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Saturday 16 July 2011


गोमती  चक्र  
आकृति में गोमती  चक्र सीप के सामान गोल किन्तु ठोस होते है. इनके आधार पर गोल घुमावदार आकृति बनी होती है. जिस घर में एक के बाद एक परेशानियाँ उत्पन्न हो रही हों , जो व्यक्ति एक के बाद एक नई – नई समस्याओं में उलझता जा रहा हो उसकी परेशानियों के निवारण के लिए गोमती चक्र रामबाण की तरह काम करता है. गोमती चक्र हो किसी भी अमावस्या की रात्रि में या ग्रहण कल में सिद्ध करना चाहिए. एक बार सिद्ध होने पर गोमती चक्र तिन वर्षों तक प्रभावशाली रहता है.
जिस घर में एक के बाद एक समस्याएँ आ रही हों उस घर की चौखट पर सिद्ध गोमती चक्र लाल वस्त्र में बांधकर लटका देना चाहिए. यह काम मंगलवार के दिन करना है. एसा करने से घर में नई नई मुसीबतें नहीं आती हैं.
शत्रु का नाश करने के लिए तिन गोमती चक्र पर शत्रु का नाम लिखकर जंगल में दबा देना चाहिए.
किसी भी कामना को पूरा करने के लिए गोमती चक्र को सिंदूर में दबाकर मनोकामना को मन ही मन बोलते हुए पूजा घर में रख देना चाहिए. रखने के बाद गोमती चक्र को उस स्थान से हटाना नहीं चाहिए. गोमती चक्र को मिटटी के दीपक में रखना चाहिए.

नागकेसर

नागकेसर  
नागकेसर तंत्र मंत्र की महत्व  पूर्ण वस्तु है. इसका प्रयोग अनेक तांत्रिक कार्यों में किया जाता है. इसे नागेश्वर भी कहते हैं. देखने में यह काली मिर्च के समान गोल और गेरू के समान रंगीन होती है. यह गुच्छों में फूलता है. इसके फूल मेहंदी की तरह होते हैं. नागकेसर महादेव को बहुत प्रिय है.  अभिमंत्रित नागकेसर वशीकरण के लिए बहुत उपयोगी होता है. नागकेसर के उपयोग आगे दिए जा रहे हैं -
१. नागकेसर , चमेली के फल, तगर, कुमकुम, कूट को एक साथ मिलकर रवि पुष्य योग या गुरु पुष्य योग के समय खरल में कूट लें. फिर कपड छान करके गाय का घी मिला लें इस लेप को माथे पर लगाने से अति तीव्र वशीकरण होता है.
२. धन संपत्ति  प्राप्ति हेतु पूर्णिमा के दिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग को कच्चे दूध , दही, शहद, चीनी, घी, गंगा जल आदि से अभिषेक कर पवित्र कर लें.  फिर पाँच बिल्वपत्रों के साथ पाँच नागकेसर के पुष्पों को शिवलिंग पर अर्पित कर दें. यह क्रिया अगली पूर्णिमा तक बिना रुके निरंतर करते रहें. अंतिम दिन अर्पित किये गए बिल्वपत्र और पुष्पों में से एक -एक लेकर लाकर घर की तिजोरी में रख दें. अप्रत्याशित रूप से धन की वृद्धि होगी. श्रद्धावान इसके प्रभाव को आनमा कर देख सकते हैं.
३. चांदी की एक ढक्कन वाली आकर में छोटी डिब्बी लें. इसमें नागकेसर बंद करके अपने पास रखें. कालसर्प दोष का प्रभाव कम होने लगेगा. जीवन में शांति आने लगेगी.
४. जिस व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा काफी कमजोर हो उनको शिव जी की पूजा करनी चाहिए.

गूगल

पूजा पथ में हम जिस धूपबत्ती का प्रयोग करते हैं गूगल उसका मुख्य अवयव होता है. गूगल  का वानस्पतिक नाम कोमिकोरा मुकुल है. गूगल के धुंए में पर्यावरण को शुद्ध करने की अद्भुत क्षमता होती है. इसी कारण प्राचीन कल से ही पूजा पाठ के समय गूगल की धूप बत्ती का प्रयोग वातावरण को शुद्ध करने के लिए किया जाता raha है. गूगल का पौधा सूखी और शुष्क जलवायु में चट्टानी भूमि पर उगता है. ८-१० वर्ष में केवल तीन या चार मीटर ऊँचा हो पाता है. हवन के समय वातावरण को शुद्ध करने के लिए गूगल का प्रयोग धर्म प्रेमी सदियों से करते आ रहे हैं. डायबिटीज  और आर्थ रायाथिस बिमारियों को दूर करने में रामबाण की तरह काम करता है. मोटापा काम करने और रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को काम करने के लिए भी उपयोगी होता है. राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों पर गूगल के वृक्ष लम्बे समय तक बहुतायत में मिलते रहे हैं. आज गूगल  का पौधा दुर्लभ प्रजाति की सूची में आ चुका है.

पारद शिवलिंग

पारद शिवलिंग  
भगवान शिव सभी देवों में सबसे सरलता से प्रसन्ना होने वाले हैं . भगवान शिव की पूजा के लिए शिवलिंग की आराधना की जाती है . भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग पारद के रूप में जिस घर में पूजास्थल में होता है वह घर सदा सर्वत्र मंगलमय, सुख और शांति से परिपूर्ण रहता है. पारद शिवलिंग की उपासना से ज्ञान, सिद्धि और एश्वर्य प्राप्त होता है. शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक शक्ति का विकास करने में ये पूर्णतया सक्षम है. पारद शिवलिंग तांत्रिक प्रयोग के प्रभाव को पूजी तरह से समाप्त कर देता है. पारद वजन एसा लोहे से १६ गुना भारी होता है. पारद शिवलिंग के नित्य दर्शन मात्र से अकाल म्रत्यु का भय नहीं रहता. इसके प्रभाव से साधक की दरिद्रता का नाश होकर उसे धन-संपत्ति प्राप्त होती है. इसे घर, दुकान और कार्यालय में स्थापित किया जा सकता है. इसके दर्शन मात्र से अनेक पापों का नाश होता है. किसी भी मास की चतुर्दशी के दिन पारद शिवलिंग को पूजा स्थल पर पहली बार लाकर रखना चाहिए. शनि की साडे साती, वक्री शनि की दशा, राहू-केतु की दशा और अंतरदशा में पारद शिवलिंग का दर्शन करना श्रेष्ठ फलदायक होता है अशुभ ग्रहों का ख़राब असर पास नहीं आता. ख़राब समय में यह चमत्कारी रूप से कष्टों को कम करता है. इसके प्रभाव से जीवन में मनोवांक्षित सफलता प्राप्त की जा सकती है. जब भी घर से निकलें तो पारद शिवलिंग के दर्शन करके निकलें. प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर रुद्राक्ष माला से ॐ नमः शिवाय मंत्र का एक माला जप करें और कुछ देर पारद शिवलिंग का त्राटक पूर्ण दर्शन करें.
पारद शिवलिंग का स्पर्श मनुष्य को यदा कदा ही करना चाहिए. पारद शिवलिंग का दर्शन करने मात्र से ही अभीष्ट की सिद्धि होती है. पारद शिवलिंग का बार-बार जलाभिषेक नहीं करना चाहिए.


गणेश शंख
गणेश शंख को भगवान श्री गणेश का प्रतीक माना गया है. यह एक दुर्लभ से मिलने वाला शंख है.  आकृति में यह शंख श्री गणेश जी के सामान शुण्ड  वाला दिखाई देता है. यह चमकदार सफ़ेद और पीली आभा वाला होता है. लम्बाई में यह ३ से ४ इंच तक का होता है. इस शंख को देखने से एसा लगता है जैसे कि भगवान गणेश के दर्शन कर रहे हो. यह शंख भाग्यशाली व्यक्तियों को ही प्राप्त हो पाता है. गणेश शंख भगवान गणेश के सामान अपने भक्तों के सारे विघ्नों को दूर करके कष्टों का निवारण करता है. गणेश शंख जहाँ भी होता है श्री गणेश कि कृपा उस स्थान पर अवश्य रहती  है.
गणेश शंख के अनुभूत प्रयोग इस प्रकार हैं -
१. गणेश शंख के नित्य दर्शन करने से रुकावटें दूर होती है. कार्य बनाने लगते हैं.
2. जिन व्यक्तियों को बार – बार व्यापार में नुकसान होता हो वे एक बार गणेश शंख का पूजन करके इसका चमत्कार देख सकते हैं. तत्काल ही नुकसान होना बंद हो जातें हैं. व्यापार में लाभ के लिए गणेश शंख को बुधवार के दिन पूजाघर में स्थापित करना चाहिए.
३. जिसको बार बार बीमारियाँ घेरती हों उसे गणेश शंख में जल भरकर पीने से बहुत आराम मिलता है. विशेष रूप से बुध कि दशा में रोग होने पर गणेश शंख में जल पीने से चमत्कारिक लाभ मिलता है.
४. जिस प्रकार से गणेश जी सभी देवताओं में प्रथम पूज्य हैं. उसी तरह से गणेश शंख का पूजाघर में सबसे पहले होना आवश्यक है.
५. गणेश शंख में कलि गाय का दूध भरकर पीने से संतान का सुख जरुर मिलता है. जिन दम्पत्तियों को बिना किसी कमी के बाबजूद संतान नहीं हो रही हो उन्हें यह प्रयोग करके अपनी कामना तुरंत पूरी करनी चाहिए.
६. गणेश शंख को बजाया नहीं जाता. इसके नित्य दर्शन करने वाले व्यक्ति को बुद्धिजीवियों का सहयोग मिलता है. गणेश शंख का दर्शन करने वाले कि बुद्धि भ्रमित नहीं होती.
७. गणेश शंख को पीले वस्त्र पर स्थापित करना चाहिए.


शालिग्राम  
भारतीय धरम संस्कृति में शालिग्राम  को साक्षात् श्रीहरि विष्णु का स्वरुप मन जाता है. शालिग्राम नेपाल की पवित्र गंडक नदी में मिलता है .  यह काले रंग का होता है. शालिग्राम के अन्दर भगवन विष्णु के सुदर्शन चक्र का चिन्ह होता है. किसी किसी शालिग्राम पर सुदर्शन चक्र का चिन्ह स्पष्ट दिखाई नहीं देता. शालिग्राम को घर में नित्य पूजन करने से जन्म – जन्मान्तर की दरिद्रता का नाश हो जाता है. कहा जाता है कि शालिग्राम का पूजन – अर्चन करने वालों को मोक्ष कि प्राप्ति होती है.  शालिग्राम कि प्राण – प्रतिष्ठा नहीं कि जाती है.

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