पितृदोष निवारण
1 पितृदोष निवारण के लिए श्राद्ध करे। समयाभाव में भी सर्वपितृ अमावस्या या आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन श्राद्ध अवश्य श्रद्धापूर्वक करे।
2 गुरूवार के दिन सायंकाल के समय पीपल पेड की जड पर जल चढाकर सात बार परिक्रमा कर घी का दीपक जलाए।
3 प्रतिदिन अपने भोजन मे से गाय, कुते व कौओ को अवश्य खिलाए।
4 भागवत कथा पाठ कराए रूा श्रवण करे।
5 नरायण बली, नागबली आदि पितृदोष शांति हेतु करे।
6 माह में एक बार रूद्राभिषेक करे। संभव नही होने पर श्रावण मास में रूद्राभिषेक अवश्य करे।
7 अपने कुलदेवी-देवता का पुजन करते रहे।
8 श्राद्ध काल में पितृसुक्त का प्रतिदिन पाठ अवश्य करे।
1 पितृदोष निवारण के लिए श्राद्ध करे। समयाभाव में भी सर्वपितृ अमावस्या या आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन श्राद्ध अवश्य श्रद्धापूर्वक करे।
2 गुरूवार के दिन सायंकाल के समय पीपल पेड की जड पर जल चढाकर सात बार परिक्रमा कर घी का दीपक जलाए।
3 प्रतिदिन अपने भोजन मे से गाय, कुते व कौओ को अवश्य खिलाए।
4 भागवत कथा पाठ कराए रूा श्रवण करे।
5 नरायण बली, नागबली आदि पितृदोष शांति हेतु करे।
6 माह में एक बार रूद्राभिषेक करे। संभव नही होने पर श्रावण मास में रूद्राभिषेक अवश्य करे।
7 अपने कुलदेवी-देवता का पुजन करते रहे।
8 श्राद्ध काल में पितृसुक्त का प्रतिदिन पाठ अवश्य करे।
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