1. व्यवसायिक समस्या निवारण के लिए:- यदि आपके कारोबार में अनावश्यक अवरोध हो, कारोबार चल नहीं रहा हो, कभी घी घणा तो कभी मुट्ठी चना की दशा बनी रहती हो तो ऐसी अवस्था में शनि अमावस्या के इस पावन अवसर पर इस उपाय को शुरू करके देखें, और लगातार 43 दिन तक करें। अवश्य ही लाभ होगा।एक काला कपडा लें। उडद के आटे में गुड मिले सात लड्डू, 11 बताशे, 11 नींबू, 11 साबुत सूखी लाल मिर्च, 11 साबुत नमक की डली, 11 लौंग, 11 काली मिर्च, 11 लोहे की कील और 11 चुटकी सिंदूर इन सबको कपडे में बांधकर पोटली बना दें। पोटली के ऊपर काजल की 11 बिंदी लगा दें। तत्पश्चात अपने सामने रख दें। ओम् आरती भंजनाय नम: मंत्र की 108 बार जाप करें इसके साथ ही पांच माला ओम् प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:। तत्पश्चात यह सामग्री लेकर मुख्य दरवाजे के चौखट के बीचोबीच खडे हो जाएं। इस पोटली को अपने ऊपर से 11 बार उसार करके किसी मंदिर या चौराहे पर रखकर आ जाएं। 2. पारिवारिक सुख-शांति के लिए:- सात मुखी पांच दानें, काली मिर्च पांच दानें, लौंग पांच दानें, बादाम पांच दानें, पांच नींबू, पांच सूखी मिर्च, पांच साबुत नमक की डली, पांच चुटकी सिंदूर, पांच कौडियां, पांच गोमती चक्त्र, पांच तांबे के छेद वाले सिक्के, इन सबको एक नीले कपडे में बांधकर पोटली बना दें। पूजा स्थान में इस पोटली को अपने सामने रख दें और इस मंत्र ओम् शं शनैश्चराय नम:। ध्वजनी धामिनी चैव कंकाली कलहि प्रिया कंटकि चाऽथ तुरंगी महिषी अजा ओम् शं शनैश्चराय नम:। का 108 बार जाप करके साथ ही इस नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय च नमोस्तुते। नमस्ते बभु रूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते॥ शनि स्तुति का पांच माला करें। इस पोटली को घर के मुख्य द्वार के अंदर दाई ओर के कोने में लटका दें। परिवार में सुख-शांति आएगी और यदि व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार के बाई ओर अंदर के कोने में लटका दें तो संपूर्ण व्यापारिक समस्याओं का निवारण हो जाएगा। हर अमावस्या के दिन इस उपाय को दोहरा दें और पहले वाली सामग्री बहते पानी में प्रवाह कर दें। 3. शारीरिक सुख-शांति के लिए:- यदि आपके घर से बीमारी नहीं जा रही हो या घर के किसी भी सदस्य पर दवा असर नहीं कर रही हो, बीमारी पीछा नहीं छोड रही हो और हमेशा मन में भय और शंका बनी रहती हो तो तो शनि अमावस्या के दिन यह उपाय शुरू करके देखें और लगातार 43 दिन तक करें। एक साफ व पवित्र थाली लें। उसके अंदर काला कपडा बिछा दें। उसके अंदर उडद के आटे के ग्यारह लड्डू बनाकर रखें। प्रत्येक लड्डू के ऊपर एक साबुत सुपारी, एक काली मिर्च, एक लौंग, एक साबुत नमक की डली, ग्यारह दाने चावल के, ग्यारह चम्मच दही और सात दाने केसर के टुकडे के रखें। प्रत्येक लड्डू के सामने एक तेल का दीपक जलाएं और कपूर की डली रखें। ओम् शं शनैश्चराय का जाप करते हुए कपूर को प्रावलित कर अपने ऊपर से सात बार उसार कर इस समस्त सामग्री को किसी चौराहे पर चुपचाप रखकर आ जाएं। दवा लगने लगेगी और सारी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा। 4. कोर्ट कचेहरी व कानूनी विवादों को निपटाने का अचूक प्रयोग:- ओम् योजन गंधा जोगिनी, ऋद्धि सिद्धि में भरपूर। मैं आयो तोय जाचणे, करजो कारज जरूर॥ शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले या शाम पांच बजे के बाद इस उपाय को करे। गेहूं का आटा सवा सेर, घी ढाई पाव, चीनी ढाई पाव, इनका कंसार भूनकर तैयार कर लेवें। शनिवार को सूर्योदय से पहले जंगल में जाकर कीडी नगरा (चींटा-चींटी के बिलों) में थोडा-थोडा कंसार गिराते जाएं और ऊपर लिखे मंत्र का उच्चारण करते जाएं। मन्त्र - ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चै। पंच महाकल्याणकारी योग के दिन अद्भुत पांच मंत्र क्या आप अपने निजकृत कर्मो की वजह से शनि की ढैय्या से परेशान है। 1. श्री शनिदेव का ढैय्या अनुकूलन का अदभुत मंत्र ओम् प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:। क्या आप अपने निजकृत कर्मो की वजह से शनि की ढैय्या से परेशान है? 2. श्री शनिदेव की साढेसाती में कृपा प्राप्ति का मूल मंत्र ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। क्या आप अपने निजकृत कमरें की वजह से शनि की साढेसाती से परेशान है? 3. श्री शनिदेव की दशा में अनुकूल फल प्राप्ति कराने वाला मंत्र ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:। क्या आप अपने निजकृत कर्मो की वजह से पारिवारिक सुख से वंचित हैं? 4. पारिवारिक सुख-शांति देने वाला श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥ क्या आप अपने निजकृत कर्मो की वजह से मंगलमय जीवन नहीं जी रहे हैं? 5. सदाबहार सर्वसुखकारी श्रीशनिदेव का मंत्र ओम् शं शनैश्चराय नम:। पूजन विधि श्री शनिदेव का शनि अमावस्या पर पूजन विधि सर्वप्रथम अपने पूजा स्थान में चौकी लगाकर काला वस्त्र बिछाएं उसके ऊपर श्रीशनिदेव का श्रीविग्रह अथवा पीडा निवारण शनि यंत्र को विराजमान करें। उसके बाद श्रद्धाभाव से श्री शनि देव का आह्वान, स्थापना, ध्यान और पूजन किया जाए तो जीवन के सभी दु:खों से छुटकारा मिल जाता हैं और घर में आरोग्य प्राप्त होता है। श्री शनिदेव का आह्वान श्रीशनि देव आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें- ह्रीं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। ह्रीं बीजमय, नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥ शनि स्थापना अपने पूजा स्थान में नवग्रह मंडल बनाकर पश्चिम में श्रीशनिदेव की स्थापना करें। और स्थापना करते समय हाथ में मोली लपेटी हुई साबुत सुपारी लेकर शनि देव को स्थापना करते समय इस मंत्र का उच्चारण करते हुए सुपारी को नवग्रह मंडल में शनि के ऊपर छोड दें। श्रीशनि देव का ध्यान हाथ में पुष्प लेकर श्रीशनि देव का ध्यान करें। और ध्यान करते हुए इस मंत्र का 108 बार जाप करके पुष्प श्रीशनिदेव के चरणों में समपिर्तत कर दें। ओम् सूर्य पुत्रौ दीर्घदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दाचार प्रसन्नत्मा पीडां हरतु ते शनि:॥ श्री शनिदेव की पंचोपचार पूजन विधि 1. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। आसनं समर्पयामि। श्रीशनिदेव के श्री चरणों में काला वस्त्र अर्पित करें। 2. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। पाध्दं समर्पयामि। श्री चरणों को जल से धोएं। 3. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। अर्ध्य समर्पयामि। श्री शनिदेव के चरणों का ध्यान करते हुए हाथ धोएं और हाथ धोने के लिए तीन चम्मच जल अर्ध्य के लिए अर्पित करें। 4. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। आचमनीय समर्पयामि और पुन: आचमन के लिए श्रीचरणों में जल चढाए। 5. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। स्नानं समर्पयामि। तत्पश्चात स्नान के लिए जल अर्पित करें। 6. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। गन्धं समर्पयामि। श्री शनिदेव के श्री चरणों में इत्र अर्पित करें। 7. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। धूप-दीपं समर्पयामि। धूप और दीप प्रावलित करके समर्पित करें। 8. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। नैवेध्दं समर्पयामि। श्री शनिदेव के श्री चरणों में प्रसाद अर्पित करें। 9. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। आचमनीयं समर्पयामि। एक पुन: आचमनीय के लिए श्री चरणों में जल छोडे। 10. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। वस्त्रं समर्पयामि। यंत्र को अच्छी तरह पोंछकर के या श्रीशनिदेव के श्रीविग्रह पर काले वस्त्र समर्पित करें। 11. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। दक्षिणा समर्पयामि। श्रद्धानुसार दक्षिणा समर्पित करें और बाद में यह दक्षिणा किसी गरीब आदमी को दान में दे दें। 12. ओम् नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:। नमस्करोमि समर्पयामि। श्री चरणों में कल्याण व कष्ट निवारण के लिए हाथ जोडकर प्रार्थना करें। अब आप घी और तेल का दीपक जलाएं ओम् शं शनैश्चराय नम: मंत्र की 11 माला जाप करें। जाप के उपरांत जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं, गरीब कन्याओं को वस्त्र व दान दें। ओम् भूभुर्व: स्व: काश्यम गौत्र शनैश्चर इहागच्छ इहातिष्ट। ओम् शनैश्चराय नम:॥ क्या कहती है सितारों की चाल शनि अमावस्या, शनि जयंती, भावुका अमावस्या, सर्वाथ सिद्धि योग, वट सावित्री व्रत इस पावन पर क्या कहती है सितारों की चाल जहां एक ओर शनि और बृहस्पति राष्ट्र में एक नई प्रगति की नींव रखेंगे। आर्थिक स्त्रोतों में वृद्धि होगी। सरकार में सजगता बढेगी। मार्किट की स्थिति कुछ लाभ देने लगेगी। वहीं दूसरी ओर सूर्य के आगे मंगल सूर्य की राशि में गोचर कर रहे हैं। और यह योग आंधी, तूफान, अग्निकांड का प्रबल संकेत दे रहा है। वहीं राहू और सूर्य का षडाष्टक योग नक्सलवाद, आतंकवाद और सीमाओं को लेकर सरकार को सावधानी का संकेत दे रहा है। इस ग्रह योगायोग में राजनीतिक उठापटक की प्रबल संभावना बनती है। साथ ही राजनीतिक समीकरण का धुआं भी उठने लगता है। यह समय मैदिनी ज्योतिष के अनुसार राष्ट्र को सावधानी का संकेत दे रहा है। द्वादश राशियों में शनि का प्रभाव मेष राशि - मेष राशि वालों के लिए शनि छठे भाव में गोचर कर रहा है। छठा भाव उपचय और वृद्धिकारक भाव है। यहा शनि अच्छा फल देता है। कारोबार में लाभ मिलेगा। कार्य संबंधी समस्याओं का निवारण होगा। कारोबार की स्थिति सुदृढ होगी। व्यवसाय में लेन-देन के मसले निपटेंगे। कानूनी झंझटों से छुटकारा मिलेगा। नौकरी में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। संपूर्ण रोजगार, परिवार और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निवारण होगा। उपाय शनिवार को अपने हाथ की नाप का 19 हाथ लंबा काला धागा माला बनाकर पहनें, बहुत लाभ होगा। प्रतिदिन स्नानोपरांत शिवलिंग पर ओम् शं वज्र देहाय नम: मंत्र का जाप करते हुए जल व बेलपत्र चढाएं व जल में व दूध व गंगाजल जरूर मिलाएं। वृषभ राशि वृषभ राशि वालों के लिए शनि नवम व दशम भाव का स्वामी होकर राजयोगकारक होता है। इसलिए वृषभ राशि वालों के लिए शनि उत्तम फल प्रदान करेगा। व्यवसाय में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। व्यवसाय में किए गए प्रयास सफल होंगे और प्रयास के अनुकूल धन प्राप्ति का योग भी बनेगा। समाज में समाजिक सुयश और मान-सम्मान में वृद्धि होगी। रोजगार संबंधी समस्याओं