा खेलते समय पीले रंग के कपड़े पहनना चाहिए। इससे इनके हर काम पूरे हो सकते हैं।
- इस राशि वालों के लिए पीपल की लकड़ी शुभ फल देने वाली होती है। इस राशि के लोग पीपल की लकड़ी से बने डांडियों का उपयोग करें तो बेहतर रहेगा।
मकर राशि
- मकर राशि के लोगों के लिए कालरात्रि की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। नर्वाण मंत्र का जाप करें। मां कालरात्रि अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोप, अग्निकांड आदि का शमन करती हैं। ये देवी शत्रु संहारक है।
- इस राशि वालों को नीले रंग के कपड़े पहनना चाहिए, जिससे कालिका माता प्रसन्न होंगी।
- मकर राशि वालों को राशि अनुसार शनि देव की कृपा के लिए शमी के पेड़ की लकड़ी से बने डांडियों का उपयोग करना चाहिए।
कुंभ राशि
- कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के लिए कालरात्रि की उपासना लाभदायक मानी गई है। इस राशि के लोग नवरात्रि में देवी कवच का पाठ करें।
- आप राशि स्वामी शनि देव को खुश करने के लिए इस नवरात्रि पर काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र पहनें, इससे कालरात्रि देवी और शनिदेव खुश होंगे।
- इस राशि वालों को शमी वृक्ष की लकड़ी से बने डांडियों का उपयोग करना चाहिए।
मीन राशि
- मीन राशि के लोगों को मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए। हरिद्रा (हल्दी) की माला से यथासंभव बगलामुखी मंत्र का जाप करें।
- इस राशि के लोग केसरिया, पीले या हल्के रंग के कपड़े पहनें। इससे महालक्ष्मी तथा इस राशि के स्वामी गुरु भी प्रसन्न होंगे।
- इस राशि के लोग पीले चंदन की लकड़ी का उपयोग डांडिया खेलने के लिए करें, पीपल की लकड़ी का भी उपयोग कर सकते हैं।
ये उपाय करने से लक्ष्मी हो सकती है आप पर भी मेहरबान
Posted: 24 Sep 2014 02:08 AM PDT
नवरात्रि कल से: ये है घट स्थापना की विधि व शुभ मुहूर्त, जानिए खास बातें
उज्जैन। मां शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि कल (25 सितंबर, गुरुवार) से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है। माता दुर्गा व घट स्थापना की विधि तथा शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
ये है घट स्थापना की विधि
पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर अपनी शक्ति के अनुसार बनवाए गए सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश को विधिपूर्वक स्थापित करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति की प्रतिष्ठा करें।
मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें। मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें। पूजन सात्विक हो, राजस या तामसिक नहीं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वास्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।
घट स्थापना के शुभ मुहूर्त
सुबह 06:19 से 07:47 तक- शुभ
दोपहर 12:11 से 01:28 तक- लाभ
दोपहर 01:28 से 3:17 तक- अमृत
शाम 04:45 से 06:13 तक- शुभ
ये हैं 5 मुख्य वास्तु नियम
नवरात्रि में घट (छोटा मटका) स्थापना व नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। घट स्थापना करते समय यदि वास्तु नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है। इन वास्तु नियमों का पालन करने से माता अति प्रसन्न होती हैं। जानिए इन वास्तु नियमों के बारे में-
१- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को देवताओं की दिशा माना गया है। इसी दिशा में माता की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना उचित रहता है।
२- यदि माता प्रतिमा के समक्ष अखंड ज्योत जला रहे हैं, तो इसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें। पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
३- घट की स्थापना चंदन के बाजोट
(पटिए) पर करें तो बहुत शुभ होता है। पूजा स्थल के ऊपर यदि टाण्ड हो तो उसे साफ-सुथरी रखें। कोई कपड़ा या गंदी वस्तुएं वहां न रखें।
4- कई लोग नवरात्र पर ध्वजा भी बदलते हैं। ध्वजा की स्थापना घर की छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में करें।
5- पूजा स्थल के समक्ष थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां आसानी से बैठा जा सके। स्थापना स्थल के आस-पास शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए।
नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाएं मगर पहले ध्यान रखें ये 4 बातें
नवरात्रि में माता दुर्गा के समक्ष नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। यह अखंड ज्योत माता के प्रति आपकी अखंड आस्था का प्रतीक स्वरूप होती है। मान्यता के अनुसार माता के सामने एक-एक तेल व एक शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
- मान्यता के अनुसार मंत्र महोदधि (मंत्रों की शास्त्र पुस्तिका) के अनुसार दीपक या अग्नि के समक्ष किए गए जप का साधक को हजार गुना फल प्राप्त हो है। कहा जाता है
दीपम घृत युतम दक्षे, तेल युत: च वामत:।
अर्थात - घी युक्त दीपक देवी के दाहिनी ओर तथा तेल वाला दीपक देवी के बाई ओर रखनी चाहिए।
- अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक अखंड रहनी चाहिए। इसके लिए एक छोटे दीपक का प्रयोग करें। जब अखंड ज्योत में घी डालना हो, बत्ती ठीक करनी हो तो या गुल झाडऩा हो तो छोटा दीपक अखंड दीपक की लौ से जलाकर अलग रख लें।
- यदि अखंड दीपक को ठीक करते हुए ज्योत बुझ जाती है तो छोटे दीपक की लौ से अखंड ज्योत पुुन: जलाई जा सकती है छोटे दीपक की लौ को घी में डूबोकर ही बुझाएं।
इस आसान विधि से करें मां दुर्गा की आरती
हिंदू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म-कांड के बाद भगवान की आरती उतारने का विधान है। देखने में आता है कि प्रत्येक व्यक्ति जानकारी के अभाव में अपनी इच्छानुसार भगवान की आरती उतारता है, जबकि भगवान की आरती उतारने के भी कुछ विशेष नियम होते हैं।
विशेष ध्यान देने योग्य बात है कि देवताओं के सम्मुख चौदह बार आरती उतारना चाहिए। चार बार चरणों पर से, दो बार नाभि पर से, एक बार मुख पर से तथा सात बार पूरे शरीर पर से। आरती की बत्तियां 1,5,7 अर्थात विषम संख्या में ही बनाकर आरती की जानी चाहिए।

3 comments:

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