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Thursday 18 August 2011

आंवला



पद्मा पुराण के एक प्रसंग में भगवान् शंकर कार्तिकेय से कहते हैं : " बेटा ! आंवले का फल परम पवित्र है। यह भगवान् विष्णु को प्रसन्न करनेवाला एवं शुभ माना गया है।
आंवला खाने से आयु बढती है।

इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगा कर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर एश्वर्य की प्राप्ति होती है।

जिस घर में आंवला सदा मौजूद रहता है, वहां दैत्य और राक्षश कभी नही आते।

जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आंवले का रस प्रयोग कर स्नानं करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। आंवले के दर्शन, स्पर्श तथा नाम उच्चारण से भगवान् विष्णु संतुष्ट हो कर अनुकूल हो जाते हैं। अतः अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए।

जो भगवान् विष्णु को आंवले का बना मुरब्बा एवं नैवेध्य अर्पण करता है, उस पर वे बहुत संतुष्ट होते हैं।

आंवले का सेवन करने वाले मनुष्यों की उत्तम गति होती है।
रविवार, विशेषतः सप्तमी को आंवले का फल त्याग देना चाहिए।

शुक्रवार, प्रतिपदा, सस्ठी, नवमी, अमावस्या और संक्रांति को आंवले का सेवन नही करना चाहिए।

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