का निवारण होगा। अध्यात्म की ओर रूचि बढेगी। पारिवारिक समस्याओं का निवारण होगा। दांपत्य जीवन में अनुकूलता व संतान पक्ष की ओर से भी लाभ मिलेगा। उपाय शनि मृत्युंजय स्तोत्र का नियमित पाठ करें या कराएं और यथाशक्ति जौ का दान गौशाला में दें। सूखा नारियल और बादाम श्रद्धानुसार किसी मंदिर में हर शनिवार दान करें। मिथुन राशि मिथुन राशि वालों को शनि की ढैय्या के नाम से बहुत डराया जा रहा है परंतु इस समय शनि चतुर्थ भाव में है और चतुर्थ भाव मोक्ष का भाव है। इसलिए मिथुन राशि वालों के लिए भी शनि अनुकूल फल देगा। अनावश्यक मानसिक पीडाओं से छुटकारा मिलेगा। भ्रम, भय और भ्रांति से राहत मिलेगी। सामाजिक कार्यो को करने का सुअवसर प्राप्त होगा। कहीं से रुका हुआ धन प्राप्त होगा। बुजुर्गो का आशीर्वाद प्राप्त होगा। परंतु थोडा-सा पारिवारिक विवाद न हो इसपर ध्यान दें। और यदि आप नौकरी में हैं तो बॉस से तर्क-वितर्क न करें। उपाय किसी भी शनिवार को प्रारंभ करके 21 दिन तक ओम् शं सर्वारिष्ट विनाशने नम: मंत्र की 11 माला व 1 पाठ दुर्गा चालीसा का करने से शनि संबंधी कष्टों से मुक्ति मिलती है। किसी भी शनिवार को शमी वृक्ष (छोकर, खेजडी) की जड को काले धागे में बांध कर दाहिने भुजा या गले में धारण करें। कर्क राशि कर्क राशि वालों के लिए शनि तीसरे भाव से गोचर कर रहा है और तीसरे भाव में शनि अनुकूल फल प्रदान करता है क्योंकि यह उपचय भाव है जबकि इस समय शनि सप्तम और अष्टम का स्वामी होता है। मनोवांछित सफलताएं प्राप्त होगी। जो सोचा है वो पूरा होगा। कारोबार में अनुकूल साझेदारों की प्राप्ति होगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। धन कोष में वृद्धि होगी। पारिवारिक वातावरण मनोनुकूल सामंजस्य बना रहेगा। इस समय देश-विदेश में लाभदायिक यात्राओं का भी योग नजर आ रहा है। कामकाज संबंधी समस्याओं का निवारण होगा। कार्यो में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। उपाय शनैश्चर स्तोत्र का नियमित पांच पाठ सुबह-श्शाम करें। लोहे के बरतन में आठ किलो सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर उस तेल को शनि मंदिर में ले जाएं ओर स्नानोपरांत गीले कपडों में ही शनि प्रतिमा का विधिावत तेलाभिषेक करें। सिंह राशि सिंह राशि वालों के लिए शनि दूसरे भाव में गोचर कर रहा है। सिंह राशि वाले को शनि की साढेसाती का अंतिम चरण चल रहा है। यदि व्यक्ति नेक नियती रखता है तो इस भाव में शनि अदभुत लाभकारी फल प्रदान करता है। सामाजिक और मानसिक परेशानियों का निवारण होगा। आर्थिक पक्ष सुदृढ होगा और आर्थिक स्त्रोतों में वृद्धि भी होगी। व्यवसाय संबंधी नवीन योजनाएं फलीभूत साबित होगी। राजनीति के क्षेत्र में वर्चस्व बढेगा। नौकरी में तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। यदि आप राजनीति में हैं तो पद और प्रतिष्ठा में अवश्य वृद्धि होगी। परंतु यदि आपकी नेक नियती नहीं है तो अकस्मात घाटा भी लग सकता है और वाहन दुर्घटना की संभावना भी बनती है। उपाय प्रतिदिन स्नानोपरांत भगवान शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करें। और शिवलिंग पर जल चढाएं। साथ ही भगवान शनि देव का नियमित तेलाभिषेक करें। शनि पत्नी के नाम वाले इस मंत्र- ओम् शं शनैश्चराय नम: ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया। कंटकी कलही चाथ तुरंगी महिषी अजा ओम् शं शनैश्चराय नम:॥ कन्या राशि - कन्या राशि में शनि लग्न का स्वामी होता है। लग्न में स्थित शनि कन्या राशि वालों को मध्यम फल प्रदान करेगा। जहां एक ओर धर्म की ओर आगे बढने की रूचि बढेगी, आत्म चिंतन बढेगा। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा का लाभ प्राप्त होगा। सामाजिक कार्यो को करने का अवसर मिलेगा। सरकार से लाभ और उच्च अधिकारियों से मधुर संबंध बनेंगे। व्यवसायिक सफलता का प्रबल योग परंतु यदि आपने नैतिकता का दामन छोड दिया तो पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पडेगा। भाई-बहनों से विरोध झेलना पडेगा। सरकार से भी हानि पहुंच सकती है। उपाय प्रतिदिन शनि कवच का पाठ करें व सरसों के तेल से प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग का नियमित अभिषेक व पूजन करें। शनिवार का व्रत करें और ओम् शं शनैश्चराय नम: का पांच माला जप करें और हनुमान चालीसा व शनि चालीसा का पाठ करें। तुला राशि तुला राशि वालों के लिए शनि केंद्र और त्रिकोण का स्वामी होकर द्वादश भाव में गोचर कर रहा है। तुला राशि वालों के लिए इस भाव में बैठा शनि मेहरबान होता है। व्यवसाय मे अनुकूल परिस्थितियां बनेगी। व्यवसाय संबंधी परेशानियों का निवारण होगा। मनोनुकूल व्यवासायिक संबंधों के कारण नई व्यवसायिक उपलब्धियां प्राप्त होगी। आध्यात्मिक व धर्म-कर्म के कार्यो में रुचि बढेगी। वैवाहिक संबंधों में अनुकूलता आएगी। परंतु अनावश्यक खर्चो एवं अत्याधिक आत्मविश्वास के कारण कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड सकता है। उपाय हर रोज नित्यक्रम निवृत्त होकर पाशुपत स्तोत्र के सात पाठ करें। प्रत्येक शनिवार को बंदरों को केला, मीठी खील, गुड एवं काले चने खिलाने से भी शनि जनित प्रतिकूल प्रभावों का शमन होता है। वृश्चिक राशि वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि तीसरे व चतुर्थ भाव का स्वामी होकर लाभ भाव में गोचर कर रहा है और यह भाव उपचय वृद्धिकारक है। इस भाव में शनि बहुत अनुकूल फल प्रदान करता है। व्यवसायिक बुलंदियों को छूने का सुअवसर प्राप्त होगा। अनावश्यक विघ्न और समस्याओं का निवारण होगा। आर्थिक लाभ स्त्रोत बढेंगे। पारिवारिक वातावरण मनोनुकूल रहेगा। नौकरी में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। कारोबार में मनोनुकूल सफलताओं का योग है। संतान पक्ष की ओर सुयश बढेगा। नवीन कारोबारी योजनाएं मनोनुकूल फल देगी। उपाय हर रोज नित्यक्रम से निवृत्त होकर दशरथ कृत स्तोत्र के पांच पाठ सुबह-शाम करें। गौशाला में श्रद्धानुसार साबुत मसूर की दाल का दान दें। धनु राशि धनु राशि वालों के लिए शनि धन और परक्रम भाव का स्वामी होकर दशमभाव में गोचर कर रहा है और दशम भाव का कारक शनि है। यहां शनि अनुकूल और शुभ फल प्रदान करता है क्योंकि दशम भाव भी उपचय भाव है। रोजगार संबंधी समस्याओं का निवारण होगा। पारिवारिक सदस्यों का मनोनुकूल सहयोग प्राप्त होगा। कारोबार में लाभ मार्ग प्रशस्त होगा। परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न होगा। किए गए प्रयासों में पूर्ण सफलता प्राप्त होगी। शिक्षा के लिए विदेश यात्रा का प्रबल योग। जीवन में नवनिर्माण का संकेत दे रहा है शनि। परंतु संतान पक्ष को लेकर धनु राशि वालों को प्रबल समस्या का संकेत नजर आ रहा है। उपाय प्रतिदिन मंगलकारी शनि मंत्र की पांच माला सुबह-शाम करें। गौशाला में देसी चने श्रद्धानुसार दान करना लाभकारी रहेगा। मकर राशि मकर राशि वालों के लिए शनि लग्न और धन भाव का स्वामी होकर नवम भाव यानि धर्म भाव में गोचर कर रहा है नवम भाव पिता यानि सूर्य का कारक भाव है। पिता और