श्रावण मास में भगवान शिव व अन्य देवी देवताओं के पूजन की महत्ता और विधियाँ
श्रावण मास में भगवान शिव और अन्य देवी देवताओं की पूजा की बहुत महत्ता
है, क्योंकि यह श्रावण मास शीघ्र फल प्रदान करने वाला है. श्रावण मास में
यूँ तो विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा का सबसे अधिक महत्त्व है, परन्तु
अन्य देवों के उपासक शिव पुराण में बताए अनुसार अपने देव का पूजन करें तो
उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी. शिव पुराण में विद्येश्वर संहिता में
श्रावण माह में गणेशजी, भगवान विष्णु, सूर्य और माँ दुर्गा की उपासना और
उमा संहिता में माँ दुर्गा की उपासना के विषय में बताया गया है. यह वर्णन
इस प्रकार है :
१. श्रावण में गणेशजी की पूजा : श्रावण मास के शुक्रवार और कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेशजी का पूजन करना चाहिए.
२. श्रावण मास में सूर्य की पूजा : श्रावण मास के प्रत्येक रविवार को,
हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि को सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए.
३. श्रावण मास में भगवान विष्णु की पूजा : श्रावण मास में प्रतिदिन भगवान
विष्णु की पूजा करनी चाहिए. श्रावण माह की द्वादशी तिथि को विशेष रूप से
भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
४. श्रावण मास में माँ पार्वती
की पूजा : श्रावण मास में मृगशिरा नक्षत्र युक्त नवमी तिथि में माँ दुर्गा
की पूजा करने से सम्पूर्ण मनोवांच्छित भोग और फलों की प्राप्ति होती है.
(-विद्येश्वर संहिता)
५. श्रावण मास में माँ पार्वती की पूजा :
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को व्रत आदि के द्वारा माँ
दुर्गा का पूजन करने से इस लोक में पुत्र, धन आदि की प्राप्ति होती है और
अंत में मनुष्य उमालोक को जाता है. (-उमा संहिता)
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