पितृ्पक्ष अर्थात श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृ्ष्ण अमावस्या तक रहते है. इस प्रकार प्रत्येक साल में पितृ पक्ष के 16 दिन विशेष रुप से व्यक्ति के पूर्वजों को समर्पित रह्ते है. पूर्वजों का मुक्ति मार्ग की ओर अग्रसर होना ही पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है. वर्ष 2011 में निम्न तिथियों को श्राद्ध किया जा सकता है.
2011 श्राद्ध तिथियां
श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृ्ष्ण अमावस्या के मध्य जो भी दान -धर्म किया जाता है. वह सीधा पितरों को प्राप्त होने की मान्यता है. पितरों तक यह भोजन ब्राह्माणों व पक्षियों के माध्यम से पहुंचता है. जिन व्यक्तियों की तिथि का ज्ञान न हो, उन सभी का श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.
चतुर्दशी तिथि के श्राद्ध की विशेषता
ऎसे सभी जो आज किसी कारण वश हमारे मध्य नहीं तथा इस लोक को छोड कर परलोक में वास कर रहे है, तथा इस लोक को छोडने का कारण अगर शस्त्र, विष या दुर्घटना आदि हो तो ऎसे पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है. व चतुर्दशी तिथि में लोक छोडने वाले व्यक्तियों का श्राद्ध अमावस्या तिथि में करने का विधान है.
2011 श्राद्ध तिथियां
Dates of Shradh in 2011
- पूर्णिमा का श्राद्ध 12 सितम्बर सोमवार
- प्रतिपदा का श्राद्ध 13 सितम्बर मंगलवार
- द्वितीया का श्राद्ध 14 सितम्बर बुधवार
- तृ्तीया का श्राद्ध 15 सितम्बर गुरुवार
- चतुर्थी का श्राद्ध 16 सितम्बर शुक्रवार
- पंचमी का श्राद्ध 17 सितम्बर शनिवार
- षष्ठी का श्राद्ध 18 सितम्बर रविवार
- सप्तमी का श्राद्ध 19 सितम्बर सोमवार
- अष्टमी का श्राद्ध 20 सितम्बर मंगलवार
- नवमी का श्राद्ध 21 सितम्बर बुधवार
- दशमी का श्राद्ध 22 सितम्बर गुरुवार
- एकादशी का श्राद्ध 23 सितम्बर शुक्रवार
- द्वादशी का श्राद्ध 24 सितम्बर शनिवार
- त्रयोदशी का श्राद्ध 25 सितम्बर रविवार
- चतुर्दशी का श्राद्ध 26 सितम्बर सोमवार
- अमावस्या का श्राद्ध 27 सितम्बर मंगलवार
- सर्वपितृ श्राद्ध 27 सितम्बर मंगलवार
श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृ्ष्ण अमावस्या के मध्य जो भी दान -धर्म किया जाता है. वह सीधा पितरों को प्राप्त होने की मान्यता है. पितरों तक यह भोजन ब्राह्माणों व पक्षियों के माध्यम से पहुंचता है. जिन व्यक्तियों की तिथि का ज्ञान न हो, उन सभी का श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.
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