डा. उषाकिरण त्रिपाठी
श्मशान की भूमि पर मकान बनाकर रहना सभी अशुभ मानते हैं। वास्तव में यह सारी पृथ्वी ही श्मशान है। जब कर्ण ने भगवान कृष्ण से निवेदन किया कि मेरा दाह ऐसे स्थान पर करना जहां किसी का आज तक दाह कर्म नहीं किया गया हो तब भगवान को पूरी पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं मिला। उन्होंने अपने हाथों पर कर्ण का अंतिम संस्कार किया। अत: जब हम वास्तु शांति, वास्तु पूजन करते हैं तो इस अपवित्र भूमि को पवित्र करते हैं। शुध्द करते हैं। इसलिए प्रत्येक मकान, भवन आदि में वास्तु पूजन अनिवार्य है।
* वास्तु पूजन के पश्चात् भी कभी-कभी मिट्टी में किन्हीं कारणों से कुछ दोष रह जाते हैं जिनका निवारण कराना आवश्यक है।
* रसोई घर गलत स्थान पर हो तो अग्निकोण में एक बल्ब लगा दें और सुबह-शाम अनिवार्य रूप से जलाये।
* द्वार दोष और वेध दोष दूर करने के लिए शंख, सीप, समुद्र झाग, कौड़ी लाल कपड़े में या मोली में बांधकर दरवाजे पर लटकायें।
* बीम के दोष को शांत करने के लिए बीम को सीलिंग टायल्स से ढंक दें। बीम के दोनों ओर बांस की बांसुरी लगायें।
* घर के दरवाजे पर घोड़े की नाल (लोहे की) लगायें। यह अपने आप गिरी होनी चाहिए
* घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मुख्य द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगायें।
* दुकान की शुभता बढ़ाने के लिए प्रवेश द्वार के दोनों ओर गणपति की मूर्ति या स्टिकर लगायें। एक गणपति की दृष्टि दुकान पर पड़ेगी, दूसरे गणपति की बाहर की ओर।
* यदि दुकान में चोरी होती हो या अग्नि लगती हो तो भौम यंत्र की स्थापना करें। यह यंत्र पूर्वोत्तर कोण या पूर्व दिशा में, फर्श से नीचे दो फीट गहरा गङ्ढा खोदकर स्थापित किया जाता है।
* यदि प्लाट खरीदे हुये बहुत समय हो गया हो और मकान बनने का योग न आ रहा हो तो उस प्लाट में अनार का पौधा पुष्प नक्षत्र में लगायें।
* अगर आपका घर चारों ओर बड़े मकानों से घिरा हो तो उनके बीच बांस का लम्बा फ्लेग लगायें या कोई बहुत ऊंचा बढ़ने वाला पेड़ लगायें।
* फैक्ट्री-कारखाने के उद्धाटन के समय चांदी का सर्प पूर्व दिशा में जमीन में स्थापित करें।
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