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Monday 17 October 2011

दीपावली या Diwali

दीपावली


दीपावली या Diwali
कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को लक्ष्मी जी के पूजविशेष विधान है ब्रम्ह पुराणअर्धरात्रि के समय महालक्ष्मी जी सदग्रहस्थों केगृहों में यत्र तत्र विचरण करती हैं इसलिए इस दिन घर बाहर को साफ सुथरा कर के सजाया संवारा जाता है दीपावली मनाने से श्री लक्ष्मी जी प्रसन्न हो कर स्थायी रूप से उस घर में निवास करती हैं वास्तव में दीपावली, धन तेरस, नर्क चतुर्दशी , महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाईदूज – इन पंचो का मिश्रण है ।
दीपावली के अवसर पर श्री लक्ष्मी के साथ साथ एनी देवी देवताओं का पूजन क्यों किया जाता है जबकि दीपावली का त्योहार विशेषत:लक्ष्मी पूजन का है । इस बारे में भगवान विष्णु के वामन रूप व् राजा बलि की एक कथा इस प्रकार है – जब दैत्यों राजा बलि ने अपनी ताकत से देवताओं को बंदी बना लिया तो तो कार्तिक अमावस्या के दिन स्वयं विष्णु भगवान ने वामन रूप धरकर बलि को अपनी दिव्य शक्ति द्वारा बांध लिया और सभी देवताओं को बन्दीगृह से छुडा दिया । कारागार से मुक्त होने के पश्चात सभ प्रमुख देवताओं ने क्षीर सागर से लक्ष्मी सहित विश्राम  किया ।

इसकारण दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ साथ इन सभी  देवताओं का भी पूजन करना चाहिए तथा लक्ष्मी माँ के विश्राम के साथ साथ एनी देवताओं के भी विश्राम की भी व्यवस्था करनी चाहिए। लक्ष्मी जी तथा देवताओं के शय्या वो जिस किसी भी परानी द्वारा प्रयोग में ना लाई गई हो । उस शय्या पर नवीन सुंदर वस्त्र एवं कमल पुष्प बिछाए ; क्योकि लक्ष्मी जी निवास कमल में ही रहता है इस प्रकार विधिपूर्वक  श्रद्धायुक्त हो कर देवताओं व् भगवती लक्ष्मी के पूजन से वे स्थायी निवास करती हैं । भगवती लक्ष्मी के भोग के लिए गाय के दूध के खोये से मिश्री, लोंग, कपूर , एवं इलायची ,आदि मिष्ठान बनाने चहिये ।
महालक्ष्मी पूजन संक्षेप में कैसे करे-
प्रात: स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें । अब निम्न संकल्प से दिनभर उपवास करें ।
मम सर्वापच्छआंतीपूर्वक दीर्घायुष्यबलपुष्टि नैरुज्याआदि सकल शुभ फल प्राप्त्यर्थं                                                गजतुरगस्थराज्यैश्वर्यदिसकलसम्पदामुतरोतराभिवृद्ध्यर्थन  इन्द्र कुबेर शीत श्री लक्ष्मी पूजनं करिष्ये।
सांयकाल पुन: स्नान करें -
लक्ष्मी जी के चित्र के सामने एक चोंकी रखकर बांधें इस पर गणेश जी की मिटटी की मूर्ति स्थापित करें फिर गणेश जी को तिलक कर पूजा करें अब चोंकी पर छ चोमुखे व् २६ छोटे दीपक रकें इनमे तेल -बती डालकर जलाए फिर जल मोली चावल फल गुड अबीर गुलाल धुप दीप आदि से विधिवत पूजन करें पूजा पहले पुरुष तथा बाद में स्त्रियां करें पूजा के बाद एक एक दीपक घर के कोनों में में जला कर रखें
एक छोटा तथा एक चोमुखा दीपक रखकर निम्न मंत्र से लक्ष्मी जी का पूजन करें -
नमस्ते सर्व देवनाम वरद असि हरे: प्रिया ,या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा में भूया त्वदअर्चनात
साथ ही निम्न मंत्र से इंद्र का ध्यान करेंएरावत समारूढो वज्र हस्तो महाबल: , शतयज्ञाधिपो देवस्तमा इन्द्राय ते नम:
पश्चात निम्न मंत्र से कुबेर का ध्यान करें - धनदाय नमस्तुभ्यम निधि पद्म धिपाय च , भवन्तु त्वतप्रसादानमे                        धनधान्यदिसम्पद:
इस पूजन के पश्चात तिजोरी में गणेश जी तथा लक्ष्मी जी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें तत्पश्चात इच्छानुसार घर की बहू-बेटियों को रूपये दें
लक्ष्मी पूजन मध्य रात्रि में करने का विशेष महत्व है इसके लिए एक पाट पर लाल कपडा बिछकर उस पर एक जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेश जी की मूर्ति रखें समीप ही एक सो रूपये सवा सेर चावल गुड चार केले मूली हरी ग्वार की फली तथा पञ्च लड्डू रखकर

लक्ष्मी गणेश का पूजन उन्हें लड्डुओं से भोग लगाए

दीपक का काजल सभी स्त्री पुरुष आखों में लगाए फिर रात्रि जागरण करें और गोपाल सहस्रनाम का पाठ करें

इस दिन घर में बिल्ली आए तो उसे भगाए नहीं बुजुर्गों की चरणों को स्पर्श करें अपनी गद्दी और व्यवसायिक प्रतिष्टान की पूजा करें

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