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Tuesday 29 October 2013

किसी के साथ होने वाली घटना

किसी के साथ होने वाली घटना का आभास आपको हो ...
हर व्यक्ति के शरीर में दोनों आइब्रोज के मध्य का स्थान तीसरी आंख या आज्ञा चक्र कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इसीलिए दोनों आइब्रोज के मध्य ही तिलक किया जाता है। उसका कारण भी यही होता है ताकि यह नेत्र जागृत हो सके। जब कोई गुरु अपने शिष्य को दीक्षा देता है तो भी वह इसी तीसरे नेत्र पर अपना अंगूठा रखता है।

ऐसा माना जाता है कि इससे प्रकृति में उपस्थित दिव्य शक्तियां या अन्य किसी भी प्रकार की सकारात्मक ऊर्जाएं का किसी व्यक्ति में प्रवेश हो जाए इसीलिए सकारात्मक ऊर्जाओं के प्रवेश का द्वार खुल जाता है। एक सामान्य अभ्यास से कोई भी अपने तीसरे नेत्र को जागृत कर सकते हैं और किसी भी व्यक्ति से किसी काम को करने को मन ही मन कहेंगे तो आप देखेंगे की थोड़े दिनों बाद वह व्यक्ति आपका काम करने को बगैर कहे ही तैयार हो जाएगा।एक सामान्य अभ्यास आप भी यह कर सकते है।

- इसके लिए सुबह जल्दी उठकर शोरगुल ना हो ऐसी जगह पर सीधे बैठकर ध्यान दोनों आइब्रोज के मध्य अपना ध्यान लगाएं ।
- किसी दूर बैठे व्यक्ति का मन मे चितंन करें या दूर तक की छोटी छोटी अवाजों को सुनने की कोशिश करें।
- यह अभ्यास रोज नियमित रूप से चालीस दिन तक करे। चालीस दिन पूर्ण होते ही आपको इस तीसरे नेत्र की शक्ति का धीरे-धीरे आपको आभास होने लगेगा।
- इस दौरान आपको जिस व्यक्ति के संबंध में आप मन ही मन सोच रहे हैं उसके साथ घटने वाली किसी घटना का आभास आपको हो सकता है।
इसके बाद आप देखेंगे की थोड़े दिन में वह व्यक्ति जिसके बारे में आप सोचेंगे वह बिना कहे ही आपका काम करने को तैयार हो जाएगा।

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