मित्र व शत्रु रत्न
आजकल प्रायः ऐसा देखने में आता है कि एक व्यक्ति एक नहीं बल्कि कई-कई अंगूठियों को धारण करता है | कई महापुरुष आठ-आठ दस-दस अँगूठी धारण किए देखे जाते हैं | अतः रत्न धारण करते समय सदा ही यह ध्यान रखना चाहिए कि रत्न जड़ित जिन अंगूठियों को हम धारण कर रहे हैं वे रत्न आपस में एक-दूसरे के मित्र हैं या शत्रु | यदि ये रत्न आपस में शत्रु हैं तो उनका प्रभाव आपस में तो टकराएगा ही और आपको हानि होगी | यदि ये रत्न मित्र हैं तब तो दोनों ही मिल कर धारक को कल्याणकारक ही सिद्ध होंगे | अतः निम्न वर्णन से रत्न धारक को स्पष्ट ज्ञात हो जाएगा कि कौन-कौन रत्न एक दूसरे के शत्रु हैं अथवा या एक-दूसरे के प्रति उदासीन :-
रत्न | मित्र | शत्रु | समानदर्शी | |
1 | हीरा | पन्ना,नीलम | माणिक्य, मोती | मूंगा, पुखराज |
2 | मोती | माणिक्य,पन्ना | हीरा, मूंगा, नीला, पुखराज | |
3 | मूंगा | माणिक्य,मोती, पुखराज | पन्ना | हीरा, नीलम |
4 | पन्ना | माणिक्य, हीरा | मोती | मूंगा, पुखराज |
5 | नीलम | पन्ना, हीरा | माणिक्य, मोती, मूंगा | पुखराज |
6 | माणिक्य | मोती, मूंगा, पुखराज | हीरा, नीलम | पन्ना |
7 | गोमेद | पन्ना, नीलम, हीरा | माणिक्य, मोती | मूंगा, पुखराज |
8 | वैदूर्य | पन्ना, नीलम, हीरा | माणिक्य, मोती | मूंगा, पुखराज |
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