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Saturday 27 August 2011

मित्र व शत्रु रत्न


  मित्र व शत्रु रत्न
आजकल प्रायः ऐसा देखने में आता है कि एक व्यक्ति एक नहीं बल्कि कई-कई अंगूठियों को धारण करता है | कई महापुरुष आठ-आठ दस-दस अँगूठी धारण किए देखे जाते हैं | अतः रत्न धारण करते समय सदा ही यह ध्यान रखना चाहिए कि रत्न जड़ित जिन अंगूठियों को हम धारण कर रहे हैं वे रत्न आपस में एक-दूसरे के मित्र हैं या शत्रु | यदि ये रत्न आपस में शत्रु हैं तो उनका प्रभाव आपस में तो टकराएगा ही और आपको हानि होगी | यदि ये रत्न मित्र हैं तब तो दोनों ही मिल कर धारक को कल्याणकारक ही सिद्ध होंगे | अतः निम्न वर्णन से रत्न धारक को स्पष्ट ज्ञात हो जाएगा कि कौन-कौन रत्न एक दूसरे के शत्रु हैं अथवा या एक-दूसरे के प्रति उदासीन :-

रत्नमित्रशत्रु समानदर्शी
1हीरा पन्ना,नीलम माणिक्य, मोती मूंगा, पुखराज
2मोतीमाणिक्य,पन्ना
हीरा, मूंगा, नीला, पुखराज
3मूंगा माणिक्य,मोती, पुखराज पन्ना हीरा, नीलम
4पन्नामाणिक्य, हीरा मोती मूंगा, पुखराज
5नीलम पन्ना, हीरा माणिक्य, मोती, मूंगा पुखराज
6माणिक्य मोती, मूंगा, पुखराज हीरा, नीलम पन्ना
7गोमेद पन्ना, नीलम, हीरा माणिक्य, मोती मूंगा, पुखराज
8वैदूर्य पन्ना, नीलम, हीरा माणिक्य, मोती मूंगा, पुखराज

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