पुत्र का यहा मिलन है। पिछली संपूर्ण परेशानियों का निवारण होगा। व्यवसाय में किए गए प्रयासों का शुभ फल प्राप्त होगा। विवादित मसलों व कानूनी समस्याओं के निवारण की स्थिति बनेगी। रिश्तेदारों मित्रों और जानकारों से अचानक मदद मिलेगी और समस्याओं का निवारण होगा। परंतु व्यवसाय नौकरी और परिवार के लिए थोडा समय देना होगा। उपाय हर रोज घर में चौमुखा घी का दीपक जलाकर शनि कवच के पांच सुबह-शाम व ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। श्रद्धानुसार बाजरा गौशाला में दान दें। कुंभ राशि कुंभ राशि वालों के लिए शनि द्वादश भाव और लग्न का स्वामी होकर अष्टम भाव में गोचर कर रहा है। विद्वानों का मत है कि अष्टम भाव में शनि अनुकूल फल प्रदान नहीं करता लेकिन कई वर्षो के अनुभव के बाद मैं ये कहना चाहिता हूं कि अष्टम में शनि कुंभ राशि वालों के लिए•शोध और साधना में रूचि बढेगी। लंबी बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। बुजुर्गो का सहयोग और सरकार से लाभ। भूमि संबंधी कार्यो में विशेष लाभ। पारिवारिक वातवारण मनोनुकूल होगा। आर्थिक स्थिति सुदृढ होगी। कुंभ राशि शनि की मूल त्रिकोण राशि है इसलिए शनि कुंभ राशि वालों को शुभ फल प्रदान करेगा। उपाय हर रोज घर में तेल का दीपक जलाकर दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनिवार को बड एवं पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पहले कडवे तेल का दीपक जलाकर उसकी दूध धूप-दीप आदि से पूजा करना लाभप्रद रहता है। मीन राशि मीन राशि वालों के लिए शनि ग्यारहवें और द्वादश भाव का स्वामी होकर सप्तम भाव में गोचर कर रहा है। यहां शनि विद्वानों के मत से इस भाव को पीडित करता है। लेकिन भावार्थ भवम की दृष्टि से सप्तम भाव का कारक भी शनि है इसलिए इस भाव को भी शनि मजबूत करेगा। पिछली संपूर्ण पारिवारिक, व्यवसायिक और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का निवारण होगा। पारिवारिक सहयोग व सामंजस्य बढेगा। पारिवारिक लोगों के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वाह होगा। कार्यो को पूरा करने के लिए अपनों का पूर्ण सहयोग रहेगा। परिश्रम और लग्न से किए गए संपूर्ण कार्य सफलता देंगे। परंतु मीन राशि वालों को वाणी पर संयम रखना होगा। नैतिकता का दामन पकडकर रखना होगा। साझेदारों के साथ ईमानदारी बरतना अति आवश्यक होगा। उपाय हर रोज नित्यक्रम से निवृत्त होकर शास्त्रोक्त शनि मंत्र की पांच माला सुबह-शाम करें। भगवान सूर्य को जल चढाएं। 21 बार सूर्यपुत्रों दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मंदचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:॥ मंत्र का जाप करने से शनिदेव प्रसन्न होंगे और सभी बाधाएं दूर कर देते हैं। [शनिचरणानुरागी दाती मदन महाराज राजस्थानी] |
We cannot change the circumstances in which our soul chose to be born, but we can definitely change the circumstances in which we grow.ASTROLOGY, VASTU SASTRA, AURA, AROMA. SHIVYOG,ARTOF LIVING, ISHAYOG,OSHO AND NEWAGE MEDITATION अध्यात्म, ज्योतिष, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, वेद, पुराण, इतिहास, गुढ़-रहस्य समस्त समस्या का निराकरण सम्भव नहीं है, मात्र कुछेक समस्या का ही समाधान सम्भव है। Accurate Horoscope Analysis and Remedies for All Problems
Search This Blog
Saturday 16 July 2011
अद्भुत उपाय
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment