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Wednesday 10 August 2011

ग्रहों की प्रसन्नता औषधि स्नान से


औषधियों, तीर्थोदक जल से स्नान करने से ग्रहों की पीड़ा नष्ट होती है।
ग्रह प्रतिकूल होने पर प्राय: लोग ग्रह संबंधी रत्न की अंगूठी पहनते हैं या ग्रह संबंधी दान, जप, तप करते हैं। ये उपाय साधारण व्यक्ति के लिए हो सकता है कर पाना संभव नहीं हो। ऎसे लोग यदि चाहें तो ग्रह संबंधी औषधि से स्नान करके लाभांवित हो सकते हैं। हमारे आदि ऋषियों ने ग्रहों की अनुकूलता के लिए औषधि स्नान करना भी एक उपाय बताया है। ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह के लिए पेड़-पौधे और जड़ीबूटियों का उल्लेख किया है।

सूर्य: अर्क पर सूर्य का अधिकार है। इसे पहनने तथा आकड़े की लकड़ी से हवन करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं। केशर, कमलगट्टा, जटामांसी, इलायची, मैनसिल, खस, देवदारू और पाटल का चूर्ण जल में डालकर स्नान करने से सूर्यजनित दोष समाप्त होते हैं।

चंद्रमा: पलाश चंद्रमा के आधिपत्य में है। पलाश की जड़ धारण करने या उसकी समिधा से हवन करने से चंद्रमा प्रसन्न होते हैं। पंचगव्य, बेल गिरी, गजमद, शंख, सिप्पी, श्वेत चंदन, स्फटिक से स्नान करना चंद्रमा जनित अनिष्ट प्रभावों को कम करता है।


मंगल: खदिर यानी खेर के वृक्ष पर मंगल का प्रभाव है। बिल्वछाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, सिगरफ, माल कांगनी, मौलसिरी आदि औषधि डालकर नित्य स्नान करने से मंगल ग्रह प्रसन्न होता है।

बुध: अपामार्ग बुध की औषधि है। स्नान के लिए अक्षत, फल, गोरोचन, मधु व सुवर्ण मिश्रित जल से स्नान बुध ग्रह की प्रसन्नता के लिए है।

बृहस्पति: पीपल व पीले कनेर पर बृहस्पति का अधिकार है, मालती पुष्प, पीली सरसों, हल्दी, पीतफल आदि से युक्त जल से स्नान करना बृहस्पति को प्रसन्न करने वाला है।

शुक्र: गूलर के पेड़ की जड़ धारण करना व उसकी समिधा से हवन करना शुक्र की प्रसन्नता के लिए है। इलायची, मनशिला, केशर, श्वेत पुष्प डालकर स्नान करने से शुक्र की अनिष्टता शांत होती है।


शनि: खेजड़े के पेड़ पर शनि का आधिपत्य है। स्नान के लिए काले तिल, सुरमा, लोबान, धमनी, सौंफ, चावल की खील आदि का प्रयोग करना शनि देव को प्रसन्न करता है। जिन लोगों के साढ़ेसाती व ढय्या चल रही है, उन्हें शनिवार को तेल की मालिश करके उक्त औषधि युक्त जल से स्नान शुभ फल देता है।

राहू: हरी दोब पर राहु ग्रह का आधिपत्य है। गजदंत, कस्तूरी, कृष्ण पुष्प, दूब मिश्रित जल से स्नान करने से राहू की शांति की जा सकती है।

केतु: कुशा धारण करना केतु के लिए है। रतनजोत, नागरमोथा, गजमद आदि मिश्रित जल से स्नान करने से केतु प्रसन्न होता है।

-पं. चंद्रमोहन दायमा